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मौत के साए में सुपेबेड़ा, किडनी रोग से गई एक और जान

किडनी रोग से प्रभावित सुपेबेड़ा में फिर एक व्यक्ति की मौत हो गई है. इसके साथ ही मौत का आंकड़ा बढ़कर 70 हो गया है. गांव में अभी भी किडनी मरीजों की संख्या 100 से ज्यादा है.

सुपेबेड़ा में किडनी रोग से व्यक्ति की मौत
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Published : Sep 29, 2019, 11:30 AM IST

Updated : Sep 29, 2019, 4:32 PM IST

गरियाबंद: सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी सुपेबेड़ा में मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. आज फिर एक कितनी पीड़ित की मौत हो गई. मृतक पूरनधर पुरैना बीते 3 साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहा था. पूरनधर ने गांव में किडनी पीड़ितों के लिए समय-समय पर आवाज भी उठाई थी. आज उसकी मौत पर पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया है. एक बार फिर गांव में दहशत फैल गई है, क्योंकि इस गांव में हर घर में किडनी का कोई न कोई मरीज जरूर है. गांव में अभी भी 100 से ज्यादा लोगों को किडनी की बीमारी ने घेर रखा है. ऐसे में हर मौत, हर घर में यह डर ला देती है कि कहीं अगली बारी उनके परिवार से किसी की तो नहीं.

सुपेबेड़ा में किडनी रोग से व्यक्ति की मौत

भूपेश और सिंहदेव कर चुके हैं दौरा
विपक्ष में रहते हुए खुद भूपेश बघेल इस गांव में पहुंचे थे और सरकार बनने के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी इस गांव का दौरा कर चुके हैं. दोनों ने अपने-अपने स्तर पर कई वादे ग्रामीणों से किए.

दूषित पानी है बिमारी का कारण
ऐसा माना जा रहा है कि किडनी की बीमारी दूषित पानी की वजह से फैली है. जिसके चलते तीन नदी से पानी लाने की कोशिश की गई. लेकिन वो सफल नहीं हो पायी. इसके बाद गांव में 6 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए. सरकार की कोशिशों में कमी नहीं है लेकिन फिर भी मौत होने के चलते कई तरह से सवाल उठ रहे हैं.

पहले से बेहतर स्थिति में है गांव
यहां के ग्रामीण पिछली सरकार के समय विस्थापन की मांग कर चुके हैं और जब स्थितियां नहीं सुधर रही थी तब इन्होंने अपने गांव को ओडिशा में शामिल करने की मांग तक कर डाली थी. हालांकि इस मामले से जुड़े तथ्यों को देखें तो बीते 6 महीने से गांव की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है. बीते 4 महीने से किसी की मौत नहीं हुई थी.

ग्रामीणों को राहत की उम्मीद
मौत के साए में जीते सुपेबेड़ा के लोग राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं. गांव में विधवा महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है जिसमें हर परिवार से किसी न किसी की मौत किडनी की बीमारी से हुई है.

गरियाबंद: सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी सुपेबेड़ा में मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. आज फिर एक कितनी पीड़ित की मौत हो गई. मृतक पूरनधर पुरैना बीते 3 साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहा था. पूरनधर ने गांव में किडनी पीड़ितों के लिए समय-समय पर आवाज भी उठाई थी. आज उसकी मौत पर पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया है. एक बार फिर गांव में दहशत फैल गई है, क्योंकि इस गांव में हर घर में किडनी का कोई न कोई मरीज जरूर है. गांव में अभी भी 100 से ज्यादा लोगों को किडनी की बीमारी ने घेर रखा है. ऐसे में हर मौत, हर घर में यह डर ला देती है कि कहीं अगली बारी उनके परिवार से किसी की तो नहीं.

सुपेबेड़ा में किडनी रोग से व्यक्ति की मौत

भूपेश और सिंहदेव कर चुके हैं दौरा
विपक्ष में रहते हुए खुद भूपेश बघेल इस गांव में पहुंचे थे और सरकार बनने के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी इस गांव का दौरा कर चुके हैं. दोनों ने अपने-अपने स्तर पर कई वादे ग्रामीणों से किए.

दूषित पानी है बिमारी का कारण
ऐसा माना जा रहा है कि किडनी की बीमारी दूषित पानी की वजह से फैली है. जिसके चलते तीन नदी से पानी लाने की कोशिश की गई. लेकिन वो सफल नहीं हो पायी. इसके बाद गांव में 6 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए. सरकार की कोशिशों में कमी नहीं है लेकिन फिर भी मौत होने के चलते कई तरह से सवाल उठ रहे हैं.

पहले से बेहतर स्थिति में है गांव
यहां के ग्रामीण पिछली सरकार के समय विस्थापन की मांग कर चुके हैं और जब स्थितियां नहीं सुधर रही थी तब इन्होंने अपने गांव को ओडिशा में शामिल करने की मांग तक कर डाली थी. हालांकि इस मामले से जुड़े तथ्यों को देखें तो बीते 6 महीने से गांव की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है. बीते 4 महीने से किसी की मौत नहीं हुई थी.

ग्रामीणों को राहत की उम्मीद
मौत के साए में जीते सुपेबेड़ा के लोग राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं. गांव में विधवा महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है जिसमें हर परिवार से किसी न किसी की मौत किडनी की बीमारी से हुई है.

Intro:सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी सुपेबेड़ा में मौतों का आंकड़ा कम होने का नाम नहीं ले रहा आज फिर एक कितनी पीड़ित की मौत हो गई पूरनधर पुरैना बीते 3 साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहा था गांव में किडनी पीड़ितों के लिए समय-समय पर आवाज उठाता रहा था आज उसकी मौत पर पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया एक बार फिर गांव में दहशत व्याप्त है क्योंकि इस गांव में आज भी हर घर में किटनी का कोई ना कोई मरीज जरूर है गांव में अभी भी 100 से अधिक लोगों को किडनी की बीमारी ने घेर रखा है ऐसे में हर मौत हर घर में यह डर ला देती है कि कहीं अगली बारी उनके परिवार से किसी की तो नहीं


Body:विपक्ष में रहते हुए खुद भूपेश बघेल इस गांव पहुंचे थे और सरकार बनने के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव इस गांव का दौरा कर चुके हैं दोनों ने अपने अपने स्तर पर कई वादे ग्रामीणों से किए ग्रामीणों को अब उनकी दशा सुधारने की उम्मीद है


ऐसा माना जा रहा था कि किडनी की यह बीमारी दूषित जल की वजह से फैली है जिसके चलते तीन नदी से पानी लाने का प्रयास किया गया किंतु वह ठीक ढंग से सफल नहीं हो पाया जिसके बाद गांव में 6 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए अथक प्रयासों में कमी नहीं मगर फिर भी मौत होने के चलते कई तरह से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मौतों के सिलसिले को रोकने और क्या किया जा सकता है

यहां के ग्रामीण पिछली सरकार के समय विस्थापन की मांग कर चुके हैं और जब स्थितियां नहीं सुधर रही थी तब पिछली सरकार से उन्होंने अपने गांव को उड़ीसा में शामिल करने की मांग तक कर डाली थी


हालांकि इस मामले से जुड़े तथ्यों को देखें तो बीते 6 माह से गांव की स्थितियां पहले से काफी बेहतर है बीते 4 माह से किसी की मौत नहीं हुई थी जबकि पहले महीने में एक-दो मौत तो होती ही थी


Conclusion:कुल मिलाकर मौत के साए में जीते सुपेबेड़ा के लोग राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं गांव में विधवा महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है और गांव के हर परिवार से किसी न किसी की मौत किडनी की बीमारी से हुई है जिसके चलते ह जिसके चलते हर हर नहीं मौत लोगों को परेशान कर रही है और चिंता में डाल देती है
Last Updated : Sep 29, 2019, 4:32 PM IST
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