धमतरी: ग्रामीण इलाकों में स्वच्छ पेजयल की सुविधा लोगों तक नहीं पहुंच सकी है. सरकार तमाम दावे करती है, लेकिन इनकी हकीकत का अंदाजा वनांचल इलाके के गड़डोंगरी के आश्रित ग्राम डोहला के हालातों से लगाया जा सकता है. गांव में तीन तीन हैंडपंप होने के बावजूद भी यहां के ग्रामीण लाल पानी पीने को मजबूर हैं. आजादी के 72 साल बीत जाने के बावजूद भी लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं.
ग्राम डोहला में करीब 500 लोग रहते हैं, इनमें ज्यादातर आदिवासी हैं. यहां के लोग अपनी तमाम जरुरतों के लिए जंगल पर निर्भर हैं. गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए करीब 3 हैंडपंप हैं. लेकिन इन हैंडपंपों से लाल पानी निकल रहा है. शासन-प्रशासन हर साल स्वच्छ पानी के नाम पर लाखों रुपये का मसौदा तैयार करता है, बावजूद इसके ग्रामीण आज भी लाल पानी को पीने के लिए मजबूर हैं. ऐसे में शासन की सारी योजनाएं महज कागजों में ही सिमटती नजर आ रही है. जिले के आदिवासी बहूल इलाके के ग्राम डोहला में आदिवासी परिवारों को पेयजल के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.
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खेतों में लगे बोर पर आश्रित हैं लोग
ग्रामीणों को साफ पानी के लिए दूसरों पर आश्रित रहना पड़ रहा है. ग्रामीणों की माने तो गांव के सभी हैंडपंप खराब हैं. उनमें से लाल पानी निकलता है. जिस वजह से अब उन्हें खेतों में लगे बोर पर आश्रित होना पड़ रहा है. ग्रामीणों का यह भी कहना है कि ये समस्या बीते कई महीनों से बनी हुई है. इसे लेकर कलेक्टर और विधायक को भी जानकारी दी जा चुकी है, लेकिन उन्हे सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल सका है. बता दें कि पीएचई विभाग को भी गांव की समस्या की जानकारी है. लेकिन फिलहाल विभाग की ओर से कोई पहल नहीं की गई है. देखना ये होगा कि आखिर कब प्रशासन इन 500 परिवारों की समस्या पर ध्यान देगा और इन्हें स्वच्छ पानी मिल सकेगा.