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धमतरी : इस भर्ती फर्जीवाड़े की दोबारा शुरू हुई जांच, कई अधिकारियों पर गिर सकती है गाज - सीईओ

साल 2006-07 में शिक्षाकर्मी भर्ती प्रक्रिया में हुई धांधली की जांच एक बार फिर शुरू हो गई है, लिहाजा कई अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है.

शिक्षाकर्मियों का विरोध.
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Published : Aug 8, 2019, 12:34 PM IST

धमतरी: जिला पंचायत द्वारा की गई 133 पदों पर वर्ग-1 शिक्षाकर्मियों की भर्ती प्रक्रिया में हुए भ्रष्टाचार मामले की एक बार फिर जांच शुरू हो गई है. मामले में जिला पंचायत के कई तत्कालीन अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है. अपर कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने मामले की प्राथमिक रिपोर्ट शासन स्तर तक पहुंचा दी है.

शिक्षाकर्मी भर्ती फर्जीवाड़ा.

दरअसल, साल 2006-07 में जिला पंचायत ने वर्ग-1 शिक्षाकर्मी की 133 पदों के लिए मेरिट के आधार पर भर्तियां की थीं. इसमें चयनित ज्यादातर आवदकों के खिलाफ फर्जी मार्कशीट लगाकर नौकरी हासिल करने का आरोप लगा था. इस मामले की लोकायुक्त स्तर पर जांच भी की गई थी, लेकिन बाद में ये मामला दब गया. अब एक बार फिर इस मामले में जांच शुरू कर दी गई है. अपर कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जांच समिति इस मामले की जांच कर रही है.

पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी
धमतरी जनपद द्वारा साल 2006-07 में ही शिक्षाकर्मी वर्ग-3 की 89 पदों पर भर्तियां की गई थीं. इस भर्ती प्रक्रिया में पहली बार भ्रष्टाचार का उजागर हुआ था. मामले में एफआईआर के बाद आधा दर्जन शिक्षाकर्मियों को जेल जाना पड़ा था, लेकिन मामला अभी अदालत में लंबित है. इस भर्ती प्रक्रिया में जिला पंचायत सीईओ, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और बीईओ ने आवेदकों से मार्कशीट की सत्यता जांचने उनसे एक शपथ पत्र भरा लिया और इसी के दम पर भर्ती की अनुशंसा कर दी. अधिकारियों ने अपनी तरफ से मार्कशीट की जांच कराने या प्रमाणित करवाने की कोशिश नहीं की.

ऐसे हुआ खुलासा
इस भ्रष्टाचार का खुलासा भर्ती से चूक गए आवेदकों ने किया. कुछ आवेदकों ने सूचना के अधिकार के बल पर माध्यमिक शिक्षा मंडल से भर्ती हुए शिक्षाकर्मियों की मार्कशीट की कॉपी हासिल की. इससे ये साफ हो गया कि इस भर्ती प्रक्रिया में बड़े स्तर पर धांधली की गई. इससे फर्जी मार्कशीट देकर नौकरी कर रहे शिक्षाकर्मी तो फंसे साथ ही कई अधिकारियों के भी नाम सामने आए.

जनपद की तर्ज पर जिला पंचायत में हुई भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की जांच एक बार फिर शुरू हो गई है. इससे नौकरी से चूक गए असली मेरिट वाले आवेदकों में खुशी है.

धमतरी: जिला पंचायत द्वारा की गई 133 पदों पर वर्ग-1 शिक्षाकर्मियों की भर्ती प्रक्रिया में हुए भ्रष्टाचार मामले की एक बार फिर जांच शुरू हो गई है. मामले में जिला पंचायत के कई तत्कालीन अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है. अपर कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने मामले की प्राथमिक रिपोर्ट शासन स्तर तक पहुंचा दी है.

शिक्षाकर्मी भर्ती फर्जीवाड़ा.

दरअसल, साल 2006-07 में जिला पंचायत ने वर्ग-1 शिक्षाकर्मी की 133 पदों के लिए मेरिट के आधार पर भर्तियां की थीं. इसमें चयनित ज्यादातर आवदकों के खिलाफ फर्जी मार्कशीट लगाकर नौकरी हासिल करने का आरोप लगा था. इस मामले की लोकायुक्त स्तर पर जांच भी की गई थी, लेकिन बाद में ये मामला दब गया. अब एक बार फिर इस मामले में जांच शुरू कर दी गई है. अपर कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जांच समिति इस मामले की जांच कर रही है.

पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी
धमतरी जनपद द्वारा साल 2006-07 में ही शिक्षाकर्मी वर्ग-3 की 89 पदों पर भर्तियां की गई थीं. इस भर्ती प्रक्रिया में पहली बार भ्रष्टाचार का उजागर हुआ था. मामले में एफआईआर के बाद आधा दर्जन शिक्षाकर्मियों को जेल जाना पड़ा था, लेकिन मामला अभी अदालत में लंबित है. इस भर्ती प्रक्रिया में जिला पंचायत सीईओ, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और बीईओ ने आवेदकों से मार्कशीट की सत्यता जांचने उनसे एक शपथ पत्र भरा लिया और इसी के दम पर भर्ती की अनुशंसा कर दी. अधिकारियों ने अपनी तरफ से मार्कशीट की जांच कराने या प्रमाणित करवाने की कोशिश नहीं की.

ऐसे हुआ खुलासा
इस भ्रष्टाचार का खुलासा भर्ती से चूक गए आवेदकों ने किया. कुछ आवेदकों ने सूचना के अधिकार के बल पर माध्यमिक शिक्षा मंडल से भर्ती हुए शिक्षाकर्मियों की मार्कशीट की कॉपी हासिल की. इससे ये साफ हो गया कि इस भर्ती प्रक्रिया में बड़े स्तर पर धांधली की गई. इससे फर्जी मार्कशीट देकर नौकरी कर रहे शिक्षाकर्मी तो फंसे साथ ही कई अधिकारियों के भी नाम सामने आए.

जनपद की तर्ज पर जिला पंचायत में हुई भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की जांच एक बार फिर शुरू हो गई है. इससे नौकरी से चूक गए असली मेरिट वाले आवेदकों में खुशी है.

Intro:धमतरी जिले में हुए शिक्षाकर्मी भर्ती में कई गड़बड़ियां पहले सामने आ चुकी है.अब एक और पुरानी भर्ती की जांच शुरू कर दी गई है माना जा रहा है कि अगर ये जांच इमानदारी से हुई तो जिला पंचायत के कई तत्कालीन पदाधिकारी और अधिकारी नप सकते है.


Body:मामला सन 2006 - 07 का है जब जिले में शिक्षा कर्मी के तीनो वर्ग के लिये भर्ती की गई थी.सभी भर्तियां जिला और जनपद पंचायत के माध्यम से की गई थी जिसमें 89 पद वर्ग 3 के लिए थे.धमतरी जनपद में भर्ती में पहली बार गड़बड़ी उजागर हुई थी.इस मामले में एफआईआर हुआ और आधा दर्जन शिक्षाकर्मीयो को जेल जाना पड़ा.अभी मामला अदालत में है और फैसला नजदीक है.वहीं इसी दौर में वर्ग 1 के लिये जिला पंचायत में भर्तीयां हुई.इनमें 133 पदो के लिये आवेदन मंगाए गए.इस पर भी विवाद हुआ कई आरोप लगे.मामले में लोकायुक्त जांच हुई.पर मामला दब गया लेकिन अब फिर से जांच चालू कर दी गई है.धमतरी अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में जांच समिति बना कर प्राथमिक जांच रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है.

जनपद की भर्ती में जिस तरह की गड़बड़ियां सामने आई थी.उसी तरह की गड़बड़ी जिला पंचायत में भी बताई जा रही है.मसलन फर्जी मार्कशीट लगाकर अपात्र लोगो की रेंकिंग लाया गया.चूंकि ये भर्तियां मेरिट लिस्ट के आधार पर होती आई है इसलिए भर्ती के लिये आए आवेदनो की जाच पहले एक समिति ने की थी.इस समिति में जिला पंचायत सीईओ,अध्यक्ष,उपाध्यक्ष,बीईओ शामिल थे.आवेदको से शपथ पत्र ले लिया गया कि उनके द्वारा दिया गया सारा दस्तावेज असली है और समिति ने उन्ही मार्कशीटो के आधार पर भर्ती की अनुशंसा  कर दी औऱ अपनी तरफ से प्रमाणित करवाने की कोई कोशिश नहीं की गई लेकिन जो लोग भर्ती से चूके थे उन्होने सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए माध्यमिक शिक्षा मंडल से भर्ती हुए शिक्षाकर्मीयो के असली मार्कशीट की कापी हासिल की जिससे ये संकेत साफ हो गया कि भर्ती में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है.इस गड़बड़ी में गलत मार्कशीट देने वाले तो फसेंगे ही साथ ही लापरवाही करने वाली जांच समिति में शामिल जिला पंचायत के तत्कालीन पदाधिकारी और अधिकारी भी लपेटे में आएंगे.

Conclusion:इस जांच के शुरू होने से उन लोगो में फिर न्याय मिलने की आस जागी है जो उस दौर में पात्र होके भी अपने हक से महरूम रह गए और उन लोगो की नींद हराम होने की खबरें है जिन्होने इस गोलमाल की स्क्रिप्टिंग की थी.

बाईट_01 रंजीत छाबड़ा,वरिष्ठ पत्रकार
बाईट_02 विजय दयाराम के,सीईओ जिला पंचायत धमतरी


रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी
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