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ये हैं गरियाबंद की बेहद खास जगह, जिन्हें देखे बिना लौटना नहीं

गरियाबंद अपने पर्यटन स्थल के लिए जाना जाता है. यहां कई ऐसी बेहद खुबसूरत जगह ही जिनका दीदार करते ही आप यहीं के होकर रह जाएंगे.

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Published : Sep 27, 2019, 9:42 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 4:50 PM IST

गरियाबंद की बेहद खास जगह

गरियाबंद : प्रकृति की गोद में बसा गरियांबद सिर्फ नेचर के लिए ही नहीं बल्कि धार्मिक स्थल के लिए भी जाना जाता है. यहां के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और वादियां गरियाबंद की सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं. यहां कल-कल कर बह रही नदियां धार्मिक स्थल को शीतल कर किसानों के जीवन को भी हरा-भरा कर रही हैं. यहां के झरने विश्व प्रसिध्द हैं, जिसे देखने के लिए विदेशों से भी लोग पहुंच रहे हैं.

ये हैं गरियाबंद की बेहद खास जगह, जिन्हें देखे बिना लौटना नहीं

जी हां, प्रकृति की गोद में बसा गरियाबंद जिला रायपुर से 90 किलोमीटर दूर स्थित है. राजधानी से बेहद नजदीक होने के कारण यहां सैलानियों की भीड़ लगी रहती है. आप यहां 1 दिन में 10 से अधिक पर्यटन स्थल का भ्रमण कर सकते हैं.

पैरी नदी
पैरी नदी

गरियांबद की ये पर्यटन स्थल जो अपनी हरियाली की तरह आपकी जिदंगी को भी तरोताजा कर देंगे.

  • गरियांबद जिले में प्रवेश करते ही सबसे पहले राजीव लोचन मंदिर के दर्शन कर सकते हैं.
  • इसके बाद यहां से कुछ दूर चंपारण स्थित महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्मस्थली के दर्शन कर मनोरम जगह का आनंद ले सकते हैं.
  • यहां से महज 10 किलोमीटर दूर त्रिवेणी संगम स्थित है, जहां भूतेश्वरनाथ महादेव की विशाल शिवलिंग है. इसके दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.
    भूतेश्वरनाथ महादेव
    भूतेश्वरनाथ महादेव
  • आप यहां प्रकृति का लुत्फ उठ सकते हैं. पैरी नदी के जल से तरोताजा होकर जतमई मां के दर्शन कर सकते हैं.
    पैरी नदी
    पैरी नदी
  • यहां से घने जंगलों के बीच से होते हुए 45 किलोमीटर का सफर तय कर सिकासेर बांध पहुंचा जा सकता है. पानी के दूर-दूर तक फैले होने के कारण यह नजारा समुद्र सा प्रतीत होता है. अगर आप बरसात में आ रहे हैं और बांध का गेट खुला हुआ हो, तो नजारा ऐसा होता है, जो सालों तक भुलाया नहीं जा सकता.
    सिकासेर बांध
    सिकासेर बांध
  • सिकासेर बांध से लगभग 60 किलोमीटर दूर उदंती सीतानदी अभयारण्य है. यह पर्यटन वन्यजीवों के भरपूर तादाद के लिए जाना जाता है.
    उदंती सीतानदी अभयारण्य
    उदंती सीतानदी अभयारण्य

अगर शासन-प्रशासन गरियाबंद जिले को पर्यटन के नजरिए से बढ़ावा दें, तो यह जिला छत्तीसगढ़ में आने वाले पर्यटकों की सबसे मनपसंद जगहों में से एक हो सकता है. इसके लिए जरूरत है, तो सिर्फ कुछ छोटी-बड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराने की, जिससे पर्यटन की दृष्टि से गरियाबंद उभरकर सामने आ सके.

गरियाबंद : प्रकृति की गोद में बसा गरियांबद सिर्फ नेचर के लिए ही नहीं बल्कि धार्मिक स्थल के लिए भी जाना जाता है. यहां के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और वादियां गरियाबंद की सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं. यहां कल-कल कर बह रही नदियां धार्मिक स्थल को शीतल कर किसानों के जीवन को भी हरा-भरा कर रही हैं. यहां के झरने विश्व प्रसिध्द हैं, जिसे देखने के लिए विदेशों से भी लोग पहुंच रहे हैं.

ये हैं गरियाबंद की बेहद खास जगह, जिन्हें देखे बिना लौटना नहीं

जी हां, प्रकृति की गोद में बसा गरियाबंद जिला रायपुर से 90 किलोमीटर दूर स्थित है. राजधानी से बेहद नजदीक होने के कारण यहां सैलानियों की भीड़ लगी रहती है. आप यहां 1 दिन में 10 से अधिक पर्यटन स्थल का भ्रमण कर सकते हैं.

पैरी नदी
पैरी नदी

गरियांबद की ये पर्यटन स्थल जो अपनी हरियाली की तरह आपकी जिदंगी को भी तरोताजा कर देंगे.

  • गरियांबद जिले में प्रवेश करते ही सबसे पहले राजीव लोचन मंदिर के दर्शन कर सकते हैं.
  • इसके बाद यहां से कुछ दूर चंपारण स्थित महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्मस्थली के दर्शन कर मनोरम जगह का आनंद ले सकते हैं.
  • यहां से महज 10 किलोमीटर दूर त्रिवेणी संगम स्थित है, जहां भूतेश्वरनाथ महादेव की विशाल शिवलिंग है. इसके दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.
    भूतेश्वरनाथ महादेव
    भूतेश्वरनाथ महादेव
  • आप यहां प्रकृति का लुत्फ उठ सकते हैं. पैरी नदी के जल से तरोताजा होकर जतमई मां के दर्शन कर सकते हैं.
    पैरी नदी
    पैरी नदी
  • यहां से घने जंगलों के बीच से होते हुए 45 किलोमीटर का सफर तय कर सिकासेर बांध पहुंचा जा सकता है. पानी के दूर-दूर तक फैले होने के कारण यह नजारा समुद्र सा प्रतीत होता है. अगर आप बरसात में आ रहे हैं और बांध का गेट खुला हुआ हो, तो नजारा ऐसा होता है, जो सालों तक भुलाया नहीं जा सकता.
    सिकासेर बांध
    सिकासेर बांध
  • सिकासेर बांध से लगभग 60 किलोमीटर दूर उदंती सीतानदी अभयारण्य है. यह पर्यटन वन्यजीवों के भरपूर तादाद के लिए जाना जाता है.
    उदंती सीतानदी अभयारण्य
    उदंती सीतानदी अभयारण्य

अगर शासन-प्रशासन गरियाबंद जिले को पर्यटन के नजरिए से बढ़ावा दें, तो यह जिला छत्तीसगढ़ में आने वाले पर्यटकों की सबसे मनपसंद जगहों में से एक हो सकता है. इसके लिए जरूरत है, तो सिर्फ कुछ छोटी-बड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराने की, जिससे पर्यटन की दृष्टि से गरियाबंद उभरकर सामने आ सके.

Intro:हरी भरी मनमोहक वादियां,
सुंदर चौड़ी नदियां
कल कल करते झरने
दूर-दूर तक फैली पर्वत श्रृंखलाएं
नदिया किनारे हरे भरे खेत ..... प्रकृति ने गरियाबंद जिले को हर वह चीज दी है जिससे यह एक अच्छे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है मगर जिले के पर्यटन स्थल प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बन चुके हैं सुविधाओं के नाम पर केवल नाम मात्र के प्रयास किए गए Body:हम बात कर रहे हैं गरियाबंद जिले की राजधानी रायपुर से महज 90 किलोमीटर दूर गरियाबंद जिले में ऐसा सब कुछ है जो इसे एक बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में देश भर में पहचान दिला सकता है मगर इन पर्यटन स्थलों पर सुविधाओं की कमी यहां आने वाले पर्यटकों को खल जाती है पर्यटक चाह कर भी यहां रुक नहीं पाते और तों बाहर से आने वाले पर्यटकों को इसकी सही जानकारी देने वाला तक कोई नहीं है जानकारी के अभाव में पर्यटक आधा अधूरा भ्रमण कर ही लौट जाते हैं

आज हम आपको बताएंगे कि कैसे राजधानी से बेहद नजदीक कैसे आप प्रकृति की गोद में 1 दिन में 10 से अधिक पर्यटन स्थल भ्रमण कर सकते हैं पर्यटन विभाग अगर हमारे बताए अनुसार रूट पर रायपुर से एक पर्यटक बस चलाएं तो हर दिन सैकड़ों पर्यटक जिले की सुंदरता को निहार सकेंगे गरियाबंद के प्रमुख लोगों का दावा है कि यहां के पर्यटन स्थलों में अगर थोड़ी सुविधा और दे दी जाए तो यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या कई गुना अधिक बढ़ सकती है चलिए हम आपको ले चलते हैं एक ऐसे रूट पर जहां आपका दिन रोमांचक और हर तरह के पर्यटन स्थलों के बीच गुजरेगा सबसे पहले रायपुर से निकलते ही 1 घंटे का समय नया रायपुर जंगल सफारी को दिया जा सकता है इसके बाद वहां से 20 किलोमीटर दूर चंपारण में महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्मस्थली के दर्शन में आपको मुश्किल से 20 मिनट लगेंगे यहां से महज 10 किलोमीटर दूर त्रिवेणी संगम पर स्थित है कुलेश्वर महादेव मंदिर पर्यटक अब गरियाबंद जिले में प्रवेश कर चुके हैं और सबसे पहले राजीव लोचन मंदिर के दर्शन कर सकते हैं अब धार्मिक माहौल से हटकर प्रकृति की गोद में समा जाने का समय है पर्यटक गरियाबंद जिले की हरी-भरी वादियों में पैरी नदी के किनारे से होते हुए घटारानी बहुत सकते हैं यहां के विशाल चौड़ाई में बहते झरने हर किसी का मन मोह लेते हैं आसपास की हरियाली लोगों का दिल प्रफुल्लित कर देती है घटारानी से महज 7 किलोमीटर दूर आकर जतमई धाम पहुंचा जा सकता है रास्ता कुछ खराब जरूर है मगर हर प्रकार के चार पहिया वाहन जाने लायक रास्ता है जतमई में मंदिर के ठीक बगल में स्थित झरना पर्यटकों को रिफ्रेश कर देता है किसी वाटर पार्क से ज्यादा आनंद देने वाला यह प्राकृतिक झरना साल में करीब 9 माह बहता रहता दूर-दूर से पर्यटक यहां पहुंचते हैं छुट्टियों के दिनों में तो यहां पहुंचने वाले पर्यटकों की भीड़ कहीं गुना बढ़ जाती है जतमई में माता का मंदिर भी है झरने में स्नान के बाद माता से आशीर्वाद भी लिया जाता है इसके बाद आप जब सीढ़ियों से झरने के ऊपर जाकर देखेंगे तो दूर-दूर तक फैली हरी-भरी सुंदर घाटियों वाली वादियां और पहाड़ पर्वत से आपको इसे निहारने पर मजबूर कर देगी इन वादियों में कुछ समय बिताने के बाद यहां स्थित नेचर कैंप में भोजन किया जा सकता है इसके बाद पहाड़ की घाटियों वाली सुंदर सड़क से होते हुए पर्यटक 37 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय गरियाबंद से होते हुए विश्व प्रसिद्ध विशालतम शिवलिंग भूतेश्वर नाथ महादेव पहुंच सकते हैं लोग बताते हैं कि इससे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग पूरे विश्व में कहीं और नहीं है यहां से घने जंगलों के बीच से होते हो और 45 किलोमीटर सफर कर सिकासेर बांध पहुंचा जा सकता है विशालकाय बनाने में दूर-दूर तक फैला पानी समुद्र जैसा नजारा देता है अगर आप बरसात में आ रहे हैं और बांध का गेट खुला हुआ हो तो नजारा ऐसा होता है जो सालों तक भुला नहीं जा सकता सिकासेर बांध से वापस लौटते तक लगभग शाम हो चुकी होगी अगर आप प्रकृति और वन्यजीव प्रेमी का तो गरियाबंद जिले मैं 1 दिन और रुक सकते हैं क्योंकि सिकासेर बांध से लगभग 60 किलोमीटर आगे उदंती सीतानदी अभयारण्य इलाका वन्यजीवों के भरपूर तादात के लिए जाना जाता है यहां से आप निराश नहीं लौटेंगे

एक कतार से एक के बाद एक मौजूद इन पर्यटन स्थलों के बावजूद अब तक शासन प्रशासन और पर्यटन विभाग किसी ने इन सभी पर्यटन स्थल को जोड़कर संयुक्त रूप से विकसित करने का कोई प्रयास नहीं किया इसके अलावा इन पर्यटन स्थलों प्रकृति ने तो खूब खूबियां दी है मगर शासन प्रशासन ने सुविधाओं के नाम पर केवल थोड़ा बहुत ही काम किया है जतमई में नेचर कैंप और घटारानी जलप्रपात में कई कार्य जरूर हुए हैं मगर अब भी कई जरूरी सुविधाओं के लिए पर्यटकों को भटकते देखा जाता है यहां आने वाले हजारों पर्यटकों के लिए गिनती के शौचालय मौजूद है जो गंदगी से सराबोर रहते हैं पानी के लिए भी पर्यटकों को दूर तक चलना पड़ता है कुछ दिनों पहले तक तो यहां मोबाइल फोन पर टावर ही नहीं रहा करता था जतमई के बाद भूतेश्वर नाथ महादेव मैं ख्याति अनुसार सुविधाएं प्रशासन मुहैया नहीं करा पाया समिति में काफी कुछ किया मगर फिर भी पर्यटकों को यहां कई कमियां नजर आती हैं जिला मुख्यालय गरियाबंद के बाद पर्यटकों के रुकने के लिए लॉज आदि की व्यवस्था ठीक ढंग से आगे कहीं नहीं है केवल सरकारी रेस्ट हाउस की उम्मीद बचाती है सिकासेर बांध वैसे तो काफी अच्छा पर्यटन केंद्र बन सकता है मगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया


कुल मिलाकर अपार संभावनाओं के बीच गरियाबंद जिला छत्तीसगढ़ आने वाले पर्यटकों की सबसे मनपसंद जगह बन सकता है अगर शासन प्रशासन इस और ध्यान देकर कुछ छोटी बड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराएं और इस पर्यटन रूट पर घुमाने के लिए निर्धारित शुल्क लेकर रोज सुबह रायपुर से एक बस की व्यवस्था की जाए।

Conclusion:बाइट-- नरेंद्र देवांगन स्थानी जानकार सर पर बाल नहीं

बाइट---- केसु सिन्हा--- स्थानीय युवक मोटा युवक


बाइट--- बिंदुमती साहू महिला

बाइट--- सुभद्रा बाई


बाइट--- देवनाथ ठाकुर

बाइट-- दुलेश ध्रुव युवक
Last Updated : Sep 28, 2019, 4:50 PM IST
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