गरियाबंद: जिले के ग्राम पंचायत पिपरहट्टा के देवगांव में बाल विवाह कराया जा रहा था, जिसे छुरा ब्लॉक पुलिस, चाइल्ड लाइन और जिला बाल संरक्षण इकाई की संयुक्त टीम ने रुकवा दिया. सोमवार को शादी की पूरी तैयारियां कर ली गई थी, लेकिन लड़की की उम्र 17 साल पाए जाने के बाद बिना शादी के बारात को वापस धमतरी के मगरलोड भेज दिया गया.
जानकारी के मुताबिक ग्राम देवगांव की नाबालिग लड़की की शादी धमतरी जिले के मगरलोड क्षेत्र के रहने वाले एक युवक के साथ होने वाली थी. शादी की तैयारियों के बीच रविवार दोपहर बाराती भी गांव पहुंच चुके थे, लेकिन कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही रोक दिया गया. मुखबिर की सुचना पर महिला एवं बाल विकास अधिकारी जगरानी एक्का के मार्गदर्शन में जिला बाल संरक्षण अधिकारी अनिल द्विवेदी, फणींद्र जयसवाल संरक्षण अधिकारी सहित चाइल्ड लाइन और जिला बाल संरक्षण इकाई की संयुक्त रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंच गई.
लड़के पक्ष को वापस भेजा
थाना प्रभारी राजेश जगत, चाइल्ड लाइन के काउंसलर तुलेश्वर साहू और जिला बाल संरक्षण ईकाई के फणींद्र जयसवाल ने दोनों पक्षों को समझाइश दी और बाल विवाह रुकवाया. वहीं बाराती पक्ष को वापस धमतरी के लिए रवाना किया गया. टीम ने दोनों पक्षों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की जानकारी देते हुए बताया कि बाल विवाह कराना कानून अपराध है. लड़की के 18 साल और लड़के के 21 साल पूरे होने के बाद ही शादी कराना मान्य है.
1098 नंबर पर दें जानकारी
जिला बाल संरक्षण अधिकारी अनिल द्विवेदी ने बताया कि लड़की की उम्र 17 साल एक महीना पाया गया है. पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों की उपस्थिति में पंचनामा बनाकर बाल विवाह रोका गया. ग्रामीणों को बाल विवाह न करने की समझाइश दी गई. इसके साथ ही जानकारी दी गई कि कहीं भी बाल विवाह की खबर पाए जाने पर तुरंत ही इसकी सुचना पुलिस और चाइल्ड लाइन को 1098 नंबर पर दें.
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हाल ही में छत्तीसगढ़ के कई जिलों से बाल विवाह कराए जाने के बहुत से मामले सामने आ चुके हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस और चाइल्ड लाइन की टीम लगातार ऐसे केस सुलझा रहे हैं. जांजगीर-चांपा, धमतरी और महासमुंद में भी बाल विवाह के केस आ चुके हैं, जिसे रोकने में पुलिस को सफलता मिली है.