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लॉकडाउन का असर: धमतरी में 14 एकड़ गोभी की फसल मवेशियों को खिलाने मजबूर हुए किसान

लॉकडाउन के कारण धमतरी के किसान बर्बाद हो गए हैं. हालत ये हो गई है कि किसानों को अपनी सब्जी की फसल मवेशियों को खिलानी पड़ रही है. किसानों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण सिर्फ एक फसल में ही उन्हें 4 से 5 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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लॉकडाउन में सब्जी नहीं बिकने से सब्जी किसान परेशान
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Published : May 18, 2021, 1:56 PM IST

Updated : May 18, 2021, 3:43 PM IST

धमतरी: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण मद्देनजर जिले में लॉकडाउन लगाया गया है. लॉकडाउन के कारण स्थानीय स्तर पर अधिकतर बाजारों को या तो बंद कर दिया गया है या समय में कटौती कर दी गई है. इसका सीधा असर सब्जी उत्पादकों पर पड़ रहा है. सब्जियां नहीं बिकने के कारण किसान अब अपनी सब्जियों की फसल मवेशियों को खिलाने पर मजबूर हो गए हैं.

गोभी की फसल मवेशियों को खिलाने मजबूर हुए किसान

कोरोना वायरस और लॉकडाउन सब्जी उत्पादक किसानों पर आफत बनकर टूटा है. एक तरफ लॉकडाउन के कारण लोकल बाजार में सब्जियों की खपत घट गई है. दूसरी तरफ सीमाएं सील होने के कारण दूसरे जिले और राज्यों में सप्लाई संभव नहीं हो रही है. इस कारण किसानों की सब्जियां खराब हो रही हैं. ऐसे में छोटे किसानों की आर्थिक स्थिति चरमराने लगी है.

14 एकड़ गोभी की फसल मवेशियों को खिला रहे किसान

धमतरी जिले के नगरी इलाके के किसान दिनेश देवांगन ने बताया कि पिछले 5 सालों से वे सब्जी की खेती कर रहे हैं. लेकिन पिछले 2 सालों से उन्हें काफी नुकसान हुआ है. लॉकडाउन के कारण उन्हें 4 से 5 लाख का नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि करीब 14 एकड़ में उन्होंने गोभी की फसल लगाई थी. फसल तैयार हो गई थी. इसी बीच लॉकडाउन लग गया. क्योंकि गोभी कच्ची सब्जी है. लिहाजा उसे स्टोर नहीं किया जा सकता है. जिसके बाद दिनेश ने अपनी फसल गायों को खिलाना ही बेहतर समझा.

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2 से 3 रुपये किलो गोभी खरीदने को भी कोई तैयार नहीं

पुखराज कश्यप भी सब्जी की खेती करते हैं. वे कहते है कि उन्होंने अपनी बाड़ी में टमाटर, बैगन सहित करेला और फूल गोभी की फसल लगाई थी. लॉकडाउन के बीच सब्जी तैयार होने के बाद सब्जियां को औने पौने दाम में बेच दिया गया. वहीं इस दौरान मांग कम हो गई जिससे सब्जियां बिक ही नहीं पाई और पूरी फसल चौपट हो गई. इसलिए वे अपनी सब्जी की फसल को गायों को चराने के लिए छोड़ दिया है. उन्होंने बताया कि मंडी में डिमांड कम होने की वजह से 2 से 3 रुपए किलो में भी फूलगोभी खरीदने को तैयार नहीं है. वे बताते हैं कि कर्ज लेकर किसानी कर रहे हैं. अगर ऐसी ही रहा तो वह बर्बाद हो जाएंगे.

लॉकडाउन से सब्जी किसान हुए बर्बाद

जिले में 15 फीसदी किसान साग-सब्जियों की खेती करते हैं. इनमें 10 फीसदी किसान छोटे और मंझोले किसान है. इनके उत्पादन की अधिकतर खपत लोकल बाजार में होती है. कुछ मंझोले किसान बड़े व्यापारियों से समझौता कर आसपास के जिलों में सप्लाई कर लेते है. लेकिन लाॅकडाउन के कारण उनके व्यवसाय पर बुरा असर पड़ रहा है.

धमतरी: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण मद्देनजर जिले में लॉकडाउन लगाया गया है. लॉकडाउन के कारण स्थानीय स्तर पर अधिकतर बाजारों को या तो बंद कर दिया गया है या समय में कटौती कर दी गई है. इसका सीधा असर सब्जी उत्पादकों पर पड़ रहा है. सब्जियां नहीं बिकने के कारण किसान अब अपनी सब्जियों की फसल मवेशियों को खिलाने पर मजबूर हो गए हैं.

गोभी की फसल मवेशियों को खिलाने मजबूर हुए किसान

कोरोना वायरस और लॉकडाउन सब्जी उत्पादक किसानों पर आफत बनकर टूटा है. एक तरफ लॉकडाउन के कारण लोकल बाजार में सब्जियों की खपत घट गई है. दूसरी तरफ सीमाएं सील होने के कारण दूसरे जिले और राज्यों में सप्लाई संभव नहीं हो रही है. इस कारण किसानों की सब्जियां खराब हो रही हैं. ऐसे में छोटे किसानों की आर्थिक स्थिति चरमराने लगी है.

14 एकड़ गोभी की फसल मवेशियों को खिला रहे किसान

धमतरी जिले के नगरी इलाके के किसान दिनेश देवांगन ने बताया कि पिछले 5 सालों से वे सब्जी की खेती कर रहे हैं. लेकिन पिछले 2 सालों से उन्हें काफी नुकसान हुआ है. लॉकडाउन के कारण उन्हें 4 से 5 लाख का नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि करीब 14 एकड़ में उन्होंने गोभी की फसल लगाई थी. फसल तैयार हो गई थी. इसी बीच लॉकडाउन लग गया. क्योंकि गोभी कच्ची सब्जी है. लिहाजा उसे स्टोर नहीं किया जा सकता है. जिसके बाद दिनेश ने अपनी फसल गायों को खिलाना ही बेहतर समझा.

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2 से 3 रुपये किलो गोभी खरीदने को भी कोई तैयार नहीं

पुखराज कश्यप भी सब्जी की खेती करते हैं. वे कहते है कि उन्होंने अपनी बाड़ी में टमाटर, बैगन सहित करेला और फूल गोभी की फसल लगाई थी. लॉकडाउन के बीच सब्जी तैयार होने के बाद सब्जियां को औने पौने दाम में बेच दिया गया. वहीं इस दौरान मांग कम हो गई जिससे सब्जियां बिक ही नहीं पाई और पूरी फसल चौपट हो गई. इसलिए वे अपनी सब्जी की फसल को गायों को चराने के लिए छोड़ दिया है. उन्होंने बताया कि मंडी में डिमांड कम होने की वजह से 2 से 3 रुपए किलो में भी फूलगोभी खरीदने को तैयार नहीं है. वे बताते हैं कि कर्ज लेकर किसानी कर रहे हैं. अगर ऐसी ही रहा तो वह बर्बाद हो जाएंगे.

लॉकडाउन से सब्जी किसान हुए बर्बाद

जिले में 15 फीसदी किसान साग-सब्जियों की खेती करते हैं. इनमें 10 फीसदी किसान छोटे और मंझोले किसान है. इनके उत्पादन की अधिकतर खपत लोकल बाजार में होती है. कुछ मंझोले किसान बड़े व्यापारियों से समझौता कर आसपास के जिलों में सप्लाई कर लेते है. लेकिन लाॅकडाउन के कारण उनके व्यवसाय पर बुरा असर पड़ रहा है.

Last Updated : May 18, 2021, 3:43 PM IST
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