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रेल पटरियों पर AI सेंसर, जानें रेलवे ने क्यों उठाया यह कदम, क्या होंगे फायदे - AI ENABLED SENSOR ON TRACKS

रेलवे ट्रैक पर एआई सेंसर लगाए जा रहे हैं, इससे जंगली जानवरों की मौजूदगी का पता लगने से हादसे को टाला जा सकेगा.

Elephant standing near railway track
रेलवे ट्रैक के पास खड़ा हाथी (X @RailNf)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

नई दिल्ली : सुरक्षित रेल परिचालन सुनिश्चित करने के साथ ही जंगली जानवरों को ट्रेनों से टकराने की घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे ने पहल शुरू कर दी है. घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे पटरियों पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सक्षम सेंसर लगाए जा रहे हैं, जो पटरियों पर या उसके आसपास चिन्हित स्थानों पर जानवरों की उपस्थिति का पता लगाएंगे. इससे हादसे को टाला जा सकेगा.

यह एडवांस प्रणाली पशुओं की आवाजाही के बारे में पहले ही सूचना प्राप्त करने में मदद करेगी, जिससे समय पर कार्रवाई की जा सकेगी. साथ ही लोको पायलटों, स्टेशन मास्टर और नियंत्रण कक्ष को अलर्ट भेजा जा सकेगा. यह कदम रेलवे पटरियों पर जंगली जानवरों की मौत को रोकने के लिए उठाया गया है. भारतीय वन्यजीव संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार, 1990 से 2018 के बीच लगभग 115 हाथियों की मौत हुई है. वहीं जनवरी 2017 से मार्च 2023 के बीच कम से कम 33 हाथियों की मौत ट्रेन की चपेट में आने से हुई है. जबकि पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे क्षेत्र में 2014 से 2022 की अवधि में यह संख्या लगभग 65 बताई गई है.

चूंकि नई रेलवे लाइनें वन क्षेत्रों में बिछाई गई हैं या रेलगाड़ियां जानवरों के आवास से होकर गुजर रही हैं, इसलिए वन्यजीवों द्वारा ट्रैक पार करने के कारण दुर्घटनाएं हुई हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय वन्यजीव संस्थान, वन विभाग और भारतीय रेलवे द्वारा वर्ष 2024 में 19-27 मार्च के दौरान असम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड राज्यों में प्राथमिकता वाले रेलवे खंडों की पहचान करने के लिए एक संयुक्त क्षेत्र सर्वेक्षण किया गया. इस दौरान उन रेलवे पटरियों का निरीक्षण किया गया जो हाथियों के लिए असुरक्षित हैं और जहां अक्सर जानवरों को पार करते देखा जाता है.

ट्रेन के यात्रियों और पशुओं की सुरक्षा के लिए, रेलवे ने ऑप्टिकल फाइबर केबल आधारित वितरित ध्वनिक सेंसर (DAS) की स्थापना का काम शुरू किया है. इसे एआई घुसपैठ का पता लगाने वाला सिस्टम (IDS) के रूप में भी जाना जाता है, जो पहचाने गए कॉरिडोर स्थानों पर ट्रैक और इसके निकट क्षेत्रों में हाथियों या अन्य जंगली जानवरों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए है. इतना ही नहीं एआई सेंसर जंगली जानवरों की आवाजाही के बारे में अग्रिम सूचना प्राप्त करने में मदद करेंगे, जिससे समय पर कार्रवाई की जा सकेगी और लोको पायलटों, स्टेशन मास्टर और नियंत्रण कक्ष को अलर्ट भेजा जा सकेगा.

इस बारे में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि इस उद्देश्य के लिए, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे, पूर्वी तट रेलवे, दक्षिणी रेलवे, उत्तर रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे, उत्तर पूर्व रेलवे और पश्चिमी रेलवे को कवर करते हुए कुल 115 आरकेएम के साथ रेलवे के चिन्हित कॉरिडोर के लिए 208 करोड़ रुपये की लागत से कार्य स्वीकृत किए गए हैं. वैष्णव ने कहा कि विशेष रूप से, कुल 582.25 नार्थ फ्रंटियर रेलवे (NFR) का काम दिया गया है, जिसमें क्रमशः एनएफआर (141 आरकेएम), ईस्ट कोस्ट रेलवे (349.4 आरकेएम), दक्षिण रेलवे (55.5 आरकेएम), और एनईआर (36 आरएमके) शामिल हैं, जिनमें से पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में 141 आरकेएम पर काम पहले ही शुरू हो चुका है.

ये भी पढ़ें- पटरियों के बीच में क्यों बिछाए जाते हैं पत्थर? 90 फीसदी लोगों को नहीं पता

नई दिल्ली : सुरक्षित रेल परिचालन सुनिश्चित करने के साथ ही जंगली जानवरों को ट्रेनों से टकराने की घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे ने पहल शुरू कर दी है. घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे पटरियों पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सक्षम सेंसर लगाए जा रहे हैं, जो पटरियों पर या उसके आसपास चिन्हित स्थानों पर जानवरों की उपस्थिति का पता लगाएंगे. इससे हादसे को टाला जा सकेगा.

यह एडवांस प्रणाली पशुओं की आवाजाही के बारे में पहले ही सूचना प्राप्त करने में मदद करेगी, जिससे समय पर कार्रवाई की जा सकेगी. साथ ही लोको पायलटों, स्टेशन मास्टर और नियंत्रण कक्ष को अलर्ट भेजा जा सकेगा. यह कदम रेलवे पटरियों पर जंगली जानवरों की मौत को रोकने के लिए उठाया गया है. भारतीय वन्यजीव संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार, 1990 से 2018 के बीच लगभग 115 हाथियों की मौत हुई है. वहीं जनवरी 2017 से मार्च 2023 के बीच कम से कम 33 हाथियों की मौत ट्रेन की चपेट में आने से हुई है. जबकि पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे क्षेत्र में 2014 से 2022 की अवधि में यह संख्या लगभग 65 बताई गई है.

चूंकि नई रेलवे लाइनें वन क्षेत्रों में बिछाई गई हैं या रेलगाड़ियां जानवरों के आवास से होकर गुजर रही हैं, इसलिए वन्यजीवों द्वारा ट्रैक पार करने के कारण दुर्घटनाएं हुई हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय वन्यजीव संस्थान, वन विभाग और भारतीय रेलवे द्वारा वर्ष 2024 में 19-27 मार्च के दौरान असम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड राज्यों में प्राथमिकता वाले रेलवे खंडों की पहचान करने के लिए एक संयुक्त क्षेत्र सर्वेक्षण किया गया. इस दौरान उन रेलवे पटरियों का निरीक्षण किया गया जो हाथियों के लिए असुरक्षित हैं और जहां अक्सर जानवरों को पार करते देखा जाता है.

ट्रेन के यात्रियों और पशुओं की सुरक्षा के लिए, रेलवे ने ऑप्टिकल फाइबर केबल आधारित वितरित ध्वनिक सेंसर (DAS) की स्थापना का काम शुरू किया है. इसे एआई घुसपैठ का पता लगाने वाला सिस्टम (IDS) के रूप में भी जाना जाता है, जो पहचाने गए कॉरिडोर स्थानों पर ट्रैक और इसके निकट क्षेत्रों में हाथियों या अन्य जंगली जानवरों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए है. इतना ही नहीं एआई सेंसर जंगली जानवरों की आवाजाही के बारे में अग्रिम सूचना प्राप्त करने में मदद करेंगे, जिससे समय पर कार्रवाई की जा सकेगी और लोको पायलटों, स्टेशन मास्टर और नियंत्रण कक्ष को अलर्ट भेजा जा सकेगा.

इस बारे में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि इस उद्देश्य के लिए, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे, पूर्वी तट रेलवे, दक्षिणी रेलवे, उत्तर रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे, उत्तर पूर्व रेलवे और पश्चिमी रेलवे को कवर करते हुए कुल 115 आरकेएम के साथ रेलवे के चिन्हित कॉरिडोर के लिए 208 करोड़ रुपये की लागत से कार्य स्वीकृत किए गए हैं. वैष्णव ने कहा कि विशेष रूप से, कुल 582.25 नार्थ फ्रंटियर रेलवे (NFR) का काम दिया गया है, जिसमें क्रमशः एनएफआर (141 आरकेएम), ईस्ट कोस्ट रेलवे (349.4 आरकेएम), दक्षिण रेलवे (55.5 आरकेएम), और एनईआर (36 आरएमके) शामिल हैं, जिनमें से पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में 141 आरकेएम पर काम पहले ही शुरू हो चुका है.

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Last Updated : 2 hours ago
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