धमतरी: 'आओ स्कूल चलें' में हम आपको लेकर चल रहे हैं मुजगहन प्राइमरी स्कूल. ये स्कूल दूसरे सरकारी स्कूलों के लिए नजीर है, हम ऐसा क्यों कह रहे हैं इस बात का अंदाजा आप इस स्कूल की तस्वीरों और बच्चों को देखकर लगा लीजिए.
जहां सरकारी स्कूलों की पहचान ठीक से अक्षरज्ञान देने के लिए भी नहीं होती, वहां ये स्कूल न सिर्फ बच्चों को पढ़ाकर होनहार बना रहा है बल्कि खेल-कूद और प्रैक्टिकल नॉलेज के जरिए उनकी समझ भी विकसित हो रही है.
- इस स्कूल में बच्चों की अभिव्यक्ति की समझ डेवलेप करने के लिए टीवी प्रोगाम, इंग्लिश में बातचीत कराई जाती है. इस स्कूल में नवाचार के तहत बच्चों को काबिल बनाने के लिए भरपूर कोशिश की जा रही है.
- स्कूल में बच्चों को किताबी ज्ञान के अलावा अनेक तरह की शिक्षा दी जाती है. मसलन आप से विचार साझा करना और समाचार लिखना और पढ़ना. इसी तरह 'कबाड़ से जुगाड़' बना कर अच्छे सामान तैयार करने का हुनर भी बच्चों को सिखाया जाता है.
- वहीं बच्चे पेपर मेकिंग, मिट्टी के खिलौने, मुखोटे बनाना भी सीख रहे हैं. बच्चे जब स्कूल पहुंचते हैं तभी से उनकी दिनचर्या शुरू हो जाती है कि उनको आज दिन भर क्या करना है. इसी वजह से हर बच्चे का टाइम टेबल फिक्स हो जाता है.
- इस स्कूल में करीब 162 बच्चे पढ़ने आते हैं और स्कूल स्टॉफ 6 लोगों का है. यहां रोजाना बच्चों को ध्यान और योग कराया जाता है ताकि वह मानसिक के साथ शारीरिक रूप से भी तंदुरुस्त रहें. इसके अलावा बच्चों को उनके मुताबिक पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही है, जिसे खुद बच्चे संभालते हैं. दूसरे स्कूल से यहां पढ़ने आए बच्चों का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों में उतनी अच्छी पढ़ाई नहीं होती जितनी यहां होती है.
- इसके लिए बकायदा एक लाइब्रेरी भी बनाई गई है. स्कूल में देश के सभी महापुरुषों की जयंती और विभिन्न त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. हर माह बच्चे यहां बाल वाटिका तैयार करते हैं जिसमें बच्चों के लेख और कविताएं होती हैं.
- शिक्षकों का कहना है कि नवाचार के क्षेत्र में इस स्कूल ने नया मुकाम हासिल किया है. स्कूल की विभिन्न गतिविधियों की वजह से अब प्राइवेट स्कूल से अब बच्चे इस स्कूल में एडमिशन ले रहे हैं. बताया जा रहा है कि 2 साल में यहां करीब 50 से ज्यादा बच्चे प्राइवेट स्कूलों से निकलकर आए हैं.
दूसरे स्कूल सीखें सबक
आपने आमतौर पर ये सुना होगा कि अभिभावक परेशान होकर सरकारी स्कूलों से निकालकर अपने बच्चों का दाखिला निजी स्कूल में कराते हैं. लेकिन इस स्कूल में निजी स्कूल छोड़कर बच्चे एडमिशन लेते हैं. वाकई इस स्कूल के शिक्षकों से बाकी सरकारी स्कूलों को सबक लेना चाहिए.