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कोरोना ने किया 'बंटाधार', नगर निगम को अच्छे दिनों का इंतजार

कोरोना वायरस और इसकी वजह से किए गए लॉकडाउन ने नगर निगम का खजाना खाली कर दिया है. आलम यह है कि कर्मचारियों को सैलरी देने में भी नगर निगम को परेशानी हो रही है.

Jagdalpur Municipal Corporation
जगदलपुर नगर निगम
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Published : Jun 18, 2020, 11:08 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: कोरोना महामारी के बाद लगाए गए लॉकडाउन और उसके बाद आई आर्थिक मंदी ने आम आदमी के साथ-साथ सरकारी विभागों और निकायों की भी कमर तोड़कर रख दी है. आम आदमी और निजी संस्थानों को तो छोड़िए सरकारी विभाग और निकायों को अपने कर्मचारियों को वेतन देने में पसीना छूट रहा है.

नगर निगम को अच्छे दिनों का इंतजार

अब जगदलपुर नगर निगम का ही उदहरण ले लीजिए, पिछले तीन महीने से अपने कर्मचारियों को तन्ख्वाह देने में निगम को नाको चने चबाने पड़ रहे हैं. इसके पीछे की वजह कोरोना महामारी के कारण संपत्ति कर, नल कर और शहर के दुकानों से लिए जाने वाले टैक्स वसूली पर लोगों को दी जाने वाली रियायत को बताया जा रहा है, जिसकी वजह से नगर निगम की तिजोरी खाली हो गई है.

नए टेंडर नहीं हुए जारी

जगदलपुर नगर निगम के अंतर्गत 48 वार्ड आते हैं और नगरीय निकाय चुनाव संपन्न होने के बाद 6 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक नगर निगम ने नए टेंडर जारी नहीं किए हैं, बल्की पुराने टेंडरों पर ही काम चल रहा है. इसकी मुख्य वजह निगम की जेब में रुपयों की कमी को बताया जा रहा है. बता दें कि जगदलपुर नगर निगम की आय का एक बड़ा हिस्सा शहरवासियों से वसूले जाने वाले टैक्स से आता है, लेकिन कोरोना महामारी के वजह से पिछले 3 महीनों से कर वसूली में लोगों को काफी रियायत दी गईं और अब आलम यह है कि निगम को 3 हजार से अधिक बकायदारों से कर वसूली होनी बाकी है, जिसकी कुल रकम करीब एक करोड़ रुपये है.

टैक्स वसूली की तैयारी शुरू

महापौर का कहना है कि निश्चित तौर पर कोरोना महामारी की वजह से जगदलपुर नगर निगम में भी आर्थिक संकट गहरा हो गया है. निगम संपत्ति कर ,नल कर और शहर की दुकानों से लिए जाने वाले टैक्स पर ही निर्भर है. लेकिन कोरोना महामारी के वजह से नगर निगम को काफी राजस्व का नुकसान हुआ है. हालांकि महापौर का कहना है कि बकायदारों को 30 अप्रैल तक संपत्ति कर चुकाने की मोहलत दी गई थी, जिसे एक महीना बढ़ाकर 31 मई कर दी गई थी. लेकिन इसके बावजूद शहर के ऐसे 3 हजार से भी अधिक बकायेदार हैं, जिन्होंने टैक्स नहीं चुकाया है, लिहाजा अब नगर निगम इन पर सख्ती बरतेगी और इनकी ओर से चुकाने वाले टैक्स में 10% ब्याज जोड़कर कर की वसूली करेगी और इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी गई है.

अधिकारी करेंगे टैक्स वसूली

हालांकि महापौर का कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से नगर निगम को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए जनता पर कोई नया कर नहीं लगाया जाएगा और बचे हुए संपत्ति कर और नल कर की वसूली निगम के अधिकारियों की ओर से की जाएगी.

विपक्ष ने साधा निशाना

जहां एक ओर नगर निगम अपनी खराब माली हालत के लिए कोरोना वायरस और इसकी वजह से बंद हुई आर्थिक गतिविधियों को बता रहा है, वहीं दूसरी और विपक्ष इसे उसकी नाकामी और विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए वादे को बता रहा है.

विपक्ष ने वादे को बताया जिम्मेदार

विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा है कि राज्य सरकार ने चुनाव के समय यह घोषणा किया था कि संपत्ति कर 50% कम कर दिया जाएगा, जिससे कि आम जनता पर संपत्ति कर का बोझ ना बढ़े इसके अलावा जिस तरह से आज देश कोरोना महामारी की वजह से संकट काल से गुजर रहा है ऐसे में आम जनता सरकार से यही उम्मीद लगाए बैठी है और असमंजस की स्थिति में है कि उनका 50% संपत्ति कर भी माफ कर दिया जाएगा. लेकिन इसे लेकर निगम के पदाधिकारी भी अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाए हैं. हालांकि नगर निगम में विपक्ष के नेता संजय पांडे का कहना है कि निगम के अधिकारी टैक्स वसूली करने में काफी लेटलतीफी बरत रहे हैं और समय पर कार्य नहीं करने की वजह से निगम में काम कर रहे प्लेसमेंट कर्मचारियों को और यहां तक कि रेगुलर कर्मचारियों को मासिक भुगतान करने के लिए जूझना पड़ रहा है. संजय पांडे ने कहा कि अगर नगर निगम की यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में नगर निगम को माली हालत के दौर से गुजारना पड़ सकता है.

निगम को अच्छे दिनों का इंतजार

आर्थिक तंगी से जूझ रहे नगर निगम को उम्मीद है कि टैक्स की वसूली शुरू होने के बाद धीरे-धीरे उसकी आर्थिक स्थिति ठीक हो जाएगी. अब देखना यह होगा कि नगर निगम कब तक इस आर्थिक नुकसान से पार पाता है और कब उसके अच्छे दिन आते हैं.

जगदलपुर: कोरोना महामारी के बाद लगाए गए लॉकडाउन और उसके बाद आई आर्थिक मंदी ने आम आदमी के साथ-साथ सरकारी विभागों और निकायों की भी कमर तोड़कर रख दी है. आम आदमी और निजी संस्थानों को तो छोड़िए सरकारी विभाग और निकायों को अपने कर्मचारियों को वेतन देने में पसीना छूट रहा है.

नगर निगम को अच्छे दिनों का इंतजार

अब जगदलपुर नगर निगम का ही उदहरण ले लीजिए, पिछले तीन महीने से अपने कर्मचारियों को तन्ख्वाह देने में निगम को नाको चने चबाने पड़ रहे हैं. इसके पीछे की वजह कोरोना महामारी के कारण संपत्ति कर, नल कर और शहर के दुकानों से लिए जाने वाले टैक्स वसूली पर लोगों को दी जाने वाली रियायत को बताया जा रहा है, जिसकी वजह से नगर निगम की तिजोरी खाली हो गई है.

नए टेंडर नहीं हुए जारी

जगदलपुर नगर निगम के अंतर्गत 48 वार्ड आते हैं और नगरीय निकाय चुनाव संपन्न होने के बाद 6 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक नगर निगम ने नए टेंडर जारी नहीं किए हैं, बल्की पुराने टेंडरों पर ही काम चल रहा है. इसकी मुख्य वजह निगम की जेब में रुपयों की कमी को बताया जा रहा है. बता दें कि जगदलपुर नगर निगम की आय का एक बड़ा हिस्सा शहरवासियों से वसूले जाने वाले टैक्स से आता है, लेकिन कोरोना महामारी के वजह से पिछले 3 महीनों से कर वसूली में लोगों को काफी रियायत दी गईं और अब आलम यह है कि निगम को 3 हजार से अधिक बकायदारों से कर वसूली होनी बाकी है, जिसकी कुल रकम करीब एक करोड़ रुपये है.

टैक्स वसूली की तैयारी शुरू

महापौर का कहना है कि निश्चित तौर पर कोरोना महामारी की वजह से जगदलपुर नगर निगम में भी आर्थिक संकट गहरा हो गया है. निगम संपत्ति कर ,नल कर और शहर की दुकानों से लिए जाने वाले टैक्स पर ही निर्भर है. लेकिन कोरोना महामारी के वजह से नगर निगम को काफी राजस्व का नुकसान हुआ है. हालांकि महापौर का कहना है कि बकायदारों को 30 अप्रैल तक संपत्ति कर चुकाने की मोहलत दी गई थी, जिसे एक महीना बढ़ाकर 31 मई कर दी गई थी. लेकिन इसके बावजूद शहर के ऐसे 3 हजार से भी अधिक बकायेदार हैं, जिन्होंने टैक्स नहीं चुकाया है, लिहाजा अब नगर निगम इन पर सख्ती बरतेगी और इनकी ओर से चुकाने वाले टैक्स में 10% ब्याज जोड़कर कर की वसूली करेगी और इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी गई है.

अधिकारी करेंगे टैक्स वसूली

हालांकि महापौर का कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से नगर निगम को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए जनता पर कोई नया कर नहीं लगाया जाएगा और बचे हुए संपत्ति कर और नल कर की वसूली निगम के अधिकारियों की ओर से की जाएगी.

विपक्ष ने साधा निशाना

जहां एक ओर नगर निगम अपनी खराब माली हालत के लिए कोरोना वायरस और इसकी वजह से बंद हुई आर्थिक गतिविधियों को बता रहा है, वहीं दूसरी और विपक्ष इसे उसकी नाकामी और विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए वादे को बता रहा है.

विपक्ष ने वादे को बताया जिम्मेदार

विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा है कि राज्य सरकार ने चुनाव के समय यह घोषणा किया था कि संपत्ति कर 50% कम कर दिया जाएगा, जिससे कि आम जनता पर संपत्ति कर का बोझ ना बढ़े इसके अलावा जिस तरह से आज देश कोरोना महामारी की वजह से संकट काल से गुजर रहा है ऐसे में आम जनता सरकार से यही उम्मीद लगाए बैठी है और असमंजस की स्थिति में है कि उनका 50% संपत्ति कर भी माफ कर दिया जाएगा. लेकिन इसे लेकर निगम के पदाधिकारी भी अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाए हैं. हालांकि नगर निगम में विपक्ष के नेता संजय पांडे का कहना है कि निगम के अधिकारी टैक्स वसूली करने में काफी लेटलतीफी बरत रहे हैं और समय पर कार्य नहीं करने की वजह से निगम में काम कर रहे प्लेसमेंट कर्मचारियों को और यहां तक कि रेगुलर कर्मचारियों को मासिक भुगतान करने के लिए जूझना पड़ रहा है. संजय पांडे ने कहा कि अगर नगर निगम की यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में नगर निगम को माली हालत के दौर से गुजारना पड़ सकता है.

निगम को अच्छे दिनों का इंतजार

आर्थिक तंगी से जूझ रहे नगर निगम को उम्मीद है कि टैक्स की वसूली शुरू होने के बाद धीरे-धीरे उसकी आर्थिक स्थिति ठीक हो जाएगी. अब देखना यह होगा कि नगर निगम कब तक इस आर्थिक नुकसान से पार पाता है और कब उसके अच्छे दिन आते हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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