गौरेला पेंड्रा मरवाही : केंद्रीय मद से गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के धनौली गांव में विशेष संरक्षित जनजाति बैगा आवासीय स्कूल चलाया जा रहा है. इस स्कूल को आज से तीन साल पहले खोला गया, ताकि जिले के आदिवासी बैगा जनजाति के बच्चों को शिक्षित किया जा सका. तीन साल बाद अब इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे कंप्यूटर पर उंगलियां फेर रहे हैं. जो इस बात का सूचक है कि शिक्षा से नामुमकिन को मुमकिन किया जा सकता है.
पहली कक्षा से दी जा रही कंप्यूटर की शिक्षा : धनौली गांव में खोले गए आवासीय स्कूल का लक्ष्य अब पूरा हो रहा है.जिन बैगा आदिवासियों ने कभी स्कूल का मुंह तक नहीं देखा था,आज उनके बच्चे बड़े सिटी के प्राइवेट स्कूल की तर्ज पर बने आवासीय विद्यालय में शिक्षित हो रहे हैं. केंद्रीय मद से संचालित विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा विद्यालय में पिछले तीन साल से पहली से आठवीं तक की पढ़ाई कराई जा रही है. विशेष शिक्षा का असर अब बच्चों में दिखने लगा है. सामान्य शिक्षा के अलावा इन बच्चों को कक्षा पहली से कंप्यूटर की जानकारी भी दी जा रही है.आज बच्चे एमएस ऑफिस और पेंट टूल की मदद से कई तरह के सॉफ्टवेयर की जानकारी रखते हैं.
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बच्चों का हुनर देखकर हर कोई हैरान : बच्चे ठीक तरीके से पढ़ सके इसके लिए इनकी रहने की व्यवस्था भी स्कूल में की गई है.आवासीय स्कूल की शैक्षणिक वातावरण को देखकर आपको जरा भी नहीं लगेगा कि ये स्कूल एक गांव में संचालित हो रहा है.साफ सुथरे कमरे, छात्र-छात्राओं के यूनिफॉर्म और क्लास रूम सब कुछ शहर के किसी स्कूल की तर्ज पर विकसित किए गए हैं. ईटीवी भारत की टीम जब मौके पर पहुंची तो बच्चों से कंप्यूटर में तिरंगा बनाने को कहा.पलक झपकते ही एक बैगा आदिवासी छात्र ने कंप्यूटर के की बोर्ड में उंगलियां फेरी और हमारे सामने तिरंगा हाजिर था.
स्कूल में कितने बच्चों को दी जा रही शिक्षा ? : विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा आदिवासियों को शिक्षित करने के लिए शुरु किए गए बैगा आदिवासी स्कूल में120 बच्चे पढ़ रहे हैं. केंद्रीय मद से प्रति छात्र 85 हजार हर साल केंद्र से मिलता है.ताकि बच्चों के खाने पीने,रहने, यूनिफॉर्म और स्टेशनरी में मदद हो सके.अभी तक ये स्कूल प्रोबेशनरी शिक्षकों के भरोसे संचालित होता है.शिक्षकों के चले जाने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है. हालांकि सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग का कहना है कि जल्द ही विद्यालय को मिलने वाले पैसे से ही नए शिक्षकों की भर्ती की जाएगी.जो रेगुलर अपनी सेवाएं स्कूल में देंगे.
''इस विद्यालय का विद्यालय नवोदय,एकलव्य जैसे स्कूलों की तर्ज पर किया गया है.इन बच्चों को नॉर्मल शिक्षा के अलावा तकनीकी शिक्षा भी दी जा रही है.अतिथि शिक्षकों के अलावा संविदा शिक्षकों की मदद से पढ़ाई करवाई जा रही है.आने वाले समय में बच्चों को दी जा रही राशि से स्थायी शिक्षकों की भर्ती कराई जाएगी.'' ललित शुक्ला, सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग
बच्चे गढ़ रहे अपना भविष्य : फिलहाल कंप्यूटर के साथ दूसरे सब्जेक्ट की शिक्षा भी बच्चों को दी जा रही है. ताकि ये अन्य छात्रों की तरह मुख्य धारा से जुड़कर सामान्य जीवन व्यतीत कर सके.आज कंप्यूटर के सामने बैठकर शिक्षा लेते इन बच्चों को देखकर अब यकीन होने लगा है कि आने वाले समय में ये बच्चे अपनी शिक्षा से देश को प्रभावित जरुर करेंगे.