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पिकनिक स्थल गुलजार, दुर्घटनाओं से बचने पुलिस का पहरा भी, कोरबा में मौजूद हैं इतने सारे विकल्प - NEW YEARS DAY

सर्द मौसम और गुनगुनी धूप के बीच नए साल के आगमन पर पर्यटन और पिकनिक स्थलों में लोगों की भीड़ जुट रही है.

Picnic spots of KORBA
नए साल पर पिकनिक स्थलों में भीड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 1, 2025, 11:28 AM IST

Updated : Jan 1, 2025, 12:08 PM IST

कोरबा : पखवाड़े भर से ही पिकनिक स्थल गुलजार बने हुए हैं. कोरबा जिले की प्राकृतिक वादियों में सतरेंगा, बुका, केंदई, देवपहरी, रानी झरना, झोरा घाट और बांगो जैसे पर्यटन स्थल में लोग अक्सर परिवार के साथ पहुंचते हैं.

पथरीला चट्टान देखने उमड़ते हैं पर्यटक : हरी भरी वादियों के बीच पिकनिक स्थलों में नदी नालों के बीच उजला चमकता हुआ पथरीला चट्टान देखने वालों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है. पानी की धार से तराशे गए इन चट्टानों में सूरज निकलने से लेकर सूरज के डूबने तक चमक ही नहीं, बल्कि फिसलन के साथ पानी की गहराईयों में भी ले जा सकती है. मस्ती और मनोरंजन के लिए परिवार और दोस्तों के साथ इन जगहों में सुकुन के पल गुजारने वालों के लिए माहौल कब आफत में तब्दील हो जाए कहा नहीं जा सकता.

इतने सारे विकल्प जहां इस मौसम में मिलेगा सुकून : कोरबा के ऐसे पर्यटन स्थल, जहां जाकर आप फुर्सत के पल बिता सकते हैं. इन स्थानों पर सावधान रहने की भी जरूरत है. अक्सर खूबसूरत पर्यटन स्थलों में दुर्घटनाएं होती हैं. जहां लोगों की जान भी जा चुकी है. इसलिए जब भी इन स्थानों पर जाएं सावधानी बेहद जरूरी है.

पर्यटन स्थलों में सुरक्षा के लिए जवानों की तैनाती (ETV Bharat Chhattisgarh)

पर्यटन स्थलों में जवानों की तैनाती : अधिकांश पिकनिक स्थलों में चारों ओर जितनी सुंदरता है, उतना ही खतरा भी बना रहता है. जल भराव और फिसलन भरे पथरीले स्थल में जरा सी चूक समस्या बन सकती है. पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा के प्रशासनिक इंतजाम की भी कमी है. हालांकि, पुलिस प्रशासन ने इस बार नए साल पर खास तैयारी की है. एसपी ने पर्यटन स्थलों में जवानों को तैनात करने की बात कही है.

Satrenga, the Mini Goa of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ का मिनी गोवा सतरेंगा (ETV Bharat Chhattisgarh)

छत्तीसगढ़ का मिनी गोवा सतरेंगा : कोरबा जिला मुख्यालय से सतरेंगा की दूरी 35 किलोमीटर है. बांगो डैम बनने के बाद सतरेंगा डूबान क्षेत्र में आया. पहाड़ की चोटी शिवलिंग के आकार की है, इसलिए इसे महादेव पहाड़ की संज्ञा दी जाती है. मौजूदा समय में यहां बोटिंग करने के साथ ही पर्यटकों के रुकने के लिए रिजॉर्ट भी है. अब यहां क्रूज चलाने की तैयारी चल रही है.यहां आकर लोगों को मिनी गोवा का अहसास होता है. दूर तक फैले पानी को देखकर आपको यहां किसी समुद्री किनारे का अहसास होगा.

Buka has a view like the beach of Mauritius
मॉरीशस के समुद्री तट जैसा नजारा है बुका में (ETV Bharat Chhattisgarh)

मॉरीशस के समुद्री तट जैसा नजारा है बुका में : इको फ्रेंडली पर्यटन स्थल बुका कटघोरा वन मंडल के अंदर आता है. यह कटघोरा अंबिकापुर मार्ग पर है. यहां मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता, लेकिन आप प्रकृति से कनेक्ट हो सकते हैं. वन विभाग ने यहां ग्लास हाउस बनाया है. यहां भी पानी की बड़ी झील है,जिससे कुछ दूर पर गोल्डन आइलैंड भी है. बुका और गोल्डन आइलैंड को मिलाकर लगभग 35 छोटे-छोटे टापू यहां मौजूद हैं. इस जगह को और भी डेवलप किया जा रहा है.

Deopahari and Rani Jharia
देवपहरी और रानी झरिया (ETV Bharat Chhattisgarh)

देवपहरी और रानी झरिया: यह दोनों पर्यटन स्थल सतरेंगा के आसपास ही हैं. सतरेंगा जाते हुए रास्ते में रानी झरिया का झरना है. मुख्य सड़क से लगभग 4 किलोमीटर जंगल के भीतर ट्रैकिंग कर जाना पड़ता है. ट्रैकिंग का एक्सपीरियंस आपको हिमाचल के वादियों का अहसास कराता है. रानी झरिया का पानी बेहद ठंडा है. इससे आगे बढ़ने पर आपको गोविंद कुंज जलप्रपात देवपहरी में मिलेगा. यह जलप्रपात भी बेहद मनोरम है. हालांकि बरसात के मौसम में यह थोड़ा खतरनाक भी हो जाता है.

ऐतिहासिक स्थान है कुदुरमाल : कुदुरमाल एक छोटा सा गांव है. यह कोरबा शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर है. यहां संत कबीर के शिष्य में से एक की समाधि है. जो लगभग 500 वर्ष पुरानी है. इसलिए इसका ऐतिहासिक महत्व है. यहां संकट मोचन हनुमान का मंदिर है. मंदिर के पास चट्टान के नीचे एक गुफा भी है. जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है. कबीर पंथियों के बीच ये जगह काफी प्रसिद्ध है.

छत्तीसगढ़ का बाबा धाम है कनकी : कनकी कोरबा जिले का एक गांव है, जो हसदेव नदी के तट पर बसा है. इसे धार्मिक स्थल के तौर पर जाना जाता है. जिसे आसपास के लोग छत्तीसगढ़ का बाबा धाम भी कहते हैं. कनकेश्वर धाम चक्रेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. यह माना जाता है कि कनकी मंदिर में की स्थापना 1857 के आसपास की गई थी. मंदिर के पत्थरों में कई खूबसूरत चित्र हैं. भगवान शिव पार्वती की यहां कई मूर्तियां हैं. पौराणिक मान्यताएं भी हैं कि मड़वारानी और कनकेश्वर धाम के बीच गहरा संबंध है. कनकी मंदिर के आसपास पेड़ों पर हर साल प्रवासी पक्षी आते हैं, जो साउथ ईस्ट एशिया से यहां आकर प्रजनन के बाद वापस लौट जाते हैं.

पुरातात्विक अवशेष के लिए मशहूर है तुमान : तुमान कटघोरा से 10 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा सा गांव है. जो उत्तर पश्चिम दिशा में है. प्राचीन इतिहास में ऐसा उल्लेख है कि तुमान हैहैवंश के राजाओं की राजधानी थी. यहां एक प्राचीन शिव मंदिर भी है. ऐसी मान्यता है कि रत्न देव प्रथम, कलचुरी वंश ने 21वीं सदी में इसका निर्माण करवाया था. सरकार ने इसे विशेष संरक्षित स्थल भी घोषित किया है.

Chaiturgarh is famous as the Kashmir of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के कश्मीर के नाम से मशहूर है चैतुरगढ़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

छत्तीसगढ़ के कश्मीर के नाम से मशहूर है चैतुरगढ़ : चैतुरगढ़ को छत्तीसगढ़ का कश्मीर कहा जाता है.यह जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर है. 360 मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ के ऊपर यहां मां महिषासुर मर्दिनी का मंदिर है. जिसका निर्माण पृथ्वी देव प्रथम ने किया था. पुरातत्वविद् इसे मजबूत प्रकृति किले की संज्ञा देते हैं. इस स्थल के विषय में भी कई मान्यताएं हैं. यहां तेंदुआ और शेर भी देखे जा चुके हैं. महिषासुर मर्दिनी के 12 हाथों की मूर्ति गर्भ गृह में स्थापित है. मंदिर से 3 किलोमीटर दूर शंकर की गुफा है. गुफा एक सुरंग की तरह है और 25 फीट लंबी है.यह एक बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल है. जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है.

Kendai waterfall is special
खास है केंदई का जलप्रपात (ETV Bharat Chhattisgarh)

खास है केंदई का जलप्रपात : केंदई जलप्रपात कटघोरा-अंबिकापुर राज्य राजमार्ग पर स्थित है. यह एक बेहद मनोरम पर्यटन स्थल है. इस जलप्रपात की ऊंचाई 75 फिट है. जो एक बेहद खूबसूरत झरने का निर्माण करती है. बरसाती मौसम की छोड़कर बाकी समय झरना कुछ सूख जाता है. हालांकि केंदई की खूबसूरती अब भी बरकरार है. यह छत्तीसगढ़ के सबसे खूबसूरत जलप्रपात में से एक है.

राजा महाराजा इस स्थान पर रखते थे अपना खजाना : कोसगई मंदिर का निर्माण 500 वर्ष पूर्व किया गया था. मान्यता है कि देवी यहां के छत का निर्माण नहीं चाहती. कई बार छत बनाने की कोशिश हुई, लेकिन वह नहीं बना. ये प्रदेश का इकलौता देवी मंदिर है जहां सफेद ध्वज चढ़ाया जाता है.इसे 52 शक्तिपीठों में से एक माना है. 200 फीट पहाड़ की ऊंचाई पर मंदिर का निर्माण किया गया है. ऐसी मान्यता है कि छुरी के राजा जिनकी राजधानी रतनपुर में थी. कोसगई में अपना खजाना छुपाकर रखते थे. गांव वालों की इस विषय में ऐसी कई मान्यताएं हैं. माना जाता है कि यहां अब भी कोई न कोई खजाना जरूर छिपा हुआ है.

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कोरबा : पखवाड़े भर से ही पिकनिक स्थल गुलजार बने हुए हैं. कोरबा जिले की प्राकृतिक वादियों में सतरेंगा, बुका, केंदई, देवपहरी, रानी झरना, झोरा घाट और बांगो जैसे पर्यटन स्थल में लोग अक्सर परिवार के साथ पहुंचते हैं.

पथरीला चट्टान देखने उमड़ते हैं पर्यटक : हरी भरी वादियों के बीच पिकनिक स्थलों में नदी नालों के बीच उजला चमकता हुआ पथरीला चट्टान देखने वालों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है. पानी की धार से तराशे गए इन चट्टानों में सूरज निकलने से लेकर सूरज के डूबने तक चमक ही नहीं, बल्कि फिसलन के साथ पानी की गहराईयों में भी ले जा सकती है. मस्ती और मनोरंजन के लिए परिवार और दोस्तों के साथ इन जगहों में सुकुन के पल गुजारने वालों के लिए माहौल कब आफत में तब्दील हो जाए कहा नहीं जा सकता.

इतने सारे विकल्प जहां इस मौसम में मिलेगा सुकून : कोरबा के ऐसे पर्यटन स्थल, जहां जाकर आप फुर्सत के पल बिता सकते हैं. इन स्थानों पर सावधान रहने की भी जरूरत है. अक्सर खूबसूरत पर्यटन स्थलों में दुर्घटनाएं होती हैं. जहां लोगों की जान भी जा चुकी है. इसलिए जब भी इन स्थानों पर जाएं सावधानी बेहद जरूरी है.

पर्यटन स्थलों में सुरक्षा के लिए जवानों की तैनाती (ETV Bharat Chhattisgarh)

पर्यटन स्थलों में जवानों की तैनाती : अधिकांश पिकनिक स्थलों में चारों ओर जितनी सुंदरता है, उतना ही खतरा भी बना रहता है. जल भराव और फिसलन भरे पथरीले स्थल में जरा सी चूक समस्या बन सकती है. पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा के प्रशासनिक इंतजाम की भी कमी है. हालांकि, पुलिस प्रशासन ने इस बार नए साल पर खास तैयारी की है. एसपी ने पर्यटन स्थलों में जवानों को तैनात करने की बात कही है.

Satrenga, the Mini Goa of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ का मिनी गोवा सतरेंगा (ETV Bharat Chhattisgarh)

छत्तीसगढ़ का मिनी गोवा सतरेंगा : कोरबा जिला मुख्यालय से सतरेंगा की दूरी 35 किलोमीटर है. बांगो डैम बनने के बाद सतरेंगा डूबान क्षेत्र में आया. पहाड़ की चोटी शिवलिंग के आकार की है, इसलिए इसे महादेव पहाड़ की संज्ञा दी जाती है. मौजूदा समय में यहां बोटिंग करने के साथ ही पर्यटकों के रुकने के लिए रिजॉर्ट भी है. अब यहां क्रूज चलाने की तैयारी चल रही है.यहां आकर लोगों को मिनी गोवा का अहसास होता है. दूर तक फैले पानी को देखकर आपको यहां किसी समुद्री किनारे का अहसास होगा.

Buka has a view like the beach of Mauritius
मॉरीशस के समुद्री तट जैसा नजारा है बुका में (ETV Bharat Chhattisgarh)

मॉरीशस के समुद्री तट जैसा नजारा है बुका में : इको फ्रेंडली पर्यटन स्थल बुका कटघोरा वन मंडल के अंदर आता है. यह कटघोरा अंबिकापुर मार्ग पर है. यहां मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता, लेकिन आप प्रकृति से कनेक्ट हो सकते हैं. वन विभाग ने यहां ग्लास हाउस बनाया है. यहां भी पानी की बड़ी झील है,जिससे कुछ दूर पर गोल्डन आइलैंड भी है. बुका और गोल्डन आइलैंड को मिलाकर लगभग 35 छोटे-छोटे टापू यहां मौजूद हैं. इस जगह को और भी डेवलप किया जा रहा है.

Deopahari and Rani Jharia
देवपहरी और रानी झरिया (ETV Bharat Chhattisgarh)

देवपहरी और रानी झरिया: यह दोनों पर्यटन स्थल सतरेंगा के आसपास ही हैं. सतरेंगा जाते हुए रास्ते में रानी झरिया का झरना है. मुख्य सड़क से लगभग 4 किलोमीटर जंगल के भीतर ट्रैकिंग कर जाना पड़ता है. ट्रैकिंग का एक्सपीरियंस आपको हिमाचल के वादियों का अहसास कराता है. रानी झरिया का पानी बेहद ठंडा है. इससे आगे बढ़ने पर आपको गोविंद कुंज जलप्रपात देवपहरी में मिलेगा. यह जलप्रपात भी बेहद मनोरम है. हालांकि बरसात के मौसम में यह थोड़ा खतरनाक भी हो जाता है.

ऐतिहासिक स्थान है कुदुरमाल : कुदुरमाल एक छोटा सा गांव है. यह कोरबा शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर है. यहां संत कबीर के शिष्य में से एक की समाधि है. जो लगभग 500 वर्ष पुरानी है. इसलिए इसका ऐतिहासिक महत्व है. यहां संकट मोचन हनुमान का मंदिर है. मंदिर के पास चट्टान के नीचे एक गुफा भी है. जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है. कबीर पंथियों के बीच ये जगह काफी प्रसिद्ध है.

छत्तीसगढ़ का बाबा धाम है कनकी : कनकी कोरबा जिले का एक गांव है, जो हसदेव नदी के तट पर बसा है. इसे धार्मिक स्थल के तौर पर जाना जाता है. जिसे आसपास के लोग छत्तीसगढ़ का बाबा धाम भी कहते हैं. कनकेश्वर धाम चक्रेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. यह माना जाता है कि कनकी मंदिर में की स्थापना 1857 के आसपास की गई थी. मंदिर के पत्थरों में कई खूबसूरत चित्र हैं. भगवान शिव पार्वती की यहां कई मूर्तियां हैं. पौराणिक मान्यताएं भी हैं कि मड़वारानी और कनकेश्वर धाम के बीच गहरा संबंध है. कनकी मंदिर के आसपास पेड़ों पर हर साल प्रवासी पक्षी आते हैं, जो साउथ ईस्ट एशिया से यहां आकर प्रजनन के बाद वापस लौट जाते हैं.

पुरातात्विक अवशेष के लिए मशहूर है तुमान : तुमान कटघोरा से 10 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा सा गांव है. जो उत्तर पश्चिम दिशा में है. प्राचीन इतिहास में ऐसा उल्लेख है कि तुमान हैहैवंश के राजाओं की राजधानी थी. यहां एक प्राचीन शिव मंदिर भी है. ऐसी मान्यता है कि रत्न देव प्रथम, कलचुरी वंश ने 21वीं सदी में इसका निर्माण करवाया था. सरकार ने इसे विशेष संरक्षित स्थल भी घोषित किया है.

Chaiturgarh is famous as the Kashmir of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के कश्मीर के नाम से मशहूर है चैतुरगढ़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

छत्तीसगढ़ के कश्मीर के नाम से मशहूर है चैतुरगढ़ : चैतुरगढ़ को छत्तीसगढ़ का कश्मीर कहा जाता है.यह जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर है. 360 मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ के ऊपर यहां मां महिषासुर मर्दिनी का मंदिर है. जिसका निर्माण पृथ्वी देव प्रथम ने किया था. पुरातत्वविद् इसे मजबूत प्रकृति किले की संज्ञा देते हैं. इस स्थल के विषय में भी कई मान्यताएं हैं. यहां तेंदुआ और शेर भी देखे जा चुके हैं. महिषासुर मर्दिनी के 12 हाथों की मूर्ति गर्भ गृह में स्थापित है. मंदिर से 3 किलोमीटर दूर शंकर की गुफा है. गुफा एक सुरंग की तरह है और 25 फीट लंबी है.यह एक बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल है. जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है.

Kendai waterfall is special
खास है केंदई का जलप्रपात (ETV Bharat Chhattisgarh)

खास है केंदई का जलप्रपात : केंदई जलप्रपात कटघोरा-अंबिकापुर राज्य राजमार्ग पर स्थित है. यह एक बेहद मनोरम पर्यटन स्थल है. इस जलप्रपात की ऊंचाई 75 फिट है. जो एक बेहद खूबसूरत झरने का निर्माण करती है. बरसाती मौसम की छोड़कर बाकी समय झरना कुछ सूख जाता है. हालांकि केंदई की खूबसूरती अब भी बरकरार है. यह छत्तीसगढ़ के सबसे खूबसूरत जलप्रपात में से एक है.

राजा महाराजा इस स्थान पर रखते थे अपना खजाना : कोसगई मंदिर का निर्माण 500 वर्ष पूर्व किया गया था. मान्यता है कि देवी यहां के छत का निर्माण नहीं चाहती. कई बार छत बनाने की कोशिश हुई, लेकिन वह नहीं बना. ये प्रदेश का इकलौता देवी मंदिर है जहां सफेद ध्वज चढ़ाया जाता है.इसे 52 शक्तिपीठों में से एक माना है. 200 फीट पहाड़ की ऊंचाई पर मंदिर का निर्माण किया गया है. ऐसी मान्यता है कि छुरी के राजा जिनकी राजधानी रतनपुर में थी. कोसगई में अपना खजाना छुपाकर रखते थे. गांव वालों की इस विषय में ऐसी कई मान्यताएं हैं. माना जाता है कि यहां अब भी कोई न कोई खजाना जरूर छिपा हुआ है.

नए साल 2025 के लिए अवकाश घोषित, देखिए छुट्टियों का कैलेंडर
नए साल में कीजिए चमत्कारिक देव के दर्शन, दिनों दिन बढ़ रही हनुमान मंदिर में आस्था
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Last Updated : Jan 1, 2025, 12:08 PM IST
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