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SPECIAL: इस डर की वजह से इस गांव में एक हफ्ते पहले ही मनाई गई दिवाली

धमतरी के सेमरा गांव के लोगों ने एक सप्ताह पहले ही दिवाली मना ली. ये परंपरा सालों से चली आ रही है.

इस गांव के लोगों ने सप्ताह भर पहले मनाई दिवाली
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Published : Oct 23, 2019, 3:39 PM IST

धमतरी : जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित सेमरा गांव में एक दस्तूर आज भी कायम है. इस गांव में सभी त्योहारों को एक सप्ताह पहले ही मनाने का रिवाज जारी है. इस परंपरा के अतीत में दास्तां छिपी है, जिसमें ग्रामीण सदियों से अपने ग्राम देवता को खुश करने के लिए हर त्योहार को एक सप्ताह पहले ही मना लेते हैं, जो अब इस गांव की पहचान बन चुकी है.

सेमरा गांव के लोगों ने एक सप्ताह पहले मनाई दिवाली

पढ़ें: SPECIAL: ट्रेनिंग लेकर यहां मिट्टी में चार चांद लगा रहे हैं कुम्भकार, लेकिन खाली हाथ

ग्रामीण बताते हैं कि 'सैकड़ों साल पहले गांव के बाहर एक बुजुर्ग आकर रहने लगे थे, जिनका नाम सिरदार था. उनकी चमत्कारिक शक्तियों और बातों से गांव के लोगों की परेशानियां दूर होती थीं. इससे उनके प्रति लोगों की आस्था और विश्वास गहराने लगा. लोग उन्हें पूर्वज मानकर पूजने लगे, तब से गांव में हर शुभ काम में उनकी पूजा की जाती है'.

अंधविश्वास या आस्था
भले ही आज के जमाने के लोग इस पर यकीन न करें, लेकिन कहा जाता है कि ऐसा नहीं करने पर उन पर आफत आ सकती है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को युवा वर्ग भी अंधविश्वास के बजाय आस्था से जोड़कर देखते हैं. इसे संजोए रखने की बात भी करते हैं. युवा बताते हैं कि इसी बहाने अपने रिश्तेदारों से मिलने और मेहमानवाजी का मौका उन्हें मिल जाता है, जो यहां त्योहार में आते हैं.

परंपरा से हटकर मना रहे त्योहार
इस मान्यता की शुरुआत कब हुई, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. ग्रामीणों को कहना है कि 'किसी समय गांव के प्रमुखों ने परंपरा से हटकर नियत तिथि के अनुसार गांव में त्योहार मनाया था, तो कई विपत्तियां आई थीं. गांव में आग लगने की घटनाएं और संकट आने लगे थे इसलिए अब उन्हें नाराज करने की बात कहते हुए चार त्योहार सप्ताहभर पहले मना लेते हैं.

वैसे तिथि से पहले त्योहार मनाए की वजह से ही यह गांव काफी मशहूर हो गया है, जिसे देखने लोग दूर-दराज से बड़ी संख्या में आते हैं.

धमतरी : जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित सेमरा गांव में एक दस्तूर आज भी कायम है. इस गांव में सभी त्योहारों को एक सप्ताह पहले ही मनाने का रिवाज जारी है. इस परंपरा के अतीत में दास्तां छिपी है, जिसमें ग्रामीण सदियों से अपने ग्राम देवता को खुश करने के लिए हर त्योहार को एक सप्ताह पहले ही मना लेते हैं, जो अब इस गांव की पहचान बन चुकी है.

सेमरा गांव के लोगों ने एक सप्ताह पहले मनाई दिवाली

पढ़ें: SPECIAL: ट्रेनिंग लेकर यहां मिट्टी में चार चांद लगा रहे हैं कुम्भकार, लेकिन खाली हाथ

ग्रामीण बताते हैं कि 'सैकड़ों साल पहले गांव के बाहर एक बुजुर्ग आकर रहने लगे थे, जिनका नाम सिरदार था. उनकी चमत्कारिक शक्तियों और बातों से गांव के लोगों की परेशानियां दूर होती थीं. इससे उनके प्रति लोगों की आस्था और विश्वास गहराने लगा. लोग उन्हें पूर्वज मानकर पूजने लगे, तब से गांव में हर शुभ काम में उनकी पूजा की जाती है'.

अंधविश्वास या आस्था
भले ही आज के जमाने के लोग इस पर यकीन न करें, लेकिन कहा जाता है कि ऐसा नहीं करने पर उन पर आफत आ सकती है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को युवा वर्ग भी अंधविश्वास के बजाय आस्था से जोड़कर देखते हैं. इसे संजोए रखने की बात भी करते हैं. युवा बताते हैं कि इसी बहाने अपने रिश्तेदारों से मिलने और मेहमानवाजी का मौका उन्हें मिल जाता है, जो यहां त्योहार में आते हैं.

परंपरा से हटकर मना रहे त्योहार
इस मान्यता की शुरुआत कब हुई, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. ग्रामीणों को कहना है कि 'किसी समय गांव के प्रमुखों ने परंपरा से हटकर नियत तिथि के अनुसार गांव में त्योहार मनाया था, तो कई विपत्तियां आई थीं. गांव में आग लगने की घटनाएं और संकट आने लगे थे इसलिए अब उन्हें नाराज करने की बात कहते हुए चार त्योहार सप्ताहभर पहले मना लेते हैं.

वैसे तिथि से पहले त्योहार मनाए की वजह से ही यह गांव काफी मशहूर हो गया है, जिसे देखने लोग दूर-दराज से बड़ी संख्या में आते हैं.

Intro:अपने अनोखे दस्तूर के चलते धमतरी जिले के सेमरा गांव के लोगों ने सप्ताह भर पहले दिवाली मना ली है.हालांकि रोशनी का त्योहार दिवाली आने वाले 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी पर अपने अनोखे दस्तूर के चलते यहां के लोगों ने मंगलवार को ही मना लिया है.हफ्ते भर पहले मनाने की इस परंपरा को मौजूदा पीढ़ी भी आगे बढ़ा रही है.बताया जाता है कि इस परंपरा को तोड़ने की जरूरत करने पर कोई न कोई अनहोनी जरूर होती है.दिगर जगहों से अलहदा त्यौहार मनाने का तरीका अब इस गांव की पहचान चुका है जिसे देखने दूर दराज से लोग आते है.


Body:वक्त पर जरूर बदला लेकिन धमतरी से करीब 22 मीटर दूर सेमरा गांव के दस्तूर आज भी कायम है.जिले के इस गांव में सभी त्यौहार एक सप्ताह भर पहले मनाने का दस्तूर है.इस दस्तूर के अतीत में एक अपनी दास्तान छिपी है.ग्रामीण बताते हैं कि सदियों पहले गांव के देवता सपने में कहा था कि हर त्यौहार सप्ताह भर पहले मनाए जिसके चलते आज भी लोग गांव के देवता को खुश करने के लिए हर त्यौहार इसी तरह मनाते आ रहे है जो अब इस गांव की परंपरा बन चुकी है.

बताया जाता है सैकड़ों साल पहले गांव के बाहर एक बुजुर्ग आकर रहने लगे थे जिनका नाम सिरदार था उनकी चमत्कारिक शक्तियों और बातों से गांव के लोगों की परेशानियां दूर होती थी. इससे उनके प्रति आस्था और विश्वास गहराने लगा.लोग उन्हें पूर्वज मानकर पूजने लगे.तब से गांव में हर शुभ काम उनकी पूजा कर करते है.

भले ही आज के जमाने के लोग इस पर यकीन ना करें लेकिन कहा जाता है कि ऐसा नहीं करने पर उन पर आफत आ सकती है जबकि सदियों से चली आ रही इस परंपरा को युवा वर्ग भी अंधविश्वास के बजाय आस्था से जोड़कर देखता है और इसे आगे संजोए रखने की यकीन दिलाते है.युवा बताते हैं कि इसी बहाने अपने रिश्तेदारों से मिलने और मेहमानवाजी का मौका उन्हें मिल जाता है जो यहां त्यौहार में आते है.

इस मान्यता की शुरुआत कब हुई यह स्पष्ट बताने वाले गांव में कोई नहीं है ग्रामीण बताते है कि किसी समय गांव के प्रमुखों ने परंपरा से हटकर नियत तिथि के अनुसार गांव में त्यौहार मनाया था तो कई विपत्तियां आई थी.गांव में आग लगने की घटनाएं और विपत्तियाँ आने लगी थी इसलिए अब उन्हें नाराज करने की बात कहते हुए चार त्यौहार सप्ताहभर पहले मना लेते है.

महिलाएं अलसुबह से ही त्यौहार की तैयारी में लग जाती हैं और शाम तक उसका घर सजकर कर तैयार हो जाता है बाद इसके पूजा पाठ के साथ पूरा परिवार और गांव इस उत्सव में शामिल होते है.




Conclusion:वैसे तिथि से पहले त्यौहार मनाया जाने की वजह से ही यह गांव काफी मशहूर हो गया है जिसे देखने लोग दूर-दराज से बड़ी संख्या में आते है.

बाईट_01 सुधीर बल्लाल,सरपंच
बाईट_02 मुन्नी बाई सिन्हा,स्थानीय महिला
बाईट_03 मोहन सिन्हा,मोखा निवासी
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