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GPM Farmers Upset : छत्तीसगढ़ से इस बार छिन सकता है धान का कटोरा होने का तमगा ! - गौरेला पेंड्रा मरवाही में धान की पैदावार

Gaurela Pendra Marwahi Rain गौरेला पेंड्रा मरवाही में अब तक 38 फीसदी कम बारिश हुई है. इससे अब तक 16000 से ज्यादा हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई नहीं हो सकी है. बारिश नहीं होने से एक तरफ अन्नदाता परेशान हैं तो दूसरी तरफ कृषि विभाग कम पानी में तैयार होने वाली फसल लगाने की सलाह दे रहा है. Chhattisgarh News

Gaurela Pendra Marwahi Rain
गौरेला पेंड्रा मरवाही में धान की पैदावार
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Published : Jul 29, 2023, 11:13 AM IST

Updated : Jul 29, 2023, 5:40 PM IST

छिन सकता है धान का कटोरा होने का तमगा

गौरेला पेंड्रा मरवाही: जिले में कम बारिश से किसान परेशान हैं. किसानों ने धान की रोपाई तो कर दी है लेकिन अच्छी बारिश नहीं होने से खेतों में दरारें पड़ गई है. जिन खेतों में पानी के लिए मोटर पंप लगे हैं उन खेतों में धान की फसल की हालत ठीक दिख रही है लेकिन जो किसान बारिश के भरोसे हैं वे सिर पकड़ कर बैठे हुए हैं.

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां कुल कृषि रकबे के 88 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्र में सिर्फ धान की फसल पैदा की जाती है. इसके साथ ही धान की लगभग 20000 से ज्यादा किस्मों का उत्पादन यहां के अलग अलग क्षेत्र में होता है. लेकिन हो सकता है कि इस बार छत्तीसगढ़ से धान का कटोरा का तमगा छिन जाए. इसकी वजह है कि प्रदेश के कई जिलों में अब तक धान की ठीक से रोपाई भी नहीं हो सकी है. कुछ क्षेत्रों में रोपाई हुई लेकिन बारिश नहीं होने से खेत सूखने लगे हैं.

खेतों में पड़ी दरारें: ऐसा ही हाल गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में भी देखने को मिल रहा है. 23 जून को प्रदेश में मानसून सक्रिय होने के बाद गौरेला पेंड्रा मरवाही में भी अच्छी बारिश हुई. बारिश शुरू होते ही किसान भी काम में जुट गए. धान का थरहा तैयार किया गया. खेतों में बुवाई शुरू हुई. मानसून आने के बाद अच्छी बारिश से खेत में पानी भरा हुआ था. बुवाई के बाद थरहा भी मजबूती से खड़ा हो गया. लेकिन बीते 15 दिनों से जिले में बारिश नहीं हुई, जिससे अब धान के खेतों में दरारें पड़ गई है.

कितनी हुई बारिश: जिला कृषि विभाग के मुताबिक इस साल जुलाई तक 310 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई है जबकि साल 2022 में जुलाई महीने के आखिर तक 512 मिलीमीटर बारिश हुई थी. बीते साल से 195 मिलीमीटर कम बारिश हुई है. यानी पिछले साल के मुकाबले इस साल 38 प्रतिशत कम बारिश हुई हैं.

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धान की फसल का लक्ष्य नहीं हुआ पूरा: कृषि विभाग ने इस साल 51700 हेक्टेयर में धान की फसल का लक्ष्य निर्धारित किया था. 35670 हेक्टेयर में रोपा लग चुका है. कम बारिश की वजह से लगभग 16030 हेक्टेयर में धान की बुवाई बाकी है.

बारिश के इस अंतर से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसान कितने परेशान होंगे. किसानों का कहना है कि बारिश नहीं होने से गहरे खेतों में ही रोपाई और बुवाई हो पाई है. कम गहरे खेतों में किसान जोताई करके खेत तैयार करके बारिश का इंतजार कर रहे हैं.

पानी गिर ही नहीं रहा है. जिनके खेतों में पंप है उनके खेतों में बुवाई हुई है. बाकी किसान परेशान हैं. बारिश का इंतजार है. -सुखदेव सिंह, किसान

थोड़ा थोड़ा पानी गिर रहा है. ज्यादा नहीं गिर रहा है. ऐसे में फसल नहीं हो पाएगी- जोहान सिंह, किसान

धान का थरहा खेत में पड़ा है. थोड़ी बहुत जो बुवाई हुई है वो भी सूखने की कगार पर है-संतोष कुमार, किसान

कृषि विभाग की सलाह: कम बारिश को देखते हुए कृषि विभाग ने किसानों को कम दिनों में तैयार होने वाली धान की फसल लगाने का सुझाव दिया है. पर यह सिर्फ सुझाव मात्र है, किसान के पास ऐसे बीज उपलब्ध ही नहीं हैं.

कम बारिश में धान की कतार बोनी, खुर्रा बोनी, या फिर कम अवधि वाली फसलें लगाने की सलाह दी जा रही है. एस के सिंह, एसडीओ, कृषि

पहले चरण में मानसून किसानों के साथ आंख मिचौली की खेल खेल रहा है. लेकिन हमारे देश का किसान उम्मीद कभी नहीं छोड़ता, इसलिए किसानों को उम्मीद है कि आने वाले समय में अच्छी बारिश होगी और इस बारिश से उसके माथे पर पड़ी चिंता की लकीरें साफ हो जाएगी.

छिन सकता है धान का कटोरा होने का तमगा

गौरेला पेंड्रा मरवाही: जिले में कम बारिश से किसान परेशान हैं. किसानों ने धान की रोपाई तो कर दी है लेकिन अच्छी बारिश नहीं होने से खेतों में दरारें पड़ गई है. जिन खेतों में पानी के लिए मोटर पंप लगे हैं उन खेतों में धान की फसल की हालत ठीक दिख रही है लेकिन जो किसान बारिश के भरोसे हैं वे सिर पकड़ कर बैठे हुए हैं.

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां कुल कृषि रकबे के 88 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्र में सिर्फ धान की फसल पैदा की जाती है. इसके साथ ही धान की लगभग 20000 से ज्यादा किस्मों का उत्पादन यहां के अलग अलग क्षेत्र में होता है. लेकिन हो सकता है कि इस बार छत्तीसगढ़ से धान का कटोरा का तमगा छिन जाए. इसकी वजह है कि प्रदेश के कई जिलों में अब तक धान की ठीक से रोपाई भी नहीं हो सकी है. कुछ क्षेत्रों में रोपाई हुई लेकिन बारिश नहीं होने से खेत सूखने लगे हैं.

खेतों में पड़ी दरारें: ऐसा ही हाल गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में भी देखने को मिल रहा है. 23 जून को प्रदेश में मानसून सक्रिय होने के बाद गौरेला पेंड्रा मरवाही में भी अच्छी बारिश हुई. बारिश शुरू होते ही किसान भी काम में जुट गए. धान का थरहा तैयार किया गया. खेतों में बुवाई शुरू हुई. मानसून आने के बाद अच्छी बारिश से खेत में पानी भरा हुआ था. बुवाई के बाद थरहा भी मजबूती से खड़ा हो गया. लेकिन बीते 15 दिनों से जिले में बारिश नहीं हुई, जिससे अब धान के खेतों में दरारें पड़ गई है.

कितनी हुई बारिश: जिला कृषि विभाग के मुताबिक इस साल जुलाई तक 310 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई है जबकि साल 2022 में जुलाई महीने के आखिर तक 512 मिलीमीटर बारिश हुई थी. बीते साल से 195 मिलीमीटर कम बारिश हुई है. यानी पिछले साल के मुकाबले इस साल 38 प्रतिशत कम बारिश हुई हैं.

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धान की फसल का लक्ष्य नहीं हुआ पूरा: कृषि विभाग ने इस साल 51700 हेक्टेयर में धान की फसल का लक्ष्य निर्धारित किया था. 35670 हेक्टेयर में रोपा लग चुका है. कम बारिश की वजह से लगभग 16030 हेक्टेयर में धान की बुवाई बाकी है.

बारिश के इस अंतर से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसान कितने परेशान होंगे. किसानों का कहना है कि बारिश नहीं होने से गहरे खेतों में ही रोपाई और बुवाई हो पाई है. कम गहरे खेतों में किसान जोताई करके खेत तैयार करके बारिश का इंतजार कर रहे हैं.

पानी गिर ही नहीं रहा है. जिनके खेतों में पंप है उनके खेतों में बुवाई हुई है. बाकी किसान परेशान हैं. बारिश का इंतजार है. -सुखदेव सिंह, किसान

थोड़ा थोड़ा पानी गिर रहा है. ज्यादा नहीं गिर रहा है. ऐसे में फसल नहीं हो पाएगी- जोहान सिंह, किसान

धान का थरहा खेत में पड़ा है. थोड़ी बहुत जो बुवाई हुई है वो भी सूखने की कगार पर है-संतोष कुमार, किसान

कृषि विभाग की सलाह: कम बारिश को देखते हुए कृषि विभाग ने किसानों को कम दिनों में तैयार होने वाली धान की फसल लगाने का सुझाव दिया है. पर यह सिर्फ सुझाव मात्र है, किसान के पास ऐसे बीज उपलब्ध ही नहीं हैं.

कम बारिश में धान की कतार बोनी, खुर्रा बोनी, या फिर कम अवधि वाली फसलें लगाने की सलाह दी जा रही है. एस के सिंह, एसडीओ, कृषि

पहले चरण में मानसून किसानों के साथ आंख मिचौली की खेल खेल रहा है. लेकिन हमारे देश का किसान उम्मीद कभी नहीं छोड़ता, इसलिए किसानों को उम्मीद है कि आने वाले समय में अच्छी बारिश होगी और इस बारिश से उसके माथे पर पड़ी चिंता की लकीरें साफ हो जाएगी.

Last Updated : Jul 29, 2023, 5:40 PM IST
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