ETV Bharat / state

Amazing village of Dhamtari : 900 सालों से गांव में ना जली होलिका, ना ही हुआ दाह संस्कार

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के तेलीनसत्ती गांव में 900 सालों से ना तो किसी की चिता जली है और ना ही होलिका दहन हुआ है. हालांकि यहां लोग होली पर रंग जरूर खेलते हैं.

Etv Bharat
900 सालों से गांव में ना जली होलिका
author img

By

Published : Mar 7, 2023, 8:01 PM IST

900 सालों से गांव में ना जली होलिका, ना ही हुआ दाह संस्कार

धमतरी : शहर से 3 किलोमीटर दूर तेलीनसत्ती गांव है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां 12वीं शताब्दी के बाद से अबतक होलिका दहन नहीं किया गया है. एक महिला के होने वाले पति को बली दी गई थी. जिसके बाद उस महिला ने खुद को आग के हवाले कर दिया और वह सती हो गई. इस घटना के बाद से ही तेलीनसत्ती गांव के लोगों ने होलिका दहन नहीं किया है.ग्रामीणों का यह भी मानना है कि जो लोग बरसों से चली आ रही परंपरा को नहीं मानते उनके साथ बुरा होता है या उनकी मृत्यु तक हो जाती है.

क्या है कहानी : आइये आपको उस सती की कहानी बताते हैं, जिसके सती होने के बाद से यहां होलिका दहन नहीं किया जाता है. दरअसल भानपुरी गांव के दाऊ परिवार में सात भाइयों के बाद एक बहन जन्मी. बहन का नाम भानुमति रखा गया. भाइयों ने अपनी इकलौती बहन के लिए लमसेना यानी घरजमाई ढूंढा. दोनों की शादी तय करी दी गई. लेकिन गांव के ही किसी तांत्रिक ने फसल को प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए जीजा की बलि की सलाह दी. इसके बाद भाइयों ने मिलकर अपने होने वाले जीजा की बलि चढ़ा दी.

भानुमति ने खुद को किया आग के हवाले : इधर भानुमति पहले ही उसे अपना पति मान चुकी थी, लिहाजा उसने खुद को आग के हवाले कर दिया और सती हो गई. कहते हैं मौत के बाद वह ग्रामीणों के सपने में आती और दाह संस्कार करने से मना करती थी. ऐसा नहीं करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की बात भी कहती थी. यही वजह है कि इस गांव में 900 साल से कोई दाह संस्कार नहीं होता.

ये भी पढ़ें- गंगरेल में अब गंदगी करने वालों की खैर नहीं

गांव में नहीं जलाई जाती चिता : खास बात यह भी है कि तेलीनसत्ती गांव में दशहरा में रावण नहीं जलाया जाता. यहां कोई चिता भी नहीं जलाई जाती है. गांव में किसी की मौत होने पर पड़ोस के गांव में ले जाकर अंतिम संस्कार किया जाता है.ग्रामीण देवलाल कहते हैं कि '' परंपरा का पालन नहीं करने पर ग्रामीणों को विपत्ति का सामना करना पड़ता है.''

900 सालों से गांव में ना जली होलिका, ना ही हुआ दाह संस्कार

धमतरी : शहर से 3 किलोमीटर दूर तेलीनसत्ती गांव है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां 12वीं शताब्दी के बाद से अबतक होलिका दहन नहीं किया गया है. एक महिला के होने वाले पति को बली दी गई थी. जिसके बाद उस महिला ने खुद को आग के हवाले कर दिया और वह सती हो गई. इस घटना के बाद से ही तेलीनसत्ती गांव के लोगों ने होलिका दहन नहीं किया है.ग्रामीणों का यह भी मानना है कि जो लोग बरसों से चली आ रही परंपरा को नहीं मानते उनके साथ बुरा होता है या उनकी मृत्यु तक हो जाती है.

क्या है कहानी : आइये आपको उस सती की कहानी बताते हैं, जिसके सती होने के बाद से यहां होलिका दहन नहीं किया जाता है. दरअसल भानपुरी गांव के दाऊ परिवार में सात भाइयों के बाद एक बहन जन्मी. बहन का नाम भानुमति रखा गया. भाइयों ने अपनी इकलौती बहन के लिए लमसेना यानी घरजमाई ढूंढा. दोनों की शादी तय करी दी गई. लेकिन गांव के ही किसी तांत्रिक ने फसल को प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए जीजा की बलि की सलाह दी. इसके बाद भाइयों ने मिलकर अपने होने वाले जीजा की बलि चढ़ा दी.

भानुमति ने खुद को किया आग के हवाले : इधर भानुमति पहले ही उसे अपना पति मान चुकी थी, लिहाजा उसने खुद को आग के हवाले कर दिया और सती हो गई. कहते हैं मौत के बाद वह ग्रामीणों के सपने में आती और दाह संस्कार करने से मना करती थी. ऐसा नहीं करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की बात भी कहती थी. यही वजह है कि इस गांव में 900 साल से कोई दाह संस्कार नहीं होता.

ये भी पढ़ें- गंगरेल में अब गंदगी करने वालों की खैर नहीं

गांव में नहीं जलाई जाती चिता : खास बात यह भी है कि तेलीनसत्ती गांव में दशहरा में रावण नहीं जलाया जाता. यहां कोई चिता भी नहीं जलाई जाती है. गांव में किसी की मौत होने पर पड़ोस के गांव में ले जाकर अंतिम संस्कार किया जाता है.ग्रामीण देवलाल कहते हैं कि '' परंपरा का पालन नहीं करने पर ग्रामीणों को विपत्ति का सामना करना पड़ता है.''

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.