गरियाबंद: जिले में राजनीति का एक नया और अलग रूप ही देखने को मिला है. जहां कांग्रेस और भाजपा दोनों के ही समर्थित प्रत्याशियों ने कहीं अध्यक्ष पद पर भाजपा तो वहीं उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस को चुना है. जिले के तीन जनपद पंचायतों में यहीं हुआ है.
ऐसा लग रहा है जैसे जनपद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव भाजपा और कांग्रेस के समर्थित प्रत्याशियों ने मिलकर एक साथ लड़ा है. देवभोग से नेहा सिंघल जहां निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हुई तो वहीं वर्तमान ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष सुख चंद बेसरा को भी उन्हीं सदस्यों ने निर्विरोध उपाध्यक्ष बना दिया.
भाजपा का अध्यक्ष और कांग्रेस का उपाध्यक्ष
मैनपुर में भी भाजपा के पूर्व संसदीय सचिव गोवर्धन मांझी की बहू मूर्ति मांझी अध्यक्ष निर्वाचित हुई. वहीं अमलीपदर ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष की पत्नी राजपूत जनपद उपाध्यक्ष बनीं. छुरा पर अगर नजर डालें तो, भाजपा कार्यकर्ता के परिवार से आने वाली तपेश्वरी जहां अध्यक्ष निर्वाचित हुई तो वहीं कांग्रेसी परिवार से आने वाले गौरव मिश्रा जनपद उपाध्यक्ष बने.
भाजपा समर्थित नहीं कहलाएंगे : भाजपा प्रत्याशी
गरियाबंद में तो अध्यक्ष लालिमा पारस ठाकुर और उपाध्यक्ष प्रवीण यादव दोनों भाजपा से जुड़े होने के बावजूद चुनाव के बाद यह कहते नजर आए की हमें भाजपा-कांग्रेस दोनों ने वोट दिया है. इसलिए हम भाजपा समर्थित नहीं कहलाएंगे. कुल मिलाकर राजनीति का यहां ऐसा रूप देखने को मिला जो पार्टी और पार्टी की विचारधारा वाली राजनीति से काफी हटकर नजर आया.
छुरा में हुआ टाई
चुनाव में दो और रोचक बातें हुई जहां छुरा में जनपद उपाध्यक्ष का चुनाव जब टाई हो गया, यानी गौरव मिश्रा और एक अन्य प्रत्याशी को जब 9-9 वोट मिले तो पर्ची निकाला गया. इसमें गौरव मिश्रा का नाम आने पर वे उपाध्यक्ष बन गए. वहीं गरियाबंद में यह चर्चा जोरों पर रही की पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष पारस ठाकुर ने अपनी हार का बदला अपनी पत्नी को जनपद अध्यक्ष बनवाकर ले लिया है.
कार्यकर्ताओं ने निकाला जुलूस
चुनाव के तत्काल बाद विजयी प्रत्याशियों ने जोरदार जुलूस निकाला, जिसमें फूल मालाओं, रंग-गुलाल और आतिशबाजी से समर्थकों ने विजयी प्रत्याशियों का जोरदार स्वागत किया.