कुरुद/धमतरी: एक बीमारी ने हंसते-खेलते परिवार की खुशियां छीन ली हैं. जिस बेटे-बेटी को कभी स्कूल जाता देख पिता फूले नहीं समाते थे, आज उन्हें चारदीवारी के अंदर रखना पड़ रहा है. दोनों सगे भाई-बहन अब चल-फिर नहीं सकते हैं और न ही बिना सहारे के कहीं आ-जा सकते हैं. ऐसा नहीं है कि दोनों के इलाज में कोई कसर रह गई हो. पिता ने हर मुमकिन कोशिश की, यहां तक कि इलाज के लिए जमीन भी बिक गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. ऐसे में परिवार अब शासन-प्रशासन से मदद की उम्मीद लगाए बैठे है.
अछोटी गांव में रहने वाले उद्धव राम के परिवार में 4 सदस्य हैं. लगभग 20 साल पहले पत्नी की मृत्यु एक लाइलाज बीमारी से हो गई थी, जिसके बाद उद्धव के जीवन में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. समय बीतने के बाद जैसे-तैसे परिवार संभल गया, लेकिन कुछ साल बाद फिर परिवार पर विपत्ति आई. 11वीं और 10वीं की पढ़ाई कर रहे बेटे और बेटी के हाथ-पैर अकड़ने के साथ ही उनकी आवाज में बदलाव आना शुरू हो गया. फिर बीमारी ने दोनों को ऐसा जकड़ा कि स्कूल जाना ही बंद हो गया. मौजूदा समय में बेटा पाऊ के सहारे चल रहा है, तो बेटी की जिंदगी खाट पर ही बीत रही है.
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स्थानीय स्तर पर इलाज कराते सालों गुजर गए. पिता ने अपनी जमापूंजी भी इलाज में खर्च कर डाली, लेकिन दोनों ठीक नहीं हो सके. दोनों बच्चों के इलाज के लिए इतनी मोटी रकम उद्धव राम के बस की बात नहीं है. उद्धव साहू का कहना है कि इलाज के लिए कई जगह डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इलाज के लिए लगभग 2 एकड़ जमीन भी बिक गई.
शासन-प्रशासन को भी दी जानकारी
उद्धव साहू का कहना है कि कई बार शासन-प्रशासन को भी अवगत कराया, लेकिन परेशानी सुनने वाला कोई नहीं है. वहीं पूर्व में स्वास्थ्य मंत्री रहे अजय चंद्राकर को भी इसकी जानकारी दी, लेकिन उन्होंने भी कोई ध्यान नहीं दिया. उद्धव साहू को शासन-प्रशासन से अभी भी उम्मीद है कि उन्हें सहयोग मिले, तो वह अपने बच्चों का इलाज करा सकते हैं. हालांकि अब जिला प्रशासन का कहना है कि शासन स्तर पर जो भी मदद होगी, वह इस परिवार को जरूर उपलब्ध कराई जाएगी.