धमतरी: प्रदेश सरकार समाज के पिछड़े तबके को आगे बढ़ाने के लिए तमाम योजनाएं चला रही है, लेकिन उसी सरकार के कुछ नियम इन सुविधाओं को हकदारों तक पहुंचाने में रोड़ा बन गए हैं. इससे वो तमाम सुविधाएं गरीब और असहाय छात्र-छात्राओं को नहीं मिल पा रही है. इसकी वजह से छात्र-छात्राएं और उनके परिजन सरकारी भवनों का चक्कर काटते नजर आ रहे हैं.
मामला धमतरी जिले के नगरी ब्लॉक के सिंहपुर में बने आदिम जाति विकास विभाग के अनुसचित जाति छात्रावास का है. यहां गरीब असहाय बच्चों को छात्रावास में दाखिला नहीं मिल रहा है, जिससे इलाके के नन्हें-मुन्हें बच्चों को छात्रावास के दहजील से मायूसी लेकर वापस लौटना पड़ जा रहा है. जबकि हॉस्टल में अभी भी बड़ी संख्या में सीटें खाली हैं.
छात्राओं को होती है परेशानी
गरीब तबके की छात्राओं को अगर स्कूल में एडमीशन मिल जाता है तो इनको रोजाना स्कूल आने के लिए जंगल पार कर 20 किलोमीटर की दूरी तय नहीं करना पड़ेगा और मासूम बच्चों को बड़ी समस्या से निजात मिलेगी. जिससे छात्र-छात्राएं अपना बेहतर भविष्य गढ़ सकेंगे.
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जिम्मेदारों से परिजनों की गुहार
छात्रों के परिजन ने जिम्मेदारों से फरियाद की, लेकिन उन्हें वहां भी अगर कुछ मिला तो वो आश्वासन. फिलहाल मामले से संबधित अधिकार जिला कलेक्टर के पास है. अब देखना ये होगा कि जिला प्रशासन नियम की लकीर का फकीर बना रहता है या जरूरतमंदों की मदद करता है.