जगदलपुर: बस्तर में नौनिहालों में बढ़ रहे कुपोषण के आंकड़े को कम करने के लिए सरकार की ओर से लगातार प्रयास किया जा रहा है. वहीं राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही सुपोषण योजना के तहत जिले के पोषण पुनर्वास केन्द्रों में कुपोषित बच्चों और परिजनों का खास ख्याल रखने के साथ ही आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को हफ्ते में तीन दिन अंडा और तीन दिन मूंगफल्ली और गुड के लड्डू दिए जा रहे हैं.
दरअसल बस्तर में बच्चों को उचित न्यूट्रीशियन युक्त खाना नहीं मिलने के कारण उनमें कुपोषण के लक्षण पाए गए थे, जिसको देखते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की सुपोषण योजना की शुरुआत की, जिसके तहत आंगनबाडी केन्द्रों में कुपोषित बच्चों के लिए तीन दिन अंडा और तीन दिन मूंगफली, गुड़ के लड्डू दिए जाने के साथ ही जिले के चार पोषण पुनर्वास केन्द्रों में इन बच्चों के इलाज के लिए बेहतर सुविधा के और इनके खानपान का खास ख्याल रखा जा रहा है.
परिजन कर रहे पहल की सराहना
वहीं बच्चों के परिजन भी सरकार के इस पहल की काफी सराहना कर रहे हैं. कुपोषित बच्चे की मां संगीता कश्यप ने बताया कि 'उनका बच्चा कुपोषण से गंभीर रूप से पीड़ित था जिसके बाद उसे पोषण पुनर्वास केंन्द्र में लाया गया. उसने बताया कि यहां लाने और इलाज के बाद काफी हद तक सुधार आया है'. उन्होंने यह भी बताया कि 'उनके बच्चों को समय से न्यूट्रीशियन युक्त भोजन भी दिया जा रहा है. वहीं बच्चों के परिजनों को भी प्रतिदिन 150 रूपये के हिसाब से 15 दिनों तक आर्थिक सहयोग राशि भी दिया जा रहा है'.
परियोजना अधिकारी ने दी जानकारी
परियोजना अधिकारी ने बताया कि 'अभी बस्तर जिले के 82 से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रों को चयनित किया गया है, जहां बच्चों में कुपोषण का प्रतिशत 45 से अधिक है. जहां पहले चरण में इस योजना से लगभग 1800 बच्चे लाभान्वित होंगे. वहीं दूसरा चरण भी जल्द ही शुरू किया जाएगा'. वहीं उन्होंने यह भी बताया कि 'बस्तर जिले के आंकड़ों पर नजर डाला जाए तो, लगभग 70 हजार में से 24 हजार बच्चे कुपोषित और 7 हजार बच्चे गंभीर कुपोषित हैं'. वहीं उन्होने बताया कि 'कुपोषण से लड़ने के लिए प्रशासन की ओर से 10 से अधिक योजनाएं संचालित की जा रही हैं. वहीं राज्य सरकार की सुपोषण योजना के तहत भी बच्चों को पुनर्वास केंन्द्र में पोषण आहार दिया जा रहा है'.
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अब देखना यह होगा कि बस्तर मे कुपोषण से लड़ने के लिए इतनी योजनाएं चलायी तो जा रही है लेकिन कुपोषण के प्रतिशत को कम करने मे यह योजनाएं कारगर साबित हो पाती है या नहीं.