गरियाबंद : सुपेबेड़ा में किडनी पीडितों का दर्द जानने पहुंची राज्यपाल अनुसुइया उइके उस वक्त स्तब्ध रह गई जब एक महिला ने अपने दुख की कहानी सुनाकर इच्छा मृत्यु की मांग की. महिला ने खुद के साथ अपने बच्चो को भी मार देने की बात कहकर गांव की विधवाओं की ओर राज्यपाल का ध्यान खींचा.
दरअसल, गांव में लगभग 45 से 50 विधवा महिलाएं हैं, जो बड़ी विषम परिस्थितियों में जिन्दगी बिता रही हैं. विगत वर्षों में जिन लोगों ने किड़नी की बीमारी से अपनी जान गंवाई है. उनमें पुरूषों की संख्या ज्यादा है. पुरुषों की मौत के बाद इन महिलाओं की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. रोजगार के साधन भी नहीं है.
महिला की कहानी
जिस महिला ने मंच पर इच्छामृत्यु की बात कही, उसका नाम वैदेही छत्रपाल है. महिला के पति प्रदीप छत्रपाल शिक्षाकर्मी वर्ग 3 में पदस्थ थे. इनके तीन बच्चे भी हैं. प्रदीप छत्रपाल ने घर बनाने के लिए ग्रामीण बैंक से 4 लाख का लोन लिया था. पुराना मिट्टी का घर तोड़कर कुछ दिन के लिए परिवार पड़ोसी के घर शिफ्ट हो गया. इसके बाद अचानक किडनी की बीमारी के चलते प्रदीप की हालत बिगड़ने लगी. उसे इलाज के लिए रायपुर, ओडिशा और विशाखापट्टनम तक ले जाना पड़ा. घर बनाने लिए गए लोन के 4 लाख रुपए प्रदीप के इलाज में खर्च हो गए. प्रदीप की मौत के बाद न तो घर बचा था न ही आय का कोई दूसरा जरिया. ऊपर से ग्रामीण बैंक का 4 लाख का कर्जा चढ़ चुका था. विधवा वैदेही किसी तरह यहां वहां बच्चों को रखकर गुजारा कर रही है.
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इसी बीच बैंक ने प्रदीप की पत्नी पर लोन चुकाने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया. इसके बाद जब महिला कर्ज नहीं पटा पाई, तो मृतक के लोन में गांव के जिस व्यक्ति के गारेंटर के रूप में फार्म पर साइन किया था. बैंक उसके खाते से पैसा काट रहा है. अब वह व्यक्ति आए दिन विधवा और बच्चों को धमका रहा है. विधवा मां के साथ बच्चों की भी हालत दिन-ब -दिन खराब होती जा रही है.
राज्यपाल ने आश्वासन दिया
राज्यपाल ने महिला का दर्द सुन कलेक्टर को महिला की नौकरी की व्यवस्था के लिए कहा. महिलाओं की शैक्षणिक योग्यता कम होने के कारण उन्हें डेली वेजेस पर कार्य देने के निर्देश देते हुए काम उपलब्ध कराकर सूचित करने की बात कही है.