धमतरी: पूरी दुनिया इस समय कोरोना महामारी से जूझ रही है. खासतौर पर दिहाड़ी मजदूर और छोटे-मोटे धंधे कर अपना परिवार पालने वाले लोग काफी परेशानी झेल रहे हैं. इसके साथ ही मूर्तिकारों, चित्रकारों या कुम्हारों पर भी कोरोना की मार पड़ी है.
इन्हीं परेशानियों को लेकर छत्तीसगढ़ मूर्तिकार चित्रकार संघ सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचा और जिला प्रशासन के समक्ष अपनी मांग रखी है. उन्होंने नवरात्रि पर्व के संबंध में शासन द्वारा निर्धारित गाइडलाइन में संशोधन करने की मांग की है. बता दें कि 17 अक्टूबर से नवरात्र शुरू होने वाला है. इस दौरान कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन ने आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इस आदेश के तहत मूर्ति की ऊंचाई और चौड़ाई 6×5 फीट से ज्यादा नहीं होगी और जारी गाइडलाइंस के मुताबिक 4 सीसीटीवी कैमरे की अनिवार्यता रखी गई है. इधर समितियों का कहना है कि उन पर आर्थिक बोझ पड़ेगा. इसी तरह पंडाल के सामने लगभग 3000 वर्ग फीट खुली जगह होने के निर्देश दिए गए हैं.
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मूर्तिकारों का कहना है कि जिले की समितियों द्वारा चौक-चौराहों पर पंडाल लगाकर मूर्ति की स्थापना की जाती है, जबकि इस बार ऐसी जगहों पर स्थान मिलना संभव नहीं है. इसके अलावा कड़े नियमों के कारण इस बार दुर्गा मां की प्रतिमा स्थापित करना मुश्किल हो गया है. ऐसे में दुर्गा समितियां घबराई हुई हैं. मूर्तिकारों की मानें तो वे आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं. इस बार जैसे-तैसे कर उनके द्वारा लगभग 2000 मूर्तियों का निर्माण किया गया है, लेकिन प्रशासन के सख्त नियमों के कारण जिले के दुर्गा समितियां मूर्ति स्थापना को लेकर घबरा रहे हैं. उन्हें डर है कि इन गाइडलाइंस के कारण उनकी बनाई मूर्तियां नहीं बिक पाएंगी.
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जारी निर्देशों को संशोधित कर थिशिल करने की मांग
मूर्तिकारों ने प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों को संशोधित करने या फिर मूर्तियों को आगामी साल तक सुरक्षित करने के लिए निःशुल्क भवन उपलब्ध कराने की मांग की है, ताकि मूर्तियां खराब न हों.