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SPECIAL: कोरोना काल में 'स्कूटीवाली पाठशाला', दिव्यांग टीचर बने मिसाल

कोरोना महामारी के संकटकाल में भी दिव्यांग शिक्षक पतिराम राय घूम-घूमकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. पतिराम ने अपनी स्कूटी को ही स्कूल बना दिया है, जिसमें वे पठन-पाठन से संबंधित सारी चीजें रखते हैं.

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Published : Sep 21, 2020, 12:23 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

in tokapal block of jagdalpur divyang teacher teaching children
तीन पहिया वाहन में दिव्यांग शिक्षक की पाठशाला

जगदलपुर: बस्तर जिले के तोकापाल ब्लॉक के एक दिव्यांग शिक्षक पतिराम ने कोरोना संकटकाल के दौरान हर टीचर्स के लिए उदाहरण पेश किया है. ये दिव्यांग शिक्षक हर रोज अपनी तिपहिया गाड़ी से गांव पहुंचते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं.

गांव में घूम-घूमकर पढ़ाते हैं पतिराम

जगदलपुर जिले के तोकापाल ब्लॉक के सिंघनपुर गांव में हर रोज दिव्यांग शिक्षक अपनी तीनपहिया स्कूटी में घूमते हैं. इन्हें गांव में जहां भी पांच-दस बच्चे मिल जाते हैं, ये वहीं बच्चों को पढ़ाने लगते हैं. ये सिलसिला इस गांव में लॉकडाउन के बाद से स्कूलों को बंद करने के आदेश के बाद से चला आ रहा है. इस शिक्षक का नाम पतिराम राय है, जो सिंघनपुर विद्यालय में टीचर हैं. कोरोना महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के बाद बंद किए गए स्कूलों से प्रभावित शिक्षा-व्यवस्था को बचाने के लिए पतिराम लगातार परिश्रम कर रहे हैं.

दिव्यांग टीचर बने मिसाल

पढ़ें: EXCLUSIVE: बस्तर आर्ट सहित विभिन्न कला के उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री शुरू, शिल्पकारों की जगी उम्मीदें

स्कूटी को बनाया स्कूल

उन्होंने बताया कि स्कूलों के बंद होने से उन्हें बच्चों की पढ़ाई के नुकसान की चिंता हुई, जिसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वे अपनी तीन पहिया स्कूटी को ही पाठशाला बनाएंगे. पतिराम अपनी स्कूटी में ही बच्चों को पढ़ाने का सारा सामान साथ रखते हैं और गांव में उन्हें जहां भी बच्चे मिल जाते हैं, उन्हें पेड़ के नीचे बैठाकर कोरोना संक्रमण के लिए जारी किये गए गाइडलाइन का पालन करते हुए पढ़ाते हैं.

in tokapal block of jagdalpur divyang teacher teaching children
गांव में घूम-घूम कर पढ़ाते हैं पतिराम

संकटकाल में भी बच्चों को मिल रही शिक्षा

पतिराम इस दौरान बच्चों को पढ़ाने के लिए जो चार्ट साथ रखते हैं, उसे अपनी गाड़ी में ही टांग देते हैं. पतिराम ने बताया कि कोरोना बीमारी के फैलने का डर बना हुआ है, पर इस दौरान ग्रामीणों ने भी बच्चों को पढ़ाने के लिए उनका भरपूर सहयोग किया है. बच्चों के परिजनों ने बताया कि स्कूलों के बंद होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने की चिंता थी, लेकिन शिक्षक पतिराम ने इस संकट काल में उनके बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी ले ली. पतिराम बच्चों को पढ़ाने के साथ ही ग्रामीणों को कोरोना महामारी की जानकारी देते हुए उन्हें इससे बचने के उपाय बताते हुए जागरूक भी करते हैं.

कोरोना महामारी ने देश की तमाम व्यवस्थाओं को ध्वस्त कर दिया है, ऐसे में प्रदेश की शिक्षा-व्यवस्था भी बुरी तरह चरमरा गई है. पूरे प्रदेश के स्कूल और कॉलेज को संक्रमण फैलने के डर से बंद कर दिया गया है. हालांकि अनलॉक 4 में अब 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं खोली जा रही हैं. स्कूल तो बंद हुए, लेकिन शिक्षकों की जिम्मेदारियां कम नहीं हुईं, बल्कि ये और बढ़ गईं. अब टीचर्स घर बैठे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं. कई स्कूलों में अब बच्चों को फोन के जरिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पढ़ाया जा रहा है.

जगदलपुर: बस्तर जिले के तोकापाल ब्लॉक के एक दिव्यांग शिक्षक पतिराम ने कोरोना संकटकाल के दौरान हर टीचर्स के लिए उदाहरण पेश किया है. ये दिव्यांग शिक्षक हर रोज अपनी तिपहिया गाड़ी से गांव पहुंचते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं.

गांव में घूम-घूमकर पढ़ाते हैं पतिराम

जगदलपुर जिले के तोकापाल ब्लॉक के सिंघनपुर गांव में हर रोज दिव्यांग शिक्षक अपनी तीनपहिया स्कूटी में घूमते हैं. इन्हें गांव में जहां भी पांच-दस बच्चे मिल जाते हैं, ये वहीं बच्चों को पढ़ाने लगते हैं. ये सिलसिला इस गांव में लॉकडाउन के बाद से स्कूलों को बंद करने के आदेश के बाद से चला आ रहा है. इस शिक्षक का नाम पतिराम राय है, जो सिंघनपुर विद्यालय में टीचर हैं. कोरोना महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के बाद बंद किए गए स्कूलों से प्रभावित शिक्षा-व्यवस्था को बचाने के लिए पतिराम लगातार परिश्रम कर रहे हैं.

दिव्यांग टीचर बने मिसाल

पढ़ें: EXCLUSIVE: बस्तर आर्ट सहित विभिन्न कला के उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री शुरू, शिल्पकारों की जगी उम्मीदें

स्कूटी को बनाया स्कूल

उन्होंने बताया कि स्कूलों के बंद होने से उन्हें बच्चों की पढ़ाई के नुकसान की चिंता हुई, जिसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वे अपनी तीन पहिया स्कूटी को ही पाठशाला बनाएंगे. पतिराम अपनी स्कूटी में ही बच्चों को पढ़ाने का सारा सामान साथ रखते हैं और गांव में उन्हें जहां भी बच्चे मिल जाते हैं, उन्हें पेड़ के नीचे बैठाकर कोरोना संक्रमण के लिए जारी किये गए गाइडलाइन का पालन करते हुए पढ़ाते हैं.

in tokapal block of jagdalpur divyang teacher teaching children
गांव में घूम-घूम कर पढ़ाते हैं पतिराम

संकटकाल में भी बच्चों को मिल रही शिक्षा

पतिराम इस दौरान बच्चों को पढ़ाने के लिए जो चार्ट साथ रखते हैं, उसे अपनी गाड़ी में ही टांग देते हैं. पतिराम ने बताया कि कोरोना बीमारी के फैलने का डर बना हुआ है, पर इस दौरान ग्रामीणों ने भी बच्चों को पढ़ाने के लिए उनका भरपूर सहयोग किया है. बच्चों के परिजनों ने बताया कि स्कूलों के बंद होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने की चिंता थी, लेकिन शिक्षक पतिराम ने इस संकट काल में उनके बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी ले ली. पतिराम बच्चों को पढ़ाने के साथ ही ग्रामीणों को कोरोना महामारी की जानकारी देते हुए उन्हें इससे बचने के उपाय बताते हुए जागरूक भी करते हैं.

कोरोना महामारी ने देश की तमाम व्यवस्थाओं को ध्वस्त कर दिया है, ऐसे में प्रदेश की शिक्षा-व्यवस्था भी बुरी तरह चरमरा गई है. पूरे प्रदेश के स्कूल और कॉलेज को संक्रमण फैलने के डर से बंद कर दिया गया है. हालांकि अनलॉक 4 में अब 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं खोली जा रही हैं. स्कूल तो बंद हुए, लेकिन शिक्षकों की जिम्मेदारियां कम नहीं हुईं, बल्कि ये और बढ़ गईं. अब टीचर्स घर बैठे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं. कई स्कूलों में अब बच्चों को फोन के जरिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पढ़ाया जा रहा है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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