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रोजगार गारंटी योजना के 48 कंप्यूटर ऑपरेटरों का छिना रोजगार - scheme

गरियाबंद में रोजगार गारंटी योजना के तहत काम करने वाले 48 कंप्यूटर ऑपरेटरों की नौकरी चली गई है. जिससे युवाओं के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

48 कंप्यूटर ऑपरेटरों की गई नौकरी
48 कंप्यूटर ऑपरेटरों की गई नौकरी
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Published : Dec 11, 2019, 2:58 PM IST

Updated : Dec 11, 2019, 3:29 PM IST

गरियाबंद: जिले में लोगों के रोजगार का जरिया मनरेगा योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. विभाग की आर्थिक तंगी का असर यहां काम करने वाले कर्मचारियों पर दिखने लगा है. इस योजना के तहत वर्षों से काम कर रहे अस्थाई कर्मचारियों को विभाग ने हटाने का फैसला लिया है.

48 कंप्यूटर ऑपरेटरों का छिना रोजगार

अस्थाई डाटा एंट्री ऑपरेटरों की गई नौकरी
बता दें कि अकेले देवभोग मनरेगा कार्यालय से 15 अस्थाई डाटा एंट्री ऑपरेटरों को निकाल दिया गया है. वहीं पूरे जिले की बात की जाए तो 48 अस्थाई डाटा एंट्री ऑपरेटरों को आवंटन की परेशानी और काम नहीं होने का हवाला देकर नौकरी से निकाला गया है.

युवाओं के सामने रोजगार का संकट
जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं. वहीं नौकरी से निकाले गए युवाओं के सामने एक बार फिर रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. ये युवा 10 साल से विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे थे और अब इन्हें अचानक निकाल दिया गया है.

नहीं चल रहा जिले में मनरेगा का काम
जिले में मनरेगा कार्यों की बात की जाए तो फिलहाल मनरेगा के काम बिल्कुल कम हो गए हैं. वहीं गिनी चुनी पंचायतों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश पंचायतों में मनरेगा का कोई काम संचालित नहीं हो रहा है. लेकिन इन ऑपरेटरों का कहना है कि धान बेचने का कार्य खत्म होने के बाद मनरेगा का जब कार्य बढ़ेगा तब बिना इन ऑपरेटरों के विभाग कार्यों का संचालन नहीं कर पाएगा.

पढ़े: 621 बोरी अवैध धान सहित ट्रक जब्त, बिहार से जुड़े हैं तार

अब बड़ा सवाल यह है कि जिस विभाग का काम ही लोगों को रोजगार की गारंटी देना है वहां काम करने वालों का रोजगार छिन जाए तो विभाग गांव-गांव में लोगों को रोजगार की गारंटी कैसे देगा.

गरियाबंद: जिले में लोगों के रोजगार का जरिया मनरेगा योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. विभाग की आर्थिक तंगी का असर यहां काम करने वाले कर्मचारियों पर दिखने लगा है. इस योजना के तहत वर्षों से काम कर रहे अस्थाई कर्मचारियों को विभाग ने हटाने का फैसला लिया है.

48 कंप्यूटर ऑपरेटरों का छिना रोजगार

अस्थाई डाटा एंट्री ऑपरेटरों की गई नौकरी
बता दें कि अकेले देवभोग मनरेगा कार्यालय से 15 अस्थाई डाटा एंट्री ऑपरेटरों को निकाल दिया गया है. वहीं पूरे जिले की बात की जाए तो 48 अस्थाई डाटा एंट्री ऑपरेटरों को आवंटन की परेशानी और काम नहीं होने का हवाला देकर नौकरी से निकाला गया है.

युवाओं के सामने रोजगार का संकट
जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं. वहीं नौकरी से निकाले गए युवाओं के सामने एक बार फिर रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. ये युवा 10 साल से विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे थे और अब इन्हें अचानक निकाल दिया गया है.

नहीं चल रहा जिले में मनरेगा का काम
जिले में मनरेगा कार्यों की बात की जाए तो फिलहाल मनरेगा के काम बिल्कुल कम हो गए हैं. वहीं गिनी चुनी पंचायतों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश पंचायतों में मनरेगा का कोई काम संचालित नहीं हो रहा है. लेकिन इन ऑपरेटरों का कहना है कि धान बेचने का कार्य खत्म होने के बाद मनरेगा का जब कार्य बढ़ेगा तब बिना इन ऑपरेटरों के विभाग कार्यों का संचालन नहीं कर पाएगा.

पढ़े: 621 बोरी अवैध धान सहित ट्रक जब्त, बिहार से जुड़े हैं तार

अब बड़ा सवाल यह है कि जिस विभाग का काम ही लोगों को रोजगार की गारंटी देना है वहां काम करने वालों का रोजगार छिन जाए तो विभाग गांव-गांव में लोगों को रोजगार की गारंटी कैसे देगा.

Intro:स्लग---छंटनी
एंकर--- जिस योजना का नाम ही रोजगार गारंटी हो और वहां काम करने वालों के ही रोजगार की कोई गैरेंटी ना हो तो हालात कैसे होते हैं यह जरा गरियाबंद के नौकरी खो चुके इन युवाओं से पूछिए--

गरियाबंद में लोगो के रोजगार का जरिया मनरेगा अब खुद ही आर्थिक तंगी से जुझ रहा है, विभाग की आर्थिक तंगी का असर वहां काम करने वाले कर्मचारियों पर दिखने लगा है, विभाग ने सालों से काम कर रहे अस्थाई कर्मचारियों को हटाने का फैसला लिया है, Body:अकेले देवभोग मनरेगा कार्यालय से 15 अस्थाई डाटाइंटरी ऑपरेटरों को निकाल दिया गया है, पुरे जिले की बात की जाये तो 48 अस्थाई डाटा इंटरी ऑपरेटरों को आवंटन की परेशानी और काम नही होने का हवाला देकर नौकरी से निकाला गया है, जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे है, वही नौकरी से निकाले गये युवाओं के सामने एक बार फिर रोजगार का संकट खडा हो गया है, ये युवा 10 साल से विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे थे और अब इन्हें अचानक निकाल दिया गया है, जिले में मनरेगा कार्यो की बात की जाये तो फिलहाल मनरेगा के काम बिल्कुल कम हो गए हैं और गिनी चुनी पंचायतों को छोड दिया जाये तो अधिकांश पंचायतों में फिलहाल मनरेगा का कोई काम संचालित नही हो रहा है, लेकिन इन ऑपरेटरों का कहना है कि धान बेचने का कार्य खत्म होने के बाद मनरेगा का जब कार्य बढ़ेगा तब बिना इन ऑपरेटरों के विभाग कार्यों का संचालन नहीं कर पाएगा


Conclusion:
बाइट 1---पीडित..........
बाइट 2---पीडित........

इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि जिस विभाग का काम ही लोगों को रोजगार की गारंटी देना है वहां काम करने वालों का रोजगार छिन जाए तो विभाग गांव गांव में लोगों को रोजगार की गारंटी कैसे देगा।

फरहाज मेंमन ईटीवी भारत गरियाबंद
Last Updated : Dec 11, 2019, 3:29 PM IST
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