दुर्ग: मेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मियों के साथ कोरोना वॉरियर्स में अब उन्हें भी गिना जाएगा जो दिन-रात एक करके ऑक्सीजन प्रोडक्शन और सप्लाई के लिए काम कर रहे हैं. कोरोना से कराहते मरीजों को इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत ऑक्सीजन की है. इस महामारी की दूसरी लहर सुनामी की तरह है. जितने तेजी से केस बढ़े, उतनी ही तेजी से ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ी है. छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट में इस कठिन में 24 घंटे मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है. यहां के कर्मचारी बिना ब्रेक लिए 3 शिफ्टों में काम करते हुए लोगों की सांसों की डोर थामने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले साल अगस्त से लेकर इस साल अप्रैल की शुरुआत तक बीएसपी ने छत्तीसगढ़ समेत देश के विभिन्न राज्यों को ऑक्सीजन की सप्लाई की है.
भिलाई स्टील प्लांट भारत का पहला इस्पात उत्पादक संयंत्र है. बीएसपी रेल की पटरियों और भारी इस्पात प्लेटों का एकमात्र निर्माता है. इसे दस बार देश के सर्वश्रेष्ठ एकीकृत इस्पात कारखाने के लिए प्रधानमंत्री ट्रॉफी मिल चुकी है. ये सेल का उपक्रम है. सेल लगातार पूरे देश में अपने उपक्रमों के जरिए ऑक्सीजन सप्लाई की चेन मजबूत करने में जुटा हुआ है. मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए सेल ने 17 फीसदी उत्पादन अतिरिक्त करना शुरू कर दिया है.
भिलाई स्टील प्लांट में 24 घंटे हो रहा ऑक्सीजन प्रोडक्शन
प्रमुख रूप से 4 राज्यों में सेल की उत्पादन इकाइयां है. जिसमें छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और बिहार शामिल हैं. सेल के कर्मचारी 24 घंटे लगातार बिना रुके ऑक्सीजन की सप्लाई चैन को मजबूत करने का काम कर रहे हैं. इन चार उपक्रमों में से एक छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट में भी लगातार लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन कर लोगों को संजीवनी देने का काम कर रही है. यहां की ऑक्सीजन ने लाखों लोगों को जीवनदान दिया है.
3 शिफ्टों में लगातार हो रहा है काम
भिलाई स्टील प्लांट में कर्मचारी लगातार 24 घंटे ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहे हैं. बीएसपी जनसंपर्क के उप महाप्रबंधक प्रशांत तिवारी ने बताया कि कर्मचारी अलग-अलग 3 शिफ्टों में काम कर रहे हैं. ऑक्सीजन उत्पादन का काम लगातार जारी है, ताकि लोगों को समय पर ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा सके. BSP के कर्मचारी पूरी सजगता और ईमानदारी से अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं.
BSP में हर रोज 265 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का हो रहा उत्पादन
भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संचालित ऑक्सीजन प्लांट- 2 में हर रोज 25 टन मेडिकल का प्रोडक्शन किया जा रहा है. बिल्ड ओन व कॉरपोरेट और BOO - आधारित प्रॉक्स एयर से 240 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का हर दिन उत्पादन किया जा रहा है. इस प्रकार भिलाई इस्पात संयंत्र हर रोज 265 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहा है.
देश के कई बड़े राज्यों को 'सांसें' दे रहा छत्तीसगढ़, दिन-रात हो रहा ऑक्सीजन प्रोडक्शन
'ताकि चलती रहे सांसें'
भिलाई स्टील प्लांट में उपप्रबंधक प्रशांत तिवारी ने बताया कि प्लांट में नियमित तौर पर ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, जिससे देश में किसी की भी जान बिना ऑक्सीजन न जाए. प्लांट के ऑक्सीजन प्लांट 2 में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन बनाई जा रही है. जहां से छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्यों को ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है. अब तक 9 राज्यों को ऑक्सीजन की सप्लाई की जा चुकी है.
26 दिन में 4830 मिलियन टन ऑक्सीजन
भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारी इस त्रासदी के दौर में भी लगातार काम कर रहे हैं. भिलाई इस्पात के आंकड़े बताते हैं कि एक अप्रैल से 26 अप्रैल तक BSP में 4830 मिलियन टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा चुका है. जिसमें BSP के ऑक्सीजन प्लांट 2 में 149 और उसकी साझेदारी वाले प्रॉक्स एयर उपकरण में 4681 मिलियन टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन किया गया है. जिन्हें प्रदेश के साथ ही विभिन्न राज्यों को दिया जा चुका है.
31 मार्च तक 13,002 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति
भिलाई इस्पात संयंत्र पिछले साल अगस्त से लेकर 31 मार्च तक 13,002 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति कर चुका है. जिसका उपयोग देश के विभिन्न राज्यों के अस्पतालों में किया जा रहा है.
- इसमें सबसे अधिक तेलंगाना को 5921 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन दिया जा चुका है.
- इसके अलावा मध्य प्रदेश को 2640 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई हुई है.
- छत्तीसगढ़ को 1955, महाराष्ट्र को 999, आंध्र प्रदेश को 665 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई की गई है.
- उत्तर प्रदेश को 389 को मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई है.
- उड़ीसा को 190, गुजरात को 154 और कर्नाटक को 89 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई है.
15 अप्रैल के बाद प्रतिदिन 350 टन भेजा जा रहा ऑक्सीजन
देशभर में जैसे-जैसे ऑक्सीजन की मांग बढ़ती गई, आपूर्ति के आंकड़े भी बढ़ते चले गए. 15 अप्रैल के बाद से अब BSP हर रोज 350 टन ऑक्सीजन अस्पतालों को भेज रहा है. BSP में कुल 265 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का ही उत्पादन हो रहा है, लेकिन BSP ने बड़े-बड़े स्टोरेज टैंक में पहले से ही ऑक्सीजन को जमा कर रखा हुआ था. ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए BSP ने अब बचे हुए ऑक्सीजन को विभिन्न राज्यों को देना शुरू कर दिया है, ताकि जितना ज्यादा हो सके लोगों को ऑक्सीजन मिल जाए और जान बचाई जा सके.
छत्तीसगढ़ के लिए 'संजीवनी' बना BSP का ऑक्सीजन
देशभर में कोरोना का कहर जारी है. इसमें छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं है. यहां भी संक्रमितों के साथ ही मौत के आंकड़े भी लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में BSP का ऑक्सीजन छत्तीसगढ़ के लिए 'संजीवनी' बना हुआ है. अप्रैल 2020 से 15 अप्रैल 2021 के बीच कुल 2410.25 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति छत्तीसगढ़ प्रदेश को की जा चुकी है. जो प्रदेश के विभिन्न शहरों में संचालित अस्पतालों में लोगों के जीवन बचाने में अहम भूमिका निभा रही है.
इसके अलावा प्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक BSP के जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय और अनुसंधान केंद्र में ऑक्सीजन प्लांट द्वारा मरीजों के जीवन रक्षा के लिए 6016 ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति की जा चुकी है.
- अप्रैल 2021 के 15 दिनों में 2111 सिलेंडर की आपूर्ति भी शामिल है.
- इसके साथ ही BSP दुर्ग जिला प्रशासन को ऑक्सीजन की आपूर्ति निःशुल्क कर रहा है.
- बीएसपी ने दुर्ग को 31 मार्च से लेकर 15 अप्रैल तक 80 ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने के साथ ही 81 खाली ऑक्सीजन सिलेंडर्स को भरकर वापस किया.
- इस तरह 161 सिलेंडर जिला प्रशासन को निःशुल्क उपलब्ध कराया जा चुका है.