धमतरी: असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा अलग-अलग जगहों में अलग-अलग रिवाजों से मनाया जाता है. कहीं रावण दहन होता है तो कहीं रावण की पूजा की जाती है. जिले के सोनामगर गांव में विजयादशमी मनाने की परंपरा बेहद अलग है. यहां रावण दहन नहीं होता बल्कि दशानन का नग्न पुतला तलवार के काटने का रिवाज है.
पुजारी रावण की नग्न प्रतिमा को तलवार से काटता है, जिसके बाद लोग प्रतिमा के मिट्टी को अपने घर लेकर जाते हैं. साथ ही एक-दूसरे को तिलक लगाकर खुशियां मनाते हैं.
हर साल होती है लोगों की भीड़
सिहावा के सोनामगर गांव में मनाए जाने वाले इस अनोखे दशहरे का लोगों को हर साल इंतजार रहता है. सुबह से ही यहां लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है. कई पीढ़ियों से चली आ रही इस प्रथा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
ऐसी है मान्यता
इस धार्मिक उत्सव के बारे में मान्यता है कि, 'सदियों पहले वासना से ग्रसित एक असुर का वध माता चण्डिका ने अपने खड़ग से किया था. तब से ये परंपरा चली आ रही है और इलाके के लोग आज भी आस्था की इस डोर को थामे हुए हैं.
पीढ़ी दर पीढ़ी से कुम्हार बना रहे हैं रावण की प्रतीमा
मूर्ति बनाने के लिए घर-घर से लाए मिट्टी को गढ़ने की शुरुआत सुबह से ही हो जाती है. गांव के कुम्हार पीढ़ी दर पीढ़ी मूर्ति बनाते आ रहे हैं. इसमें सभी धर्म और संप्रदाय के लोग सहयोग करते हैं.
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महिलाएं नहीं होती शामिल
अरसे से चले आ रहे इस दशहरे की किसी भी पूजा और रावण वध के कार्यक्रम में महिलाएं शामिल नही होती हैं.