गरियाबंदः नवंबर के दूसरे सप्ताह में गुलाबी ठंड कड़ाके की सर्दी में तब्दील होने लगी है. बढ़ती ठंड ने लोगों की दिनचर्या को बदलना शुरू कर दिया है. लोग घर से सुबह धूप खिलने के बाद घर से निकलते हैं और शाम को ठंड बढ़ने के पहले वापस लौटने की कोशिश करते हैं. लोग कई जगहों पर अलाव का सहारा लेते नजर आ रहे हैं.
जिले में बढ़ती ठंड के साथ कोहरे की भी परेशानी बढ़ने लगी है और ऐसे में सड़क पर गाड़ियों की रफ्तार धीमी होने लगी है. साथ ही मॉर्निंग वॉक करने वाले और एक्सरसाइज करने वालों की संख्या बढ़ गई है.
'कोहरा बना मुसीबत'
वन क्षेत्र होने की वजह से जिले में रात में 11 बजे के बाद कोहरा छा जाता है. इस कारण कुछ मीटर आगे देख पाना मुमकिन नहीं हो है. ऐसे में सड़क पर चलने वाले वाहनों के चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. नेशनल हाईवे पर वाहनों की रफ्तार भी धीमी हो गई है. वहीं मैदानी इलाकों में कोहरा सुबह तीन बजे से सात बजे तक छाया रहता है.
'जर्सी, स्वेटर के बिना बाहर निकलना मुम्कीन नहीं'
जिले में पड़ रही कडाके की ठंड को लेकर स्थानीय निवासियों ने बताया कि 'वो स्वेटर या जैकेट पहनने के बाद ही घर से निकलते हैं'. साथ ही ये लोग ठंड से बचने के लिए अब सड़कों के किनारों के साथ ही घरों और होटल के आग तापते नजर आ रहे हैं.