दुर्ग : 26 जनवरी के अवसर पर देश की राजधानी दिल्ली में छत्तीसगढ़ की झांकी दिखेगी.जिसमें आदिम जन संसद का प्रदर्शन किया जाएगा.इस झांकी के लिए छत्तीसगढ़ के कलाकारों बड़ी मेहनत की है. दिल्ली जाने से पहले सभी कलाकारों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से वर्चुअली आशीर्वाद लिया.इस दौरान झांकी के कलाकारों का सीएम विष्णुदेव साय ने हौंसला बढ़ाया. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रेलवे स्टेशन पर ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी कलाकारों से बात की.इसके बाद छत्तीसगढ़ की संस्कृति को प्रस्तुत करने के लिए उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी.
क्या है झांकी का आकर्षण ? : इस झांकी में जगदलपुर के मुरिया दरबार और उसके उद्गम सूत्र लिमऊ राजा को दर्शाया गया है. भिलाई स्टील प्लांट से सेवानिवृत्त और प्रख्यात लोकवाद्य संग्राहक रिखी क्षत्रिय और उनके समूह को देश-विदेश के अतिविशिष्ट अतिथियों के सामने इस झांकी को जीवंत रूप में प्रदर्शित करने की जिम्मेदारी दी गई है. यह 10 वां अवसर है, जब रिखी क्षत्रिय और उनकी टीम को छत्तीसगढ़ की झांकी प्रदर्शित करने का अवसर मिला है. रिखी क्षत्रिय की टीम मुरिया दरबार को प्रदर्शित करने अपनी तैयारियों में जुटी हुई है.छत्तीसगढ़ शासन जनसंपर्क संचालनालय की ओर से रिखी क्षत्रिय को औपचारिक पत्र जारी किया गया है. जिसमें उन्हें 4 फरवरी तक नई दिल्ली में रहना है.
कौन-कौन है टीम का मेंबर ?: रिखी क्षत्रिय की इस टीम में जयलक्ष्मी ठाकुर,नेहा,शशि साहू,प्रियंका साहू,हेमा,जागेश्वरी,माधुरी,पलक, उपासना टांडी,चंचल जांगड़े, प्रियंका साहू, तुमेश साहू,ईश्वरी,अनुराधा,हितु साहू, और कंचन क्षत्रिय सहित 17 लोगों का दल शामिल हैं. देश के 28 राज्यों के बीच कड़ी प्रतियोगिता के बाद छत्तीसगढ़ की झांकी "बस्तर की आदिम जनसंसद : मुरिया दरबार" को इस साल नई दिल्ली में होने वाली गणतंत्र-दिवस परेड के लिए चयनित किया गया है.
क्या है झांकी की थीम ? : छत्तीसगढ़ की झांकी भारत सरकार की थीम 'भारत लोकतंत्र की जननी' पर आधारित है. इस झांकी में केंद्रीय विषय "आदिम जन-संसद" के अंतर्गत जगदलपुर के मुरिया दरबार और उसके उद्गम-सूत्र लिमऊ-राजा को दर्शाया गया है. मुरिया दरबार विश्व-प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की एक परंपरा है. जो 600 सालों से चली आ रही है. इस परंपरा के उद्गम के सूत्र कोंडागांव जिले के बड़े-डोंगर के लिमऊ-राजा नामक स्थान पर मिलते हैं. इस स्थान से जुड़ी लोककथा के अनुसार आदिम-काल में जब कोई राजा नहीं था, तब आदिम-समाज एक नींबू को राजा का प्रतीक मानकर आपस में ही निर्णय ले लिया करता था.
कौन हैं रिखी क्षत्रिय : भिलाई स्टील प्लांट से सेवानिवृत्त रिखी क्षत्रिय छत्तीसगढ़ी लोक कला एवं संस्कृति के प्रति बचपन से ही समर्पित रहे हैं. वे चार दशक से छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में पहुंच कर दुर्लभ वाद्य यंत्रों का संग्रह कर रहे हैं. उनके इस संग्रह को पिछले दो दशक में देश के सभी राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री सहित कई विशिष्ट अतिथि गण देखकर सराहना कर चुके हैं.वहीं रिखी क्षत्रिय ने छत्तीसगढ़ शासन की ओर से भेजी जाने वाली गणतंत्र दिवस की झांकियों का 9 बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इस साल 2024 के गणतंत्र दिवस समारोह में रिखी क्षत्रिय के लिए 10 वां अवसर होगा, जब उनकी झांकी राजपथ पर दिखेगी.