गरियाबंद: सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी सुपेबेड़ा में मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. आज फिर एक कितनी पीड़ित की मौत हो गई. मृतक पूरनधर पुरैना बीते 3 साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहा था. पूरनधर ने गांव में किडनी पीड़ितों के लिए समय-समय पर आवाज भी उठाई थी. आज उसकी मौत पर पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया है. एक बार फिर गांव में दहशत फैल गई है, क्योंकि इस गांव में हर घर में किडनी का कोई न कोई मरीज जरूर है. गांव में अभी भी 100 से ज्यादा लोगों को किडनी की बीमारी ने घेर रखा है. ऐसे में हर मौत, हर घर में यह डर ला देती है कि कहीं अगली बारी उनके परिवार से किसी की तो नहीं.
भूपेश और सिंहदेव कर चुके हैं दौरा
विपक्ष में रहते हुए खुद भूपेश बघेल इस गांव में पहुंचे थे और सरकार बनने के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी इस गांव का दौरा कर चुके हैं. दोनों ने अपने-अपने स्तर पर कई वादे ग्रामीणों से किए.
दूषित पानी है बिमारी का कारण
ऐसा माना जा रहा है कि किडनी की बीमारी दूषित पानी की वजह से फैली है. जिसके चलते तीन नदी से पानी लाने की कोशिश की गई. लेकिन वो सफल नहीं हो पायी. इसके बाद गांव में 6 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए. सरकार की कोशिशों में कमी नहीं है लेकिन फिर भी मौत होने के चलते कई तरह से सवाल उठ रहे हैं.
पहले से बेहतर स्थिति में है गांव
यहां के ग्रामीण पिछली सरकार के समय विस्थापन की मांग कर चुके हैं और जब स्थितियां नहीं सुधर रही थी तब इन्होंने अपने गांव को ओडिशा में शामिल करने की मांग तक कर डाली थी. हालांकि इस मामले से जुड़े तथ्यों को देखें तो बीते 6 महीने से गांव की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है. बीते 4 महीने से किसी की मौत नहीं हुई थी.
ग्रामीणों को राहत की उम्मीद
मौत के साए में जीते सुपेबेड़ा के लोग राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं. गांव में विधवा महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है जिसमें हर परिवार से किसी न किसी की मौत किडनी की बीमारी से हुई है.