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गरियाबंद: अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा सरार तालाब, प्रशासनिक लापरवाही से लगा गंदगी का अंबार

गरियाबंद के सरार तालाब में गंदगी का अंबार लगा है. आलम यह है कि शहर में सफाई का जिम्मा उठाने वाले युवकों ने भी इसे देखने के बाद अपने हाथ खड़े कर लिए हैं.

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Published : May 5, 2019, 6:00 PM IST

तालाब में गंदगी का अंबार

गरियाबंद: नगर पंचायत फिंगेश्वर की वर्षों पुरानी ऐतिहासिक धरोहर सरार तालाब का अस्तित्व खतरे में है. 1 करोड़ 58 लाख रुपये स्वीकृत और टेंडर होने के बावजूद इसके जीर्णोद्धार का काम शुरू नहीं हुआ है.

तालाब में गंदगी का अंबार


दिन ब दिन बिगड़ रही है हालत
काम शुरू नहीं होने की वजह से इसकी हालत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है. नगर पालिका की दलील है कि प्रशासन की स्वीकृति अभी नहीं मिली है. शहर में स्वच्छता अभियान चलाने वाले युवाओं ने इस तालाब के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया.


सफाई करने पहुंची युवाओं की टीम
युवाओं की टीम ने मौके पर पहुंचकर तालाब से गंदगी को साफ करने पहुंची. इस दौरान कोशिश करने के बावजूद वो कुछ नहीं कर पाए. पहुंचा तो तालाब में गंदगी का अंबार लगा था और यही वजह थी कि सफाई करने आए युवा चाह कर भी कुछ नहीं कर पाए.


तालाब में पसरी गंदगी
फिंगेश्वर नगर की जीवन दायनी माने जाने वाला सरार तालब जनप्रतिनिधियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये की वजह से गंदगी से पट गया. शहर की गंदगी और बरसात के पानी की निकासी के लिए जिस नाली का निर्माण नगर पंचायत ने कराया है वो सीधे सरार तालाब में गिरती है.


खूबसूरती लोगों को करती थी आकर्षित
इसका नतीजा यह हुआ कि, धीरे-धीरे तालाब में गंदगी जमा होती रही और शहर की सबसे प्राचीन धरोरह पूरी तरह से बर्बाद हो गई. एक समय प्राकृतिक सौन्दर्य से विभूषित सरार की पहले एक अलग पहचान थी. सरार की खूबसूरती देख लोग आकर्षित हो जाते थे.


1 करोड़ 58 लाख रुपये हुए थे स्वीकृत
कुछ सालों से सरार की अनदेखी होने से वर्तमान में सिर्फ यहां कचरे के ढेर ही नजर आते हैं. सरार की बदहाल स्थिति को देख नगर वासियों में खासा आक्रोश है. नगर वासियों का कहना है कि 'सरार की सौंदर्यकरण के पिछली सरकार में 1 करोड़ 58 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे, लेकिन नगर पंचायत की लापरवाही की वजह से प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिली जिसकी वजह से काम रुका हुआ है.


दहशत में हैं शहरवासी
हालात यह है कि 'सरार में गंदगी इतनी फैल गई है कि शहरवासी दहशत में है कि इसकी वजह से महामारी जैसी बीमारी न फैल जाए. बहरहाल नगर वासियों ने शासन प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर जल्द काम शुरू नहीं किया गया तो उन्हें धरना प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

गरियाबंद: नगर पंचायत फिंगेश्वर की वर्षों पुरानी ऐतिहासिक धरोहर सरार तालाब का अस्तित्व खतरे में है. 1 करोड़ 58 लाख रुपये स्वीकृत और टेंडर होने के बावजूद इसके जीर्णोद्धार का काम शुरू नहीं हुआ है.

तालाब में गंदगी का अंबार


दिन ब दिन बिगड़ रही है हालत
काम शुरू नहीं होने की वजह से इसकी हालत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है. नगर पालिका की दलील है कि प्रशासन की स्वीकृति अभी नहीं मिली है. शहर में स्वच्छता अभियान चलाने वाले युवाओं ने इस तालाब के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया.


सफाई करने पहुंची युवाओं की टीम
युवाओं की टीम ने मौके पर पहुंचकर तालाब से गंदगी को साफ करने पहुंची. इस दौरान कोशिश करने के बावजूद वो कुछ नहीं कर पाए. पहुंचा तो तालाब में गंदगी का अंबार लगा था और यही वजह थी कि सफाई करने आए युवा चाह कर भी कुछ नहीं कर पाए.


तालाब में पसरी गंदगी
फिंगेश्वर नगर की जीवन दायनी माने जाने वाला सरार तालब जनप्रतिनिधियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये की वजह से गंदगी से पट गया. शहर की गंदगी और बरसात के पानी की निकासी के लिए जिस नाली का निर्माण नगर पंचायत ने कराया है वो सीधे सरार तालाब में गिरती है.


खूबसूरती लोगों को करती थी आकर्षित
इसका नतीजा यह हुआ कि, धीरे-धीरे तालाब में गंदगी जमा होती रही और शहर की सबसे प्राचीन धरोरह पूरी तरह से बर्बाद हो गई. एक समय प्राकृतिक सौन्दर्य से विभूषित सरार की पहले एक अलग पहचान थी. सरार की खूबसूरती देख लोग आकर्षित हो जाते थे.


1 करोड़ 58 लाख रुपये हुए थे स्वीकृत
कुछ सालों से सरार की अनदेखी होने से वर्तमान में सिर्फ यहां कचरे के ढेर ही नजर आते हैं. सरार की बदहाल स्थिति को देख नगर वासियों में खासा आक्रोश है. नगर वासियों का कहना है कि 'सरार की सौंदर्यकरण के पिछली सरकार में 1 करोड़ 58 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे, लेकिन नगर पंचायत की लापरवाही की वजह से प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिली जिसकी वजह से काम रुका हुआ है.


दहशत में हैं शहरवासी
हालात यह है कि 'सरार में गंदगी इतनी फैल गई है कि शहरवासी दहशत में है कि इसकी वजह से महामारी जैसी बीमारी न फैल जाए. बहरहाल नगर वासियों ने शासन प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर जल्द काम शुरू नहीं किया गया तो उन्हें धरना प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

Intro:ऐतिहासिक धरोहर सरार की अस्तित्व खतरे में, नगर वासियों में आक्रोश

एंकर : जिला गरियाबंद के नगर पंचायत फिंगेश्वर की वर्षों पुरानी ऐतिहासिक धरोहर सरार का अस्तित्व खतरे में है 1 करोड़ 58 लाख स्वीकृत होने और टेंडर होने के बावजूद इसके जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ नहीं करा पाने के चलते बदहाल अवस्था में पहुंच गया शरार नपा की दलील है कि प्रशासनिक स्वीकृति अभी बाकी है इस शहर में स्वच्छता अभियान चलाने आज नगर के युवाओं का दल जब वहां पहुंचा तो गंदगी से बज बजाते इस विशाल तालाब की सफाई लोगों द्वारा संभव नजर नहीं आई क्योंकि इसमें उतरना संभव नहीं हो पा रहा है गंदगी के दलदल जैसा हालात बन रहा है

Body:वीओ : फिंगेश्वर नगर की जीवन दायनी माने जाने वाली धरोहर सरार जनप्रतिनिधियों की गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते गंदगी से पट गया है। क्यो की पूरे शहर की गंदगी व बरसात की पानी के निकासी के लिए जिस नाली का निर्माण नगर पंचायत ने करवाया है वह सीधा सरार में जुड़ा है, नतीजा कई सालों से सरार में बड़ी तदात में गंदगी जमा होते आ रहा है, जिससे प्राचीन धरोहर पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है, पर अब तक कोई जनप्रतिनिधि ने सुध तक नही लिया। एक समय में प्राकृतिक सौन्दर्य से विभूषित सरार की पहले एक अलग पहचान थीं, सरार की खूबसूरती देख लोग आकर्षित हो जाते थे। पर कुछ सालों से सरार की अनदेखी होने से वर्तमान में सिर्फ यहां कचरे के ढेर ही नजर आते है, सरार की बदहाल स्थिति को देख नगर वासियों में खासा आक्रोश व्याप्त है, नगर वासियों ने बताया कि माने तो उनका साफ तौर पर कहना है की सरार की शौन्द्रीकरण के लिए पूर्व भाजपा सरकार में 1 करोड़ 58 लाख रुपए स्वीकृत हुआ था पर अब तक नगर पंचायत की लापरवाही के चलते प्रशासनिक स्वीकृति नही होने से काम रुका हुआ है। अब हांलात यह है कि सरार में गंदगी इतनी फैल गई है कि पूरे शहर वासी दहशत में है कि कही महामारी जैसे बीमारी न फैल जाए।बहरहाल नगर वासियों ने शासन प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर जल्द काम शुरू नही किया जायेगा तो उग्र धरना प्रदर्शन आंदोलन करेंगे।

Conclusion:बाइट : 01मनीष हरित : नगरवासी ।

बाइट : 02 राजू साहू : नगरवासी।

बाइट : 03 अशोक सिन्हा : नगरवासी।

बाइट : 04 भागवत हरित : वरिष्ठ नागरिक ।
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