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भूपेश सरकार के फैसले ने बढ़ाई किसानों की चिंता

धान खरीदी शुरू करने की तारीख बढ़ाए जाने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही हैं.

किसान है नाराज
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Published : Nov 1, 2019, 10:18 PM IST

गरियाबंद : किसानों का मुद्दा हर पार्टी के चुनावी एजेंडे में सबसे पहले शामिल किया जाता है. किसानों की स्थिति सुधारने की बात हो या फसलों का सही मूल्य अदा करने की बात हो. चुनाव प्रचार का पहला मुद्दा किसानों को ही बनाया जाता है, लेकिन चुनाव जीतने के बाद ये पार्टियां किसानों को कितना खुश कर पाती हैं, ये किसी से छिपा नहीं है. छत्तीसगढ़ में भी भूपेश सरकार ने किसानों से कई वादे किए थे, लेकिन सरकार के एक फैसले से ये किसान रूठे नजर आ रहे हैं.

किसानों के चेहरे पर चिंता
भूपेश सरकार ने गुरुवार की शाम धान खरीदी शुरू करने की तारीख 1 दिसंबर करने की घोषणा कर दी थी, जिसके बाद से ही किसान वर्ग सरकार के इस फैसले से चिंता में नजर आ रहा है. दरअसल प्रदेश में पिछली यानी कि बीजेपी सरकार 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच धान खरीदी करती आई है. वहीं मौसम का हवाला देते हुए अब कांग्रेस सरकार ने इसकी तारीख बढ़ा दी है. भूपेश सरकार के इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने सरकार को इस फैसले पर घेरा है. अमित जोगी ने सरकार पर किसानों से विश्वासघात करने का आरोप लगाया है.
किसानों के हाथ हो चुके हैं खाली

धान कटाई शुरू हो गई है. फसल काटकर खलिहान में लाई जा रही है, दो-तीन दिनों में मिंजाई आदि का काम करते हुए फसल बेचने लायक स्थिति में पहुंच जाएगी, लेकिन खरीदी शुरू नहीं होने के चलते फसल काटने वाले, मिंजाई करने वाले मजदूर समेत किसानों को घर खर्च के लिए रुपयों की जरूरत पड़ेगी, ऐसे में धान खरीदी की तारीख आगे बढ़ाए जाने के चलते लंबे समय तक किसानों के हाथ खाली रहेंगे और मजदूर भी पैसों के लिए परेशान होते रहेंगे.

फसल बेचने को मजबूर किसान

धान खरीदी की तारीख आगे बढ़ाए जाने के कारण किसान अपनी फसल मजबूरी में बिचौलियों और निजी दुकानदारों को कम दाम पर भी बेच रहे हैं, उनका कहना है कि, 'जहां सरकार प्रति क्विंटल धान के 2500 देती है तो वहीं बिचौलिए 1400 रुपये से ज्यादा देने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में रुपयों की जरूरत की वजह से नुकसान उठाकर किसान फसल बेच रहे हैं.

किसानों की बढ़ रही समस्या

धान खरीदी की तारीख बढ़ाए जाने से किसानों को अब फसलों को सुरक्षित रखने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. मौसम में होने वाले उतार-चढ़ाव की वजह से किसानों के सामने अब कट चुकी फसलों को मौसम से बचाए रखने की समस्या खड़ी हो गई है. किसानों की हितैषी सरकार कही जाने वाले भूपेश सरकार ने अब तक किसानों को कई तोहफे दिए थे, लेकिन सरकार के इस फैसले के बाद किसानों ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है और इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

गरियाबंद : किसानों का मुद्दा हर पार्टी के चुनावी एजेंडे में सबसे पहले शामिल किया जाता है. किसानों की स्थिति सुधारने की बात हो या फसलों का सही मूल्य अदा करने की बात हो. चुनाव प्रचार का पहला मुद्दा किसानों को ही बनाया जाता है, लेकिन चुनाव जीतने के बाद ये पार्टियां किसानों को कितना खुश कर पाती हैं, ये किसी से छिपा नहीं है. छत्तीसगढ़ में भी भूपेश सरकार ने किसानों से कई वादे किए थे, लेकिन सरकार के एक फैसले से ये किसान रूठे नजर आ रहे हैं.

किसानों के चेहरे पर चिंता
भूपेश सरकार ने गुरुवार की शाम धान खरीदी शुरू करने की तारीख 1 दिसंबर करने की घोषणा कर दी थी, जिसके बाद से ही किसान वर्ग सरकार के इस फैसले से चिंता में नजर आ रहा है. दरअसल प्रदेश में पिछली यानी कि बीजेपी सरकार 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच धान खरीदी करती आई है. वहीं मौसम का हवाला देते हुए अब कांग्रेस सरकार ने इसकी तारीख बढ़ा दी है. भूपेश सरकार के इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने सरकार को इस फैसले पर घेरा है. अमित जोगी ने सरकार पर किसानों से विश्वासघात करने का आरोप लगाया है.
किसानों के हाथ हो चुके हैं खाली

धान कटाई शुरू हो गई है. फसल काटकर खलिहान में लाई जा रही है, दो-तीन दिनों में मिंजाई आदि का काम करते हुए फसल बेचने लायक स्थिति में पहुंच जाएगी, लेकिन खरीदी शुरू नहीं होने के चलते फसल काटने वाले, मिंजाई करने वाले मजदूर समेत किसानों को घर खर्च के लिए रुपयों की जरूरत पड़ेगी, ऐसे में धान खरीदी की तारीख आगे बढ़ाए जाने के चलते लंबे समय तक किसानों के हाथ खाली रहेंगे और मजदूर भी पैसों के लिए परेशान होते रहेंगे.

फसल बेचने को मजबूर किसान

धान खरीदी की तारीख आगे बढ़ाए जाने के कारण किसान अपनी फसल मजबूरी में बिचौलियों और निजी दुकानदारों को कम दाम पर भी बेच रहे हैं, उनका कहना है कि, 'जहां सरकार प्रति क्विंटल धान के 2500 देती है तो वहीं बिचौलिए 1400 रुपये से ज्यादा देने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में रुपयों की जरूरत की वजह से नुकसान उठाकर किसान फसल बेच रहे हैं.

किसानों की बढ़ रही समस्या

धान खरीदी की तारीख बढ़ाए जाने से किसानों को अब फसलों को सुरक्षित रखने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. मौसम में होने वाले उतार-चढ़ाव की वजह से किसानों के सामने अब कट चुकी फसलों को मौसम से बचाए रखने की समस्या खड़ी हो गई है. किसानों की हितैषी सरकार कही जाने वाले भूपेश सरकार ने अब तक किसानों को कई तोहफे दिए थे, लेकिन सरकार के इस फैसले के बाद किसानों ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है और इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

Intro:गरियाबंद--- छत्तीसगढ़ सरकार के कल शाम हुए फैसले ने किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें डाल दी है पिछले सालों में जहां सरकार कभी 1 नवंबर तो कभी 15 नवंबर को धान खरीदी करते आई है वहीं इस बार सरकार ने मौसम का हवाला देकर धान खरीदी 1 दिसंबर से करने की घोषणा की है मगर गरियाबंद इलाके के किसान इसे लेकर खासे परेशान हैं किसानों का कहना है कि धान कटाई प्रारंभ हो गई है काटकर फसल खलिहान में लाई जा रही है दो-तीन दिनों में मिंजाई आदि कार्य करते हुए फसल बेचने लायक स्थिति में पहुंच जाएगी मगर खरीदी प्रारंभ नहीं होने के चलते फसल काटने वाले मजदूर मीजाई करने वाले समेत किसानों को घर खर्च के लिए पैसों की जरूरत पड़ेगी ऐसे में धान खरीदी की तारीख आगे बढ़ाए जाने के चलते लंबे समय तक किसानों के हाथ खाली रहेंगे और मजदूर भी पैसों के लिए परेशान होते रहेंगे कई किसानों ने तो मजबूरी में फसल का कुछ हिस्सा बिचौलियों और निजी दुकानदारों को मजबूरी में कम दाम पर भी बेचने की बात कही है उनका कहना है कि जहां सरकार 2500 देती है तो वही बिचौलिए साडे 14 सौ ही देने को तैयार है ऐसे में पैसों की जरूरत के चलते 950 का नुकसान उठाकर भी किसान अपनी फसल का कुछ हिस्सा बेचने की बात कह रहा है


Body:भूपेश सरकार ने अब तक किसानों के लिए कई तोहफे दिए थे कई राहत भरी घोषणाएं की किसान हितैषी सरकार के रूप में पहचान बनाने के बाद सरकार के इस नए फैसले ने पहली बार किसानों कि मंशा के विपरीत धान खरीदी की तारीख आगे बढ़ा दी है किसान जहां जल्दी धान खरीदी की उम्मीद लगाए बैठा था वही धान खरीदी की तारीख 15 दिन और आगे बढ़ा दी गई है इस बार धान खरीदी 1 दिसंबर से प्रारंभ होकर 15 फरवरी तक चलेगी
किसानों को जैसे ही आज सुबह इसकी जानकारी लगी उनके चेहरे की रौनक चली गई बहुत सारे किसानों के पास फसल रखने के लिए स्थान नहीं है कई किसान सीधे खेत से फसल मंडी ले जाया करते थे उन्हें भी इससे खासी परेशानी होने की आशंका जो किसान धान के भिड़ा खलिहान में ले जाकर मिंजाई करते हैं उन्हें अब फसल कटाई के बाद मौसम के उतार-चढ़ाव से फसल को बचाने का अतिरिक्त कार्य करना पड़ेगा


इन सबके बीच जब हमने किसानों से बात की तो उन्हें सबसे अधिक चिंता जरूरत के समय पैसा उपलब्ध नहीं होने को लेकर थी किसानों का कहना है कि मजदूरों से 10 दिन का समय मांग कर कार्य करवाया जा रहा है मगर अब धान खरीदी ही 1 दिसंबर को प्रारंभ होगी तो उसका पैसा लगभग 5 दिसंबर से मिलना प्रारंभ होगा ऐसे में लगभग 35 दिन अभी और बिना पैसे के काम कैसे चलेगा यह समझ नहीं आ रहा है कुछ किसानों ने तो मजबूरी में बिचौलियों को 1450 रुपए में फसल का कुछ हिस्सा बेचने की बात कहें

एक किसान इसे लेकर साफ कहता है कि किसान हितैषी सरकार बनाए हैं उन्हें इस फैसले को बदलना चाहिए हमारी आवाज आप वहां तक पहुंचाइए




Conclusion:121--- किसानों के समूह से इस विषय पर बातचीत
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