बस्तर: पूरे विश्व में क्रिसमस पर्व को लेकर लोगों में उत्साह देखने को मिल रहा है. बात अगर बस्तर की करें तो यहां भी क्रिसमस पर्व को लेकर मसीह समाज के लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. दिसंबर माह के शुरुआती दिनों से ही क्रिसमस की तैयारी में लोग जुट जाते हैं. क्रिसमस पर्व के पहले विभिन्न कार्यक्रम मसीह समाज के लोगों के द्वारा आयोजित किया जा रहा है. इस दौरान चर्च की सजावट बेहद खास होती है.
कैरोल सॉन्ग है बेहद खास: क्रिसमस में चर्च की सजावट से लेकर कैरोल सिंगिंग, आराधना, ड्रामा, गीत-संगीत प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है, ताकि छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग इस कार्यक्रम का लुफ्त उठा सके. क्रिसमस पर्व की खुशियों में कैरोल सिंगिंग का खास महत्व होता है. कैरोल सिंगिंग आराधना को एक अलग ही मोड़ दे देती है. ये गीत क्रिसमस की खुशियों को दुगनी कर देती है. रात के समय दर्जनों की संख्या में कैरोल सिंगिंग के सदस्यों के द्वारा घर-घर जाकर गीत संगीत के माध्यम से प्रभु यीशु की आराधना की जाती है. इस दौरान सांता क्लॉज बनकर घर के लोगों को तोहफा दिया जाता है. कैरोल सिंगिंग के सदस्यों के द्वारा नाचते गाते और झूमते हुए मसीह समाज के प्रत्येक लोगों के घरों तक पहुंचते हैं. गीत संगीत के माध्यम से आराधना करने के बाद परिवार के सदस्यों के लिए प्रभु यीशु मसीह से विशेष प्रार्थना की जाती है.
हर वर्ग के लोग होते हैं शामिल: इस बारे में बस्तर के मसीह समाज के सदस्य संतोष मरकाम ने बताया कि, "जब चर्च के सदस्य कैरोल सिंगिंग के माध्यम से घरों तक पहुंचते हैं. जन्मदिन के सुसमाचार को सुनाते हैं. तो बड़े ही आंनद के साथ कैरोल टीम का स्वागत किया जाता है. इसके बाद प्रभु के गीतों को गाकर प्रार्थना किया जाता है. इसके बाद सभी सदस्यों के घरों में बनाए गए विभिन्न प्रकार के पकवानों को उन्हें परोसा जाता है. इस दौरान आराधना में छोटे बच्चे से बड़े बुजुर्ग वर्ग के लोग शामिल रहते हैं.
कैरोल का मतलब आंनद का गीत होता है. बाइबल के अनुसार जब गड़रिये रात के समय भेड़ों को चरा रहे थे. उस दौरान स्वर्ग से स्वर्गदूत नीचे उतरे और एक शुभ संदेश दिया कि तुम्हारे लिए एक उद्धारकर्ता जन्मा है. अर्थात यीशु मसीह. इसी सुसमाचार को लेकर तमाम घरों तक पहुंचते हैं. जो सुसमाचार उन्हें मिला है. वे अन्य लोगों को भी बता सकें. ताकि हर एक लोग इस उद्धार के पर्व में शामिल हो. यह उत्सव दिसंबर महीने के पहले सप्ताह से शुरू होता है. जो महीने के अंत तक चलता है. -वीरेंद्र नाथ, पास्टर, मेथोडिस्ट एस्पिस्कोपल चर्च केशलूरू
बता दें कि क्रिसमस को लेकर पूरे विश्व भर के लोगों में उत्साह है. इस उत्साह को कैरोल सान्ग और भी बढ़ा देता है.