दुर्ग: 'मिट्टी को सोना' बनाने के हुनर के बारे में आपने सुना होगा लेकिन ये कला जैसे लक्ष्मी कुर्रे के हाथों में बसती हो. उनके हाथों में आई मिट्टी इतनी खूबसूरत मूर्ति में तब्दील हो जाती है कि देखने वाले बस देखते रह जाएं. प्रतिमा बनाने के लिए वे सिर्फ जिले में ही नहीं बल्की प्रदेश में जानी जाती हैं. आपने अक्सर पुरुषों को स्टेच्यू बनाते देखा हो लेकिन लक्ष्मी इस बंधन को भी तोड़ चुकी हैं. उन्हें राज्य की पहली महिला मूर्तिकार कहा जाता है.
लक्ष्मी कुर्रे दुर्ग के मीनाक्षी नगर में रहती हैं. वे पटना (बिहार) की रहने वाली हैं. लक्ष्मी पहले मूर्तियां बनाने में अपने भाई की मदद किया करती थीं. शौक बढ़ा तो उन्होंने इसे हुनर में बदलने की ठानी. लक्ष्मी ने खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला और संगीत विश्विद्यालय से फाइन आर्ट की डिग्री हासिल की.
शहरों की शोभा बढ़ा रही हैं लक्ष्मी की बनाई मूर्तियां
मूर्तिकला में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद लक्ष्मी ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. वे अब तक गन मेटल की 100 से ज्यादा बड़ी प्रतिमाएं बना चुकी हैं. लक्ष्मी की बनाई पहली मिनी माता की मूर्ति दुर्ग के पुलगांव चौक में लगी है, जिसका लोकापर्ण लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व सीएम रमन सिंह ने किया था. उन्हें जब इसके लिए सम्मानित किया गया, तो उनका जोश और बढ़ गया.
इसके अलावा उनकी बनाई प्रतिमा रायपुर बस स्टैंड चौक पर भी लगी हुई है. लक्ष्मी ने बताया कि नए कलाकारों को आगे आने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है. वे कहती हैं कि कला ज्यादा दिनों तक छिपती नहीं है, निखर कर सामने आ जाती है.
SPECIAL: भीषण गर्मी से राहत देने 'देसी फ्रिज' बनाने में जुटे कुम्हार
अन्य प्रदेशों में भी लगी हैं प्रतिमाएं
लक्ष्मी के पति ने उनका बहुत सहयोग किया है. उन्होंने हमेशा लक्ष्मी का हौसला बढ़ाया. उनकी बनाई मूर्तियों में सबसे यादगार अजमेर में महाराजा दहाड़सेन की प्रतिमा है. लक्ष्मी की बनाई प्रतिमा छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य प्रदेश में लगाई गई है. जिसमें महाराष्ट्र के गोंदिया, भुनेश्वर, दिल्ली, बेंगलुरु सहित इंदौर में उनकी बनाई प्रतिमाएं लगी हुई हैं. 50 वर्ष की लक्ष्मी का इस क्षेत्र में जोश बरकरार है.
बचपन से ही मूर्ति बनाने का था शौक
लक्ष्मी कुर्रे के पति मनोज ने बताया कि उन्हें बचपन से ही मूर्ति कला के क्षेत्र में रुचि थी, जो आज भी बरकरार है. लक्ष्मी अब तक गन मेटल के 100 से अधिक प्रतिमाएं बना चुकी हैं. लक्ष्मी की मूर्तिकला के क्षेत्र से प्रेरित होकर आस-पास के बच्चे भी मूर्ति बनाना सीख रहे हैं. 8 से 10 स्कूली बच्चे उनके पास मूर्ति बनाने की कला सिख रहे हैं. बच्चे फिलहाल छोटी मूर्ति और शो-पीस बनाना सीख रहे हैं.