जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस ने हाहाकार मचा रखा है. जिससे निपटने के लिए सरकार लगातार बेहतर स्वास्थ्य-व्यवस्था का दावा कर रही है. इसके लिए प्रदेश सरकार ने कई अस्पतालों को भी अलग से निर्देश दिए हैं. इसी के तहत बस्तर जिले के डिमरापाल मेडिकल कॉलेज में भी कोरोना वायरस के इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, लेकिन यहां लचर व्यवस्था के कारण स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल स्टॉफ अक्सर विवादों में घिरा रहता है. बस्तर में स्वास्थ्य सुविधा कितनी बेहतर है और स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना के इलाज के लिए कैसे इंतजाम किए हैं, इस पर ETV भारत की टीम ने जमीनी हालातों का जायजा लिया.
ETV भारत को मिले आंकड़ों के मुताबिक
- डिमरापाल में मेडिकल कॉलेज में 500 बेड
- महारानी अस्पताल में 100 बेड
- भानपुरी के अस्पताल में 30 बेड
- 7 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज की सुविधा
- 37 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज की सुविधा
बस्तर में 300 से ज्यादा लोग स्वास्थ्य विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जिसमें 10 विशेषज्ञ डिमरापाल अस्पताल में, 6 विशेषज्ञ महारानी अस्पताल में और 4 विशेषज्ञ भानपुरी अस्पताल में पदस्थ हैं. इसके अलावा जिलेभर में 30 एंबुलेंस चलाई जा रही है. वहीं इन तीनों अस्पताल में कुल 18 वेंटिलेटर की सुविधा भी है.
पड़ताल के दौरान मिली ये खामियां
- अस्पतालों में MRI की सुविधा नहीं
- टेलीमेडिसिन मशीन भी बंद पड़ी है
- 80 से ज्यादा नर्सों के पद खाली
- 10 से ज्यादा विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद खाली
- 12 से ज्यादा एंबुलेंस खराब पड़ी है
इसके अलावा सिटी स्कैन मशीन और अन्य उपकरण के संचालन के लिए टेक्नीशियन की पद भी खाली पड़े है और भर्ती नहीं हो सकी है. वही वार्ड बॉय और ओपीडी में अपनी सेवाएं देने के लिए ऑपरेटरों के स्टाफ की भी कमी है. अब तक भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है. कुल सभी पदों को मिलाकर 130 से ज्यादा पद अस्पतालों में रिक्त पड़े है. जिसमे सबसे ज्यादा भानपुरी अस्पताल, महारानी अस्पताल और बकावंड अस्पताल में स्टाफ की कमी है.
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महारानी अस्पताल में सिर्फ 100 बेड
जगदलपुर शहर में स्थित महारानी अस्पताल में 300 मरीजों के लिए ओपीडी की सुविधा है, लेकिन मात्र 100 बेड होने की वजह से यहां लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. आए दिन अस्पताल की क्षमता से ज्यादा मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं. डिमरापाल अस्पताल शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर होने की वजह से शहर के अधिकांश लोग महारानी अस्पताल में ही इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं.
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पीपीई किट की कमी
कोरोना संक्रमण से लड़ने का सरकार दावा कर रही है, लेकिन हकिकत ये है कि बस्तर के इन अस्पतालों में सही संख्या में पीपीई किट तक की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में अस्पताल के स्टॉफ कोविड-19 वार्ड में भी जाने से कतराते हैं, जबकि सरकार 'ऑल इज वेल' का राग अलाप रही है.