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कोरोना से मौत के बाद अंतिम संस्कार पर आपत्ति, कब्रिस्तान और मुक्तिधाम को किया जा रहा सैनिटाइज

दुर्ग में कोरोना वायरस के केस बढ़ते जा रहे हैं. वहीं मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. शवों को दफनाने और जलाने के लिए सार्वजनिक कब्रिस्तान और मुक्तिधाम का उपयोग किया जा रहा है. इससे इन जगहों पर संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है.

Objection to funeral due to corona death
मुक्तिधाम को किया जा रहा सैनिटाइज
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Published : Jun 13, 2020, 10:35 AM IST

दुर्ग: कोविड 19 का संक्रमण प्रदेश में बढ़ता जा रहा है. प्रदेश में 6 लोगों की मौत भी कोरोना वायरस से चुकी है. इनमें दुर्ग जिले से ही 3 लोगों की मौत हुई है. इनमें से पश्चिम बंगाल जा रहे एक श्रमिक की मौत भी कोरोना संक्रमण से हुई थी. कोरोना संक्रमण से हुई मौतों के बाद शवों को जलाने और दफनाने के लिए जिला प्रशासन सार्वजनिक मुक्तिधाम और कब्रिस्तान का उपयोग कर रहा है. इससे कब्रिस्तान और मुक्तिधाम में संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है.

प्रदेश में बढ़ते कोविड 19 के आंकड़े की बात करें, तो अब तक लगभग 1,445 लोगों में कोरोना का संक्रमण पाया गया है. वहीं करीब 400 लोग ठीक होकर घर वापस गांव जा चुके हैं. इनमें से 6 लोगों की मौत भी हो चुकी है.

कब्रिस्तान और मुक्तिधाम को किया जा रहा सैनिटाइज

पढ़ें- प्रतापपुर रेड जोन घोषित, स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया आदेश

शवों को भिलाई में जलाया या दफनाया जा रहा

दुर्ग में बढ़ते मौत के आंकड़े के बीच शवों को दफनाने या जलाने के लिए सार्वजनिक स्थलों का उपयोग किया जा रहा है. जिसके चलते मुक्तिधाम में सोशल डिस्टेंसिंग की एक नई परेशानी शुरू हो गई है. निगम और जिला प्रशासन ने चारों शवों को भिलाई में जलाया और दफनाया. कब्रिस्तान के संचालकों ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई है. बता दें कि भिलाई के मुक्तिधाम में रोजाना 10 से 15 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. ऐसे में यहीं पर कोरोना से हुई डेथ के बाद अंतिम संस्कार करने से बाकी लोगों में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.

मुक्तिधाम को किया जा रहा सैनिटाइज

नगर निगम भिलाई के उपायुक्त का कहना है कि अभी कोरोना मरीजों की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए अलग से कोई जगह तैयार नहीं की गई है. रामनगर मुक्तिधाम में ही शवों का अन्तिम संस्कार किया जा रहा है. जिसमें आसपास के क्षेत्र का सैनिटाइजेशन, मुक्तिधाम जाने वालों के लिए पीपीई किट की व्यवस्था और 20 लोगों को ही श्मशान या कब्रिस्तान में रहने की अनुमति दी गई है. कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे ने कहा कि अभी संक्रमण से मरने वालों की संख्या अन्य राज्यों से कम है, लेकिन जैसे-जैसे संख्या बढ़ती है, तब किसी अन्य स्थान पर दफनाने या जलाने का इंतजाम किया जाएगा. जिला प्रशासन एसओपी के आधार पर शवों को डिस्पोज करने की बात कह रहा है.

दुर्ग: कोविड 19 का संक्रमण प्रदेश में बढ़ता जा रहा है. प्रदेश में 6 लोगों की मौत भी कोरोना वायरस से चुकी है. इनमें दुर्ग जिले से ही 3 लोगों की मौत हुई है. इनमें से पश्चिम बंगाल जा रहे एक श्रमिक की मौत भी कोरोना संक्रमण से हुई थी. कोरोना संक्रमण से हुई मौतों के बाद शवों को जलाने और दफनाने के लिए जिला प्रशासन सार्वजनिक मुक्तिधाम और कब्रिस्तान का उपयोग कर रहा है. इससे कब्रिस्तान और मुक्तिधाम में संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है.

प्रदेश में बढ़ते कोविड 19 के आंकड़े की बात करें, तो अब तक लगभग 1,445 लोगों में कोरोना का संक्रमण पाया गया है. वहीं करीब 400 लोग ठीक होकर घर वापस गांव जा चुके हैं. इनमें से 6 लोगों की मौत भी हो चुकी है.

कब्रिस्तान और मुक्तिधाम को किया जा रहा सैनिटाइज

पढ़ें- प्रतापपुर रेड जोन घोषित, स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया आदेश

शवों को भिलाई में जलाया या दफनाया जा रहा

दुर्ग में बढ़ते मौत के आंकड़े के बीच शवों को दफनाने या जलाने के लिए सार्वजनिक स्थलों का उपयोग किया जा रहा है. जिसके चलते मुक्तिधाम में सोशल डिस्टेंसिंग की एक नई परेशानी शुरू हो गई है. निगम और जिला प्रशासन ने चारों शवों को भिलाई में जलाया और दफनाया. कब्रिस्तान के संचालकों ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई है. बता दें कि भिलाई के मुक्तिधाम में रोजाना 10 से 15 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. ऐसे में यहीं पर कोरोना से हुई डेथ के बाद अंतिम संस्कार करने से बाकी लोगों में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.

मुक्तिधाम को किया जा रहा सैनिटाइज

नगर निगम भिलाई के उपायुक्त का कहना है कि अभी कोरोना मरीजों की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए अलग से कोई जगह तैयार नहीं की गई है. रामनगर मुक्तिधाम में ही शवों का अन्तिम संस्कार किया जा रहा है. जिसमें आसपास के क्षेत्र का सैनिटाइजेशन, मुक्तिधाम जाने वालों के लिए पीपीई किट की व्यवस्था और 20 लोगों को ही श्मशान या कब्रिस्तान में रहने की अनुमति दी गई है. कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे ने कहा कि अभी संक्रमण से मरने वालों की संख्या अन्य राज्यों से कम है, लेकिन जैसे-जैसे संख्या बढ़ती है, तब किसी अन्य स्थान पर दफनाने या जलाने का इंतजाम किया जाएगा. जिला प्रशासन एसओपी के आधार पर शवों को डिस्पोज करने की बात कह रहा है.

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