धमतरी: अपनी फसल को खराब होता देख किसानों का कलेजा फटने लगा है. लॉक डाउन उनकी मेहनत और उम्मदों पर ग्रहण बनकर आया है. कोविड-19 महामारी की वजह से स्थानीय स्तर पर भी अधिकतर बाजारों को बंद कर दिया गया है. जिसका खामियाजा किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है.
धमतरी के किसान भी बहुत परेशान हैं. इनकी सब्जी की फसल खेत में सड़ रही है. किसानों ने बताया कि कोरोना वायरस और लॉक डाउन की वजह से सब्जी उत्पादकों पर आफत टूट पड़ी है. लॉकडाउन की वजह से सब्जियों की खपत कम हो गई है, जिससे किसानों को फसल की सही कीमत भी नहीं मिल रही. साथ ही सीमाएं सील होने के कारण दूसरे जिले और राज्यों में भी सप्लाई संभव नहीं हो रही है, जिससे किसानों की सब्जियां खराब हो रही हैं. अब हालात ऐसे हो गए हैं कि मजदूरों को पेमेंट करने के भी रुपए नहीं बचे हैं.
'2-3 रुपए में भी कोई लौकी खरीदने को तैयार नहीं'
सब्जी किसान अरुण सार्वा ने बताया कि उन्होंने तकरीबन 250 एकड़ में सब्जियों की खेती की. किसानों की बाड़ी में खीरा, लौकी, बैगन, टमाटर और सेमी निकल रहा है, लेकिन लॉकडाउन के कारण मजदूरों ने काम बंद कर दिया है. बाजारों का भी ठिकाना नहीं है और न ही अब कोई खरीदार आ रहा है. वहीं दिनेश देवागंन ने बताया कि हालात यह है कि कोई भी 2 से 3 रुपए किलो में लौकी खरीदने को तैयार नहीं है. कर्ज लेकर वे किसानी कर रहे हैं, अगर ऐसा ही रहा तो वह बर्बाद हो जाएंगे.
कौन खरीदेगा हमारी फसल... ?
सब्जी बाजारों में लौकी, टमाटर समेत अन्य सब्जियों के दाम अभी भी कम नहीं हुए. लेकिन लॉकडाउन की वजह से जो सब्जी के ठेकेदार थे, वह ग्रामीण इलाकों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिससे किसानों की सब्जी बाजार तक नहीं पहुंच रही है.
किसानों की माथे पर पर चिंता की लकीरें
इस देशव्यापी संकट ने किसानों की जिंदगी में अंधेरा ला दिया है, किसानों ने जो सुबह शाम खून पासीना एक करके मेहनत की थी, उन मेहनतकश किसानों की झोली में कोरोना और लॉकडाउन ने दुख डाल दिया है. अब इन किसानों की आंखें सरकार की ओर टकटकी लगाए मदद की आस में हैं कि उन्हें कुछ मदद मिले और मुस्कान लौट सके.