भिलाई : बीआईटी दुर्ग के मैकेनिकल विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर रहे सतीश कुमार साहू ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में साइबर ठगी का शिकार हो गए. नजारा गेमिंग साइट पर लगातार दो माह तक टास्क पूरा करते हुए जालसाजों ने सतीश कुमार साहू से लगभग 61 लाख रुपए जमा कराए. इसके बाद भी मुनाफा न मिलने पर उन्हें ठगी का अंदाजा हुआ. सतीश कुमार साहू ने 16 जुलाई को मोहन नगर थाने में साइबर फ्राॅड का मामला दर्ज कराया. फिलहाल पुलिस मामला दर्ज कर विवेचना कर रही है.
ऑनलाइन जाॅब खोजते हुए बने ठगी का शिकार: जवाहर नगर दुर्ग निवासी सतीश कुमार साहू बीआईटी इंजीनियरिंग कॉलेज में मैकेनिकल विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर थे, जिन्हें अप्रैल माह में बैठा दिया गया. बेरोजगार होने के कारण लगातार सतीश कुमार साहू इंटरनेट पर जॉब सर्च कर रहे थे. इसी दौरान उन्हें 8 मई को अज्ञात व्यक्ति का फोन आया. फोन करने वाले ने नजारा गेमिंग साइट की जानकारी दी और टास्क के आधार पर पैसे लगाकर मोटा मुनाफा कमाने का झांसा दिया. शुरू में मुनाफा मिला भी. फिर बड़ी रकम की बात करते हुए दो महीने में धीरे धीरे 61 लाख रुपए अलग अलग अकाउंट में सतीश कुमार साहू से जमा कराए. इसके बाद भी उन्हें न तो रकम वापस मिली और न ही मुनाफा. ठगी का एहसास होने पर सतीश कुमार पुलिस के पास पहुंचे.
जवाहर नगर दुर्ग निवासी सतीश कुमार साहू ने शिकायत दर्ज कराई है. ऑनलाइन जाॅब के झांसे में आकर उन्होंने थोड़े थोड़े करके लगभग 60 लाख रुपए किसी फर्जी अकाउंट में लगा दिए हैं. मामले में तत्काल एफआईआर दर्ज कर साइबर सेल की एक स्पेशल टीम बनाई है, जो उनके सारे बैंक डिटेल खंगाल रही है. कहां कहां पैसे जमा हुए, इसका पता लगते ही गिरफ्तारी के लिए टीम भी रवाना की जाएगी. -शलभ सिन्हा, एसपी
कैसे दर्ज करें साइबर ठगी की शिकायत: गृह मंत्रालय ने साइबर ठगी को रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर 155260 जारी किया है. इस पर साइबर ठगी की शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार होने वाला कोई भी व्यक्ति इस नंबर पर काॅल करके शिकायत कर सकता है. मंत्रालय के पोर्टल https://cybercrime.gov.in/ पर जाकर भी साइबर ठगी की शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.
साइबर ठगी में शुरू के 3 घंटे होते हैं अहम: साइबर ठगी होने पर जितनी जल्दी आप शिकायत करेंगे, रिकवरी के चांस उतने ज्यादा होगे. साइबर ठगी में शुरू के 2 से तीन घंटे काफी अहम होते हैं. जैसे ही आप ऑनलाइन ठगी की शिकायत करते हैं, साइबर टीम अलर्ट हो जाती है. टीम सबसे पहले बैंक से संपर्क करती है और जिस अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हुए हैं, बैंक उसे होल्ड पर डाल देता है. इससे होता ये है कि जिसने भी धोखाधड़ी की वो आपके पैसों का ट्रांजैक्शन नहीं कर पाता है और पैसों की रिकवरी के चांसेस बन जाते हैं.