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death in supebeda: सरकारें बदली पर नहीं बदली गरियाबंद के सुपेबेड़ा की तकदीर, किडनी की बीमारी से 78वीं मौत - पुरेंद्र आडिल डायलिसिस को नहीं था तैयार

गरियाबंद में पानी की खराबी से किडनी की बीमारी (Death of people continues from kidney disease in Supebeda) लगातार बढ़ती जा रही है. यहां 6 साल से लगातार मौत का तांडव जारी है. रविवार को एक और शख्स की मौत किडनी की बीमारी हो गई है. अब तक गरियबांद के सुपेबेड़ा में 78 लोगों की मौत किडनी की बीमारी से हो चुकी है.

death of purendra adil
सुपेबेड़ा गांव के हालात खराब
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Published : Apr 3, 2022, 4:38 PM IST

Updated : Apr 3, 2022, 6:16 PM IST

गरियाबंद: किडनी की बीमारी से प्रभावित सुपेबेड़ा गांव की अबतक ना तस्वीर बदली और ना ग्रामीणों की तकदीर बदली है. सुपेबेड़ा में आज भी किडनी की बीमारी से मौतों के सिलसिला जारी है. रविवार को फिर एक किडनी पीड़ित की मौत गरियाबंद में हो गई है. पिछले 6 साल से यहां के 77 लोग किडनी की बीमारी (no arrangement of clean drinking water) से मौत की नींद सो चुके हैं. बीती रात सुपेबेड़ा में पुरेंद्र आडिल (death of purendra adil) ने किडनी की बीमारी से दम तोड़ दिया. जिससे यहां मौत का आंकड़ा बढ़कर 78 हो गया है.

सुपेबेड़ा में फिर मौत

स्वास्थ्य विभाग ने मौत से झाड़ा पल्ला: सुपेबेड़ा गांव के हालात आज भी पूरी तरह ठीक नहीं हो सके हैं. स्वास्थ्य विभाग ने पुरेंद्र आडिल की मौत का ठीकरा पुरेंद्र पर ही फोड़ दिया. हेल्थ डिपार्टमेंट का कहना है कि, यह मौत पुरेंद्र की लापरवाही से हुई है. उसे डायलिसिस की जरूरत थी. लेकिन वह डायलिसिस कराने को तैयार नहीं था. सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. गांव में फैली इस बीमारी की वजह दूषित पानी को बताया जा रहा है. 23 दिसम्बर 2018 को गांव में शुद्ध पेयजल के लिए सरकार द्वारा तेल नदी से एक साल के भीतर पानी लाने की घोषणा की गई. मगर 3 साल बीतने के बाद टेंडर तक जारी नहीं हो पाया.

दुनिया के लिए 'वर्ल्ड किडनी डे', सुपेबेड़ा के लिए अभिशाप

सरकार के दावे फेल: सुपेबेड़ा में फ्लोराइड और आरसेनिक रिमूवल प्लांट भी मौतों के सिलसिले को नहीं रोक पा रहा है. कई लोग तो आज भी हैंडपंप और झिरिया का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. शासन के लाख प्रयास के बावजूद बीते 6 साल में सरकारें बदली मगर नहीं बदली तो सुपेबेड़ा की तस्वीर. नेताओं के दावे सुनकर ग्रामीण परेशान हो चुके हैं, जमीनी स्तर पर व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हो पा रही है. सरकार के सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं. उसके साथ ही मौतों का सिलसिला जारी है.

गरियाबंद: किडनी की बीमारी से प्रभावित सुपेबेड़ा गांव की अबतक ना तस्वीर बदली और ना ग्रामीणों की तकदीर बदली है. सुपेबेड़ा में आज भी किडनी की बीमारी से मौतों के सिलसिला जारी है. रविवार को फिर एक किडनी पीड़ित की मौत गरियाबंद में हो गई है. पिछले 6 साल से यहां के 77 लोग किडनी की बीमारी (no arrangement of clean drinking water) से मौत की नींद सो चुके हैं. बीती रात सुपेबेड़ा में पुरेंद्र आडिल (death of purendra adil) ने किडनी की बीमारी से दम तोड़ दिया. जिससे यहां मौत का आंकड़ा बढ़कर 78 हो गया है.

सुपेबेड़ा में फिर मौत

स्वास्थ्य विभाग ने मौत से झाड़ा पल्ला: सुपेबेड़ा गांव के हालात आज भी पूरी तरह ठीक नहीं हो सके हैं. स्वास्थ्य विभाग ने पुरेंद्र आडिल की मौत का ठीकरा पुरेंद्र पर ही फोड़ दिया. हेल्थ डिपार्टमेंट का कहना है कि, यह मौत पुरेंद्र की लापरवाही से हुई है. उसे डायलिसिस की जरूरत थी. लेकिन वह डायलिसिस कराने को तैयार नहीं था. सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. गांव में फैली इस बीमारी की वजह दूषित पानी को बताया जा रहा है. 23 दिसम्बर 2018 को गांव में शुद्ध पेयजल के लिए सरकार द्वारा तेल नदी से एक साल के भीतर पानी लाने की घोषणा की गई. मगर 3 साल बीतने के बाद टेंडर तक जारी नहीं हो पाया.

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सरकार के दावे फेल: सुपेबेड़ा में फ्लोराइड और आरसेनिक रिमूवल प्लांट भी मौतों के सिलसिले को नहीं रोक पा रहा है. कई लोग तो आज भी हैंडपंप और झिरिया का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. शासन के लाख प्रयास के बावजूद बीते 6 साल में सरकारें बदली मगर नहीं बदली तो सुपेबेड़ा की तस्वीर. नेताओं के दावे सुनकर ग्रामीण परेशान हो चुके हैं, जमीनी स्तर पर व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हो पा रही है. सरकार के सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं. उसके साथ ही मौतों का सिलसिला जारी है.

Last Updated : Apr 3, 2022, 6:16 PM IST
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