महासमुंद: जनपद पंचायत महासमुंद में सहायक ग्रेड 03 के बाबू राजेश शर्मा पर सेवानिवृत्त होने के बावजूद कार्यालय मे काम करने का आरोप लगा है. शिकायत मिलने पर जब मीडियाकर्मी पड़ताल करने दफ्तर पहुंचे, तो रिटायर्ड क्लर्क काम करते नजर आये, जो कि नियम खिलाफ है. वहीं इस पूरे मामले मे जनपद सीईओ से सवाल करने पर वह गोलमोल जवाब देती नजर आईं. मामले के संज्ञान में आते ही जिला पंचायत सीईओ ने जनपद कार्यालय से रिटायर क्लर्क को तत्काल बाहर करवा दिया है.
क्या है पूरा मामला: दरअसल, जनपद पंचायत महासमुंद में सहायक ग्रेड 03 के पद पर पदस्थ राजेश शर्मा 31 मई 2023 को सेवानिवृत्त हो गये थे. जिसका बकायदा लेटर भी जारी हो गया. जिसके बाद राजेश शर्मा का प्रभार सहायक ग्रेड 03 राजेश गजभिये को सौंपा गया. नियमानुसार, जब तक संविदा नियुक्ति पत्र जारी न हो, तब तक सेवानिवृत्त होने के बाद उस पद पर कार्य नहीं किया जा सकता. लेकिन राजेश शर्मा नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अपने केबिन में काम कर रहे थे.
पेंडिंग फाइलों की सूची बनाने का बहाना: जब इस संदर्भ मे मीडिया ने सेवानिवृत्त राजेश शर्मा से सवाल किया, तो उन्होने कहा कि "सीईओ मैडम ने बुलाया है. दूसरे बाबू को चार्ज देने के लिए. पेंडिंग फाइलों की सूची बना रहा हूं." लेकिन सवाल यह उठता है कि जब 30 मई को ही जनपद सीईओ ने चार्ज देने का आदेश जारी कर दिया है. तब उनके आदेश को दरकिनार कैसे किया जा रहा है. ऐसा नहीं है कि जनपद के लोगों को यह सब मालूम नहीं है. वहीं मीडिया ने जब जनपद सीईओ निखत सुलताना से सवाल किया, तो सीईओ मैडम गोल मोल जवाब देती नज़र आई. उनका कहना है कि "मैंने बाबू को नहीं बोला है कि वह काम पर आये. एक लेटर के सम्बन्ध मे मैंने उन्हें बुलाया है. लेकिन वो अगर अभी भी ऑफिस वर्क कर रहे हैं, तो मैं इसकी जांच करके कार्रवाई करुंगी."
बाबू को ऑफिस से बाहर का दिखाया रास्ता: जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक ने इसे नियम खिलाफ बताते हुए जांच के बाद कार्रवाई करने की बात कही है. इसके बाद जिला पंचायत सीईओ तत्काल जनपद पंचायत महासमुंद पहुंचे. जहां सेवानिवृत्त सहायक ग्रेड 03 राजेश शर्मा कार्यालय में मौजूद मिले. रिटायर्ड बाबू को जिला पंचायत सीईओ ने फटकार लगाया और ऑफिस से बाहर का रास्ता दिखाया.
सवाल यह उठता है कि इतने बड़े विभाग में यह कारनामा काफी दिन से चल रहा था. ऐसे में संबंधित अधिकारियों को कुछ पता ही नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है. जनपद सीईओ की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. इससे जनपद पंचायत कार्यालय की कार्यप्रणाली पर भी बड़ा सवाल लग रहा है.