दुर्ग : सार्वजनिक गणेश और दुर्गा पूजा उत्सव के लिए शासन प्रशासन ने अब तक कोई गाइडलाइन जारी की है. जिससे मूर्तिकारों में असमंजस का स्थिति है. प्रतिवर्ष की तरह दुर्ग जिले के शिल्प ग्राम कहलाने वाले ग्राम थनौद के कलाकार लाखों रूपए लगाकर सैकडों की गणेश और दुर्गा जी की प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं. लेकिन कोई गाइडलाइन नहीं होने से ये मूर्तिकार परेशान हैं.
दुर्ग जिले का थनौद शिल्पग्राम कहलाता है. इस गांव में गणेश जी की मूर्तियां आकार ले चुकी है. 5 फीट से लेकर 15 फीट की मूर्तियां इनके द्वारा तैयार की जा रही है. मूर्तिकार पूरे परिवार समेत इस काम में दिन-रात जुटे हुए हैं. बता दें कि थनौद गांव में बनाई गई प्रतिमाएं न सिर्फ छत्तीसगढ़ के कोने-कोने में जाती है बल्कि ओडिशा, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश तक लोग सार्वजनिक उत्सव के लिए प्रतिमाएं इस गांव से लेकर जाते हैं. यही वजह है कि इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए मूर्तिकार मूर्तियां तैयार कर रहे हैं. लेकिन इस साल इनके व्यवसाय पर कोरोना संक्रमण मुसीबत का सबब बन गया है. अब तक गाइडलाइन जारी नहीं होने से इन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही है.
मंत्रियों को भी बताई गई समस्या
थनौद गांव में लगभग 25 ख्यातिप्राप्त मूर्तिकार हैं जिनके तहत हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ है. इस गांव का बच्चा-बच्चा मूर्तिकला से परिचित है. यही वजह है कि जिले में सर्वाधिक मूर्तियों का निर्माण यहां होता है. 6 महीने पहले ही मूर्तियों का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है. मूर्तिकारों ने मूर्तियों को सवांरने के लिए लाखों रूपए का लोन ले रखा है. मूर्तिकार इस विषय को लेकर प्रदेश के गृहमंत्री, मंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों से भी मुलाकात की है. लेकिन अब तक इन्हें कोई जवाब नहीं मिला है. वहीं कलेक्टर का कहना है कि शासन से किसी प्रकार की गाइडलाइन आने के बाद ही कुछ कहना उचित होगा.