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पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने बोधघाट परियोजना पर उठाए सवाल

पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरविंद नेताम ने राज्य सरकार की बोधघाट बहुद्देशीय परियोजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने परियोजना के लिए सरकार को ग्राम पंचायतों से अनुमति लेने की भी बात कही है.

Former Union Minister Arvind Netam
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम
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Published : Jul 25, 2020, 11:00 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरविंद नेताम ने राज्य सरकार की बोधघाट बहुद्देशीय परियोजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अरविंद नेताम ने बोधघाट परियोजना के तहत 6 लाख एकड़ में सिंचाई का फायदा नहीं मिल पाने का दावा किया है. साथ ही परियोजना से प्रभावित हो रहे लोगों के विस्थापन पर भी कई सवाल खड़े किए हैं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम

अरविंद नेताम ने कहा कि आज से 40 साल पहले केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार रहने के दौरान इस बहुद्देशीय बोधघाट परियोजना का शुभारंभ किया गया था. जिसके बाद इस परियोजना में कई तरह की अड़चनें आईं, जिसके वे खुद गवाह हैं. राज्य सरकार ने इस बोधघाट परियोजना के लिए पिछले महीने ही एक बैठक रखी थी, जिसमें उन्हें भी बुलाया गया था. मुख्यमंत्री ने इस बैठक में बताया कि बोधघाट परियोजना से 6 लाख एकड़ में रबी और खरीफ फसलों के उत्पादन के दौरान सिंचाई का फायदा मिलेगा. साथ ही 300 मेगावाट बिजली का भी उत्पादन होगा.

पूर्व CM रमन का मुख्यमंत्री भूपेश को पत्र- 'राज्य में पीएम आवास योजना को बंद कर रही सरकार'

6 लाख एकड़ में सिंचाई संभव नहीं: नेताम

अरविंद नेताम ने इस पर शंका जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री को भी बताया कि इस परियोजना से 6 लाख एकड़ में सिंचाई संभव नहीं है, केवल बिजली उत्पादन ही हो सकता है, क्योंकि बोधघाट में आधे से ज्यादा जमीन वन विभाग की है और कुछ हिस्सा ही राजस्व विभाग का है. उनमें भी आदिवासियों का बेजा कब्जा है. साल 1978 के दौरान भी राजीव गांधी ने इस योजना के तहत वनभूमि देने से इनकार कर दिया था और फिर यह योजना अधर में अटक गई थी. वर्तमान में भी राजस्व विभाग की टीम ने फील्ड का दौरा नहीं किया है और ना ही इस पर सही तरीके से सर्वे किया गया है. अरविंद नेताम ने कहा कि राज्य सरकार इस परियोजना के लिए जल्दबाजी कर रही है. इसके लिए बस्तर के स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनाकर बिना जानकारों से चर्चा किए हड़बड़ी करना समझ से परे है.

questions on Bodhghat project
बोधघाट परियोजना पर सवाल

ग्राम सभाओं से अनुमति ले सरकार: नेताम

अरविंद नेताम ने प्रभावितों के विस्थापन को लेकर भी कई सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि बोधघाट परियोजना के लिए सरकार को संसद की ओर से पारित 4 कानूनों से गुजरना पड़ेगा और सबसे मुख्य पेसा कानून के तहत ग्रामसभा से अनुमति लेनी पड़ेगी, लेकिन पहले ही यहां के आदिवासी इस परियोजना का विरोध कर चुके हैं और वर्तमान में भी कर रहे हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि पहले ग्रामीणों को विश्वास में लेकर और ग्राम सभा में इस परियोजना को पास करवाकर आगे बढ़े, तभी यह परियोजना आने वाले समय में सफल हो सकती है.

जगदलपुर: पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरविंद नेताम ने राज्य सरकार की बोधघाट बहुद्देशीय परियोजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अरविंद नेताम ने बोधघाट परियोजना के तहत 6 लाख एकड़ में सिंचाई का फायदा नहीं मिल पाने का दावा किया है. साथ ही परियोजना से प्रभावित हो रहे लोगों के विस्थापन पर भी कई सवाल खड़े किए हैं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम

अरविंद नेताम ने कहा कि आज से 40 साल पहले केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार रहने के दौरान इस बहुद्देशीय बोधघाट परियोजना का शुभारंभ किया गया था. जिसके बाद इस परियोजना में कई तरह की अड़चनें आईं, जिसके वे खुद गवाह हैं. राज्य सरकार ने इस बोधघाट परियोजना के लिए पिछले महीने ही एक बैठक रखी थी, जिसमें उन्हें भी बुलाया गया था. मुख्यमंत्री ने इस बैठक में बताया कि बोधघाट परियोजना से 6 लाख एकड़ में रबी और खरीफ फसलों के उत्पादन के दौरान सिंचाई का फायदा मिलेगा. साथ ही 300 मेगावाट बिजली का भी उत्पादन होगा.

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6 लाख एकड़ में सिंचाई संभव नहीं: नेताम

अरविंद नेताम ने इस पर शंका जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री को भी बताया कि इस परियोजना से 6 लाख एकड़ में सिंचाई संभव नहीं है, केवल बिजली उत्पादन ही हो सकता है, क्योंकि बोधघाट में आधे से ज्यादा जमीन वन विभाग की है और कुछ हिस्सा ही राजस्व विभाग का है. उनमें भी आदिवासियों का बेजा कब्जा है. साल 1978 के दौरान भी राजीव गांधी ने इस योजना के तहत वनभूमि देने से इनकार कर दिया था और फिर यह योजना अधर में अटक गई थी. वर्तमान में भी राजस्व विभाग की टीम ने फील्ड का दौरा नहीं किया है और ना ही इस पर सही तरीके से सर्वे किया गया है. अरविंद नेताम ने कहा कि राज्य सरकार इस परियोजना के लिए जल्दबाजी कर रही है. इसके लिए बस्तर के स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनाकर बिना जानकारों से चर्चा किए हड़बड़ी करना समझ से परे है.

questions on Bodhghat project
बोधघाट परियोजना पर सवाल

ग्राम सभाओं से अनुमति ले सरकार: नेताम

अरविंद नेताम ने प्रभावितों के विस्थापन को लेकर भी कई सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि बोधघाट परियोजना के लिए सरकार को संसद की ओर से पारित 4 कानूनों से गुजरना पड़ेगा और सबसे मुख्य पेसा कानून के तहत ग्रामसभा से अनुमति लेनी पड़ेगी, लेकिन पहले ही यहां के आदिवासी इस परियोजना का विरोध कर चुके हैं और वर्तमान में भी कर रहे हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि पहले ग्रामीणों को विश्वास में लेकर और ग्राम सभा में इस परियोजना को पास करवाकर आगे बढ़े, तभी यह परियोजना आने वाले समय में सफल हो सकती है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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