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स्टेट बैंक के चार एटीएम से छेड़छाड़ कर निकाले करोड़ों रुपए, अज्ञात के खिलाफ अपराध दर्ज - miscreants tampered sbi atm

छत्तीसगढ़ में एटीएम में सेंधमारी का मामला लगातार सामने आ रहा है. बस्तर, रायपुर के बाद धमतरी में एटीएम से करोड़ों की निकासी का मामला सामने आया है.

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स्टेट बैंक के एटीएम से ठगी
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Published : Dec 4, 2020, 10:27 PM IST

धमतरी: शहर के स्टेट बैंक के एसबीआई के चार एटीएम से करोड़ों की ठगी करने का मामला सामने आया है. एटीएम मशीन और सिस्टम में छेड़छाड़ कर आरोपियों ने साढ़े चार महीने तक रुपए निकालते रहे. आरोपी तकनीक के इतने जानकर हैं कि बैंक को इस धोखाधड़ी को समझने में साढ़े चार महीने से ज्यादा समय लग गया.

स्टेट बैंक के एटीएम से ठगी

4 माह तक 1810 ट्रांजेक्शन

4 माह तक 1810 ट्रांजेक्शन किए गए हैं. इसमें सभी ट्रांजेक्शन अन्य बैंक के कार्ड से हुए हैं. चारों एसबीआई के एटीएम एक ही कंपनी की ओर से मेंटेनेंस किया जाता है. धमतरी एसबीआई के मुख्य प्रबंधक संतोष राय ने इसकी रिपोर्ट थाना सिटी कोतवाली में दर्ज कराई है.

धमतरी में एसबीआई के 13 एटीएम

भारतीय स्टेट बैंक धमतरी ब्रांच के शहर में 13 एटीएम हैं. इनमें से चार ATM में कई संदेहास्पद घटनाएं हुई हैं. जिन ATM में घटनाएं हुई हैं इनमें PHE ऑफिस के पास रुद्री रोड, अम्बेडकर चौक, एचपी पेट्रोल पम्प के बाजू ,रामबाग बाजार के पास स्थित इन ATM में 11 जुलाई से 2 दिसम्बर तक कई बार पैसों की निकासी की गई.

अपराध का तरीका

शातिर ठग दूसरे बैंकों का ATM कार्ड इस्तेमाल कर भारतीय स्टेट बैंक के ATM में उपयोग किया गया. ठगों ने साढ़े चार महीनों से अज्ञात आरोपी किसी दूसरे बैंक के एटीएम कार्ड का इस्तेमाल कर एसबीआई एटीएम से रुपये निकालते रहे. एटीएम मशीन से रकम निकालते समय आरोपी मशीन में कुछ इस प्रकार की छेड़छाड़ करते हैं कि एटीएम मशीन के ईजे लाग बुक में एरर कोड एम13, एम14, एम18 और एसएसटी होना दर्शाता है. इस तरह पूरी रकम निकाल लेते, लेकिन मशीन के लॉग बुक में एरर दर्शाता है.

बैंक से भी करते थे राशि लेने का क्लेम

इसके बाद आरोपी ट्राजेक्शन फेल होने के कारण खाते में से काटी गई राशि को वापस जमा करने की मांग अपने मूल बैंक से यानी जिस बैंक का एटीएम कार्ड है, उस पर क्लेम करते. ट्रांजेक्शन फेल होने पर काटी गई राशि को रिजर्व बैंक की गाइड लाइन के अनुसार पांच दिनों के अंदर एटीएम मशीन वाली बैंक को अनिवार्य रुप से एटीएम कार्ड जारी करने वाले बैंक के पास वापस जमा करना होता है. इस तरह बैंक को दोगुना घाटा होता है.

11 जुलाई से 2 दिसंबर तक की गई निकासी

इस तरह 11 जुलाई से 2 दिसंबर तक भारतीय स्टेट बैंक की धमतरी शाखा से सम्बंधित चारों ATM जिसकी देखरेख एमफेसिस कंपनी करती है. ATM मशीनों से करोड़ों रुपये से अधिक की राशि की ठगी हो चुकी है. खास बात यह है कि जितने बार भी पैसे निकाले गए हैं. कोई भई एसबीआई का एटीएम धारक नहीं है. सभी अलग-अलग बैंकों के एटीएम कार्ड से ही पैसे निकाले गए है.

ATM मशीन की कार्यप्रणाली इस प्रकार है
भारतीय स्टेट बैंक के प्रत्येक एटीएम में जितनी भी नकद रकम डाली जाती है और उसमें से जितनी रकम आहरण की जाती है, उसका पूर्ण हिसाब ईजे यानी इलेक्ट्रानिक जर्नल लाग बुक में रखा जाता है. किसी भी व्यवहार के फेल होने उस व्यवहार की रकम एटीएम मशीन में ही जमा रहती है.हिसाब में वह रकम एक्सेस पाई जाती है. प्रत्येक एटीएम से जो भी लेनदेन किया जाता है, वह आटोमेटिक होता है, उसमें कोई भी मानवीय हस्तक्षेप नहीं होता है. ऑटोमेटिक रुप से इलेक्ट्रानिक जर्नल लॉग बुक में हो जाती है.

पुलिस कर रही जांच

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मनीषा ठाकुर ने बताया कि एसबीआई के चार एटीएम से अलग-अलग बैंक के कार्ड धारियों ने 1810 ट्रांजेक्शन कर करोड़ों रुपए निकाले गए हैं. मुख्य प्रबंधक की रिपोर्ट पर अज्ञात के खिलाफ धारा 420 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है. पुलिस को मशीन से छेड़छाड़ या हैक करने का मामला लग रहा है.

धमतरी: शहर के स्टेट बैंक के एसबीआई के चार एटीएम से करोड़ों की ठगी करने का मामला सामने आया है. एटीएम मशीन और सिस्टम में छेड़छाड़ कर आरोपियों ने साढ़े चार महीने तक रुपए निकालते रहे. आरोपी तकनीक के इतने जानकर हैं कि बैंक को इस धोखाधड़ी को समझने में साढ़े चार महीने से ज्यादा समय लग गया.

स्टेट बैंक के एटीएम से ठगी

4 माह तक 1810 ट्रांजेक्शन

4 माह तक 1810 ट्रांजेक्शन किए गए हैं. इसमें सभी ट्रांजेक्शन अन्य बैंक के कार्ड से हुए हैं. चारों एसबीआई के एटीएम एक ही कंपनी की ओर से मेंटेनेंस किया जाता है. धमतरी एसबीआई के मुख्य प्रबंधक संतोष राय ने इसकी रिपोर्ट थाना सिटी कोतवाली में दर्ज कराई है.

धमतरी में एसबीआई के 13 एटीएम

भारतीय स्टेट बैंक धमतरी ब्रांच के शहर में 13 एटीएम हैं. इनमें से चार ATM में कई संदेहास्पद घटनाएं हुई हैं. जिन ATM में घटनाएं हुई हैं इनमें PHE ऑफिस के पास रुद्री रोड, अम्बेडकर चौक, एचपी पेट्रोल पम्प के बाजू ,रामबाग बाजार के पास स्थित इन ATM में 11 जुलाई से 2 दिसम्बर तक कई बार पैसों की निकासी की गई.

अपराध का तरीका

शातिर ठग दूसरे बैंकों का ATM कार्ड इस्तेमाल कर भारतीय स्टेट बैंक के ATM में उपयोग किया गया. ठगों ने साढ़े चार महीनों से अज्ञात आरोपी किसी दूसरे बैंक के एटीएम कार्ड का इस्तेमाल कर एसबीआई एटीएम से रुपये निकालते रहे. एटीएम मशीन से रकम निकालते समय आरोपी मशीन में कुछ इस प्रकार की छेड़छाड़ करते हैं कि एटीएम मशीन के ईजे लाग बुक में एरर कोड एम13, एम14, एम18 और एसएसटी होना दर्शाता है. इस तरह पूरी रकम निकाल लेते, लेकिन मशीन के लॉग बुक में एरर दर्शाता है.

बैंक से भी करते थे राशि लेने का क्लेम

इसके बाद आरोपी ट्राजेक्शन फेल होने के कारण खाते में से काटी गई राशि को वापस जमा करने की मांग अपने मूल बैंक से यानी जिस बैंक का एटीएम कार्ड है, उस पर क्लेम करते. ट्रांजेक्शन फेल होने पर काटी गई राशि को रिजर्व बैंक की गाइड लाइन के अनुसार पांच दिनों के अंदर एटीएम मशीन वाली बैंक को अनिवार्य रुप से एटीएम कार्ड जारी करने वाले बैंक के पास वापस जमा करना होता है. इस तरह बैंक को दोगुना घाटा होता है.

11 जुलाई से 2 दिसंबर तक की गई निकासी

इस तरह 11 जुलाई से 2 दिसंबर तक भारतीय स्टेट बैंक की धमतरी शाखा से सम्बंधित चारों ATM जिसकी देखरेख एमफेसिस कंपनी करती है. ATM मशीनों से करोड़ों रुपये से अधिक की राशि की ठगी हो चुकी है. खास बात यह है कि जितने बार भी पैसे निकाले गए हैं. कोई भई एसबीआई का एटीएम धारक नहीं है. सभी अलग-अलग बैंकों के एटीएम कार्ड से ही पैसे निकाले गए है.

ATM मशीन की कार्यप्रणाली इस प्रकार है
भारतीय स्टेट बैंक के प्रत्येक एटीएम में जितनी भी नकद रकम डाली जाती है और उसमें से जितनी रकम आहरण की जाती है, उसका पूर्ण हिसाब ईजे यानी इलेक्ट्रानिक जर्नल लाग बुक में रखा जाता है. किसी भी व्यवहार के फेल होने उस व्यवहार की रकम एटीएम मशीन में ही जमा रहती है.हिसाब में वह रकम एक्सेस पाई जाती है. प्रत्येक एटीएम से जो भी लेनदेन किया जाता है, वह आटोमेटिक होता है, उसमें कोई भी मानवीय हस्तक्षेप नहीं होता है. ऑटोमेटिक रुप से इलेक्ट्रानिक जर्नल लॉग बुक में हो जाती है.

पुलिस कर रही जांच

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मनीषा ठाकुर ने बताया कि एसबीआई के चार एटीएम से अलग-अलग बैंक के कार्ड धारियों ने 1810 ट्रांजेक्शन कर करोड़ों रुपए निकाले गए हैं. मुख्य प्रबंधक की रिपोर्ट पर अज्ञात के खिलाफ धारा 420 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है. पुलिस को मशीन से छेड़छाड़ या हैक करने का मामला लग रहा है.

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