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VIDEO: जब किसी ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने पहाड़ काटकर खुद ही बना दी सड़क

गांव के सैकड़ों मांझी ने प्रशासन के साथ मिलकर गांव का नक्शा बदल दिया. जिन सड़कों को पहाड़ों न रोक रखा था, गांव के लोगों उसे काट कर रास्ता बना दिया.

गांव का हर एक व्यक्ति बना मांझी
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Published : Nov 16, 2019, 12:00 PM IST

Updated : Nov 16, 2019, 2:08 PM IST

धमतरी: दशरथ मांझी की कहानी तो आपने सुना ही होगी. जब सत्ता, सरकार और समाज ने मांझी को दुत्कार दिया तो उसने अकेले ही पहाड़ काटकर रास्ता बना लिया था. एक कहावत ये भी है कि कुछ लोग प्रतिकूल परिस्थितियों से टूट जाते हैं, तो कुछ ऐसी ही परिस्थिति में रिकार्ड भी तोड़ते हैं. इसी कहावत को धमतरी जिले के भोथापारा ग्राम पंचायत के लोगों ने सच कर दिखाया है.

शासन-प्रशासन की अनदेखी ने ग्रामीणों को दी 'नई राह'

ग्रामीणों को जब सरकार सियासत से कोई मदद नहीं मिली तो, उन्होंने खुद अपना रास्ता तय किया और आज उनकी जिद ने गांव का नक्शा ही बदल डाला. ग्रामीणों ने 25 फीट ऊंचे और 250 फीट लम्बे पहाड़ को काटकर गांव के लिए नई सड़क बनाई है.

दरअसल, वनांचल क्षेत्र के ग्राम पंचायत भोथापारा, मॉडमसिल्ली, नाथूकोन्हा और सायफनपारा सहित आसपास के लोगों को दूसरी जगह जाने के लिए लंबी दूरी तय करना पड़ता था. इसी बीच ग्रामीणों के साथ हादसे भी होते रहते थे. गांव में कोई बीमार पड़ जाए तो, अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो जाता था. इन परिस्थिति को देखते हुए 200 ग्रामीणों ने घने जंगल में दिन रात मेहनत कर 2 साल में पहाड़ काटकर अपने लिए रास्ता बना लिया, हालांकि बाद में प्रशासन ने भी ग्रामीणों की मदद की.

पढ़ें : जशपुर: हॉकी और बॉल से मिलेगा जिंदगी का 'गोल'

6 महीने में बदला गांव का नक्शा

गांव का नक्शा बदलने में ग्रामीणों को 2 साल लग गए. जून 2016 में लोकसुराज अभियान के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह जब इस गांव में पहुंचे थे, तो उन्होंने इस प्रयास के लिए ग्रामीणों की पीठ भी थपथपाई थी. इस दौरान गांववालों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री से पक्की सड़क की मांग की थी, जिसे उन्होंने फौरन मान लिया और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत एक करोड़ 97 लाख रुपये की लागत से करीब ढ़ाई किलोमीटर तक सीमेंट कंक्रीट रोड का निर्माण कराया गया.

20 किलोमीटर का करना पड़ता था सफर
मॉडमसिल्ली के सायफनपारा में 400 मीटर लंबी पहाड़ी के कारण यहां के लोगों को कुरमाझर सहित आसपास गांव जाने के लिए पहाड़ से घूमकर 20 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था. पहाड़ काटने के बाद यह दूरी 13 किलोमीटर कम हो गई है. अब लोग सिर्फ 7 किलोमीटर सफर तय कर कुरमाझर सहित आसपास गांव पहुंच रहे हैं. वहीं समय पर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही दूसरे कामों के लिए भी परेशान नहीं होना पड़ता है.

धमतरी: दशरथ मांझी की कहानी तो आपने सुना ही होगी. जब सत्ता, सरकार और समाज ने मांझी को दुत्कार दिया तो उसने अकेले ही पहाड़ काटकर रास्ता बना लिया था. एक कहावत ये भी है कि कुछ लोग प्रतिकूल परिस्थितियों से टूट जाते हैं, तो कुछ ऐसी ही परिस्थिति में रिकार्ड भी तोड़ते हैं. इसी कहावत को धमतरी जिले के भोथापारा ग्राम पंचायत के लोगों ने सच कर दिखाया है.

शासन-प्रशासन की अनदेखी ने ग्रामीणों को दी 'नई राह'

ग्रामीणों को जब सरकार सियासत से कोई मदद नहीं मिली तो, उन्होंने खुद अपना रास्ता तय किया और आज उनकी जिद ने गांव का नक्शा ही बदल डाला. ग्रामीणों ने 25 फीट ऊंचे और 250 फीट लम्बे पहाड़ को काटकर गांव के लिए नई सड़क बनाई है.

दरअसल, वनांचल क्षेत्र के ग्राम पंचायत भोथापारा, मॉडमसिल्ली, नाथूकोन्हा और सायफनपारा सहित आसपास के लोगों को दूसरी जगह जाने के लिए लंबी दूरी तय करना पड़ता था. इसी बीच ग्रामीणों के साथ हादसे भी होते रहते थे. गांव में कोई बीमार पड़ जाए तो, अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो जाता था. इन परिस्थिति को देखते हुए 200 ग्रामीणों ने घने जंगल में दिन रात मेहनत कर 2 साल में पहाड़ काटकर अपने लिए रास्ता बना लिया, हालांकि बाद में प्रशासन ने भी ग्रामीणों की मदद की.

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6 महीने में बदला गांव का नक्शा

गांव का नक्शा बदलने में ग्रामीणों को 2 साल लग गए. जून 2016 में लोकसुराज अभियान के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह जब इस गांव में पहुंचे थे, तो उन्होंने इस प्रयास के लिए ग्रामीणों की पीठ भी थपथपाई थी. इस दौरान गांववालों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री से पक्की सड़क की मांग की थी, जिसे उन्होंने फौरन मान लिया और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत एक करोड़ 97 लाख रुपये की लागत से करीब ढ़ाई किलोमीटर तक सीमेंट कंक्रीट रोड का निर्माण कराया गया.

20 किलोमीटर का करना पड़ता था सफर
मॉडमसिल्ली के सायफनपारा में 400 मीटर लंबी पहाड़ी के कारण यहां के लोगों को कुरमाझर सहित आसपास गांव जाने के लिए पहाड़ से घूमकर 20 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था. पहाड़ काटने के बाद यह दूरी 13 किलोमीटर कम हो गई है. अब लोग सिर्फ 7 किलोमीटर सफर तय कर कुरमाझर सहित आसपास गांव पहुंच रहे हैं. वहीं समय पर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही दूसरे कामों के लिए भी परेशान नहीं होना पड़ता है.

Intro:ग्रामीणों की वर्षों पुरानी मांग आखिरकार पूरी हो चुकी है कभी धमतरी जिले की मॉडमसिल्ली और आसपास क्षेत्र के लोगों को एक से दूसरे गांव जाने के लिए पहाड़ी के कारण 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था लेकिन इस समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों ने प्रशासनिक मदद से 25 फीट ऊंचे और 250 फीट लम्बी पहाड़ को काटकर अपनी कड़ी मेहनत से अब उसे सुगम रास्ता बना लिया है और इसके पीछे ग्रामीणों की जिद और लगन की अपनी कहानी है.


Body:दरअसल वनांचल क्षेत्र के ग्राम पंचायत भोथापारा,मॉडमसिल्ली,नाथूकोन्हा और सायफनपारा सहित आसपास के लोगों ने दशरथ मांझी के नक्शे कदम पर चलकर उन्ही के तरह पहाड़ में से रास्ता निकाल कर दिखा दिया.पहाड़ की वजह से यह गांव एक दूसरे कट गए थे.यहां के रहने वाले लोगों ने को दूसरी जगह जाने के लिए 20 दिन तक घूमकर जाना पड़ता था जिसके कारण किसी आपातकालीन स्थिति में भी हॉस्पिटल पहुंचने में घंटो लग जाते थे.जिसे देखते हुए इलाके के लोगों ने पहाड़ को काटकर रास्ता बनाने की सोची.इस विचार को लेकर उन्होंने अपनी बात अधिकारियों तक भी पहुंचाई जिसके बाद प्रशासन ने मनरेगा के तहत उन्हें यह काम दिला दिया और करीब 200 ग्रामीणों ने घने जंगल में दिन रात मेहनत कर 6 महीने में 15 फीट चौड़ी और 400 मीटर पहाड़ काटकर का आवागमन का रास्ता बना लिया था.

जून 2016 में लोकसुराज अभियान के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने यहां आने पर इस प्रयास के लिए ग्रामिनी की पीठ थपथपाई थी.गांववालों ने मुख्यमंत्री से पक्की सड़क की मांग की थी तब उन्होंने टकाक पक्की सड़क बनाने की घोषणा की थी.बाद इसके पीएमजीएसवाई के मदद से यहां अब 1 करोड़ 97 लाख की लागत से करीब ढाई किलोमीटर सीसी रोड का निर्माण किया जा चुका है.

बता दे कि मॉडमसिल्ली के सायफनपारा में 400 मीटर लम्बी पहाड़ी के कारण यहां के लोगो को कुरमाझर सहित आसपास गांव जाने के लिए पहाड़ी घूमकर 20 किमी का सफर तय करना पड़ता था.पर पहाड़ काटने के बाद यह दूरी 13 किमी कम हो गई है और अब लोग सिर्फ 7 किमी सफर कर कुरमाझर सहित आसपास गांव पहुँच जा रहे है.वही समय पर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए राशन सहित अन्य कामो के लिए परेशान नही होना पड़ता है.




Conclusion:बहरहाल इलाके की ग्रामीण अब पक्की सड़क बन जाने से बेहद खुश है क्योंकि उन्हें अब लंबी दूरी तय करना नहीं पड़ता है.

बाईट_01 दसरू यादव,स्थानीय(लाल गमछा वाला)
बाईट_02 भागवती बाई,स्थानीय महिला
बाईट_03 राधेश्याम मंडावी,स्थानीय (युवा)

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी
Last Updated : Nov 16, 2019, 2:08 PM IST
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