धमतरी: स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में धमतरी जिले का नाम प्रदेश के अग्रणी जिलों में शुमार है. यहां कांकेर, बालोद सहित अन्य जिलों से भी बड़ी संख्या में मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं. उन तमाम सुविधाओं के साथ यहां कुछ सुविधाओं की कमी अब भी बनी हुई हैं. मसलन डॉक्टर और स्टाफ की कमी से यह जिला लंबे समय से जूझ रहा है. इसके अलावा अत्याधुनिक मशीनें और उपकरणों की आवश्यकता होने की भी जरूरत है.
जिले में कुल 200 से ज्यादा सरकारी अस्पताल हैं. इनमें 169 उपस्वास्थ्य केंद्र, 26 प्राथमिक उपस्वास्थ्य केंद्र, चारों ब्लॉक में 4 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. साथ ही जिले का सबसे बड़ा अस्पताल जिला अस्पताल भी यहां मौजूद है. जहां 200 बेड की व्यवस्था है. जिले के चार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सिविल अस्पताल कुरूद में 50, नगरी में 50, मगरलोड और धमतरी के गुजरा समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 30-30 बेड सहित जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कुल 156 बिस्तर की सुविधाएं हैं.
सुविधाओं से वंचित हैं लोग
कोरोना संक्रमण के मद्देनजर जिले के अलग-अलग जगहों में 300 बेड का क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है. जिले का सबसे बड़ा जिला अस्पताल विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए तरस रहा है. विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने के कारण मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इलाज नहीं होने की स्थिति में मरीजों को निजी अस्पताल या मेकाहारा रेफर किया जाता है. ऐसे में मरीजों को अस्पताल से मायूस होकर लौटना पड़ता है. कुछ इसी तरह का हाल जिले के सभी अस्पतालों का भी है, हालांकि इन अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी नहीं है, लेकिन जागरूकता और उनके क्रियान्वयन के अभाव में इन केंद्रों में लोग सुविधाओं से वंचित है.
एम्बुलेंस नहीं पहुंचने से होती है परेशानी
जिले में संजीवनी एक्सप्रेस-108 की संख्या 7 है, जबकि महतारी एक्सप्रेस-102 की संख्या 11 है. 7 संजीवनी एंबुलेंस में से 1 एम्बुलेंस को कोरोना पीड़ित के लिए रिजर्व रखा गया है. बाकी वाहनों के सहारे धमतरी और कुरूद में सेवाएं चालू हैं, लेकिन कहीं पर हादसा होने से लोगों को निजी वाहन का भी सहारा लेना पड़ता है.
कई सुविधाओं की है कमी
धमतरी जिला अस्पताल में धड़कन बंद होने पर त्वरित उपचार करने वाला हॉट एयर ब्लोवर,आईसीसीयू में मरीजों की जानकारी बताने वाली सेंट्रल मॉनिटर मशीन, फिजियोथैरेपी के तहत स्पाइनल को ठीक करने वाली शॉर्ट वे मशीन सहित पैर और कमर की हड्डी का उपचार करने वाले ट्रैक्शन यूनिट, ऑटो ट्रैक्शन यूनिक मशीन नहीं है. ट्रामा सेंटर की सालों से मांग हो रही है जो, आज तक पूरी नहीं हुई. इधर वेंटिलेटर की सुविधा पूरे जिले में महज तीन है. इनमें से एक वयस्क के लिए और दो बच्चों के लिए है.
स्वास्थ्य अमला निभा रहा जिम्मेदारी
धमतरी में कांकेर, बालोद सहित अन्य जिलों के रोजाना सैकड़ों मरीज आते हैं. इस वजह से कई बार क्षमता से ज्यादा भी मरीज हो जाते हैं, तो वही कई बार वेटिंग लिस्ट में भी रहना पड़ता है. जबकि आबादी के 50 फीसदी लोग इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों पर निर्भर हैं. पूरे जिले में करीब 12 सौ से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मी हैं. इनमें 50 से ज्यादा डॉक्टर हैं, जो अलग-अलग अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं. जिला अस्पताल में लगभग 180 कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं. चिकित्सक, स्टाफ, नर्स, लैब टेक्नीशियन, वार्ड बॉय सहित सभी की शिफ्ट के तहत ड्यूटी तैनात किए गए हैं.
इमरजेंसी से निपटने सजह है महकमा
इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले ग्रामीण स्वास्थ्य सहायक भी स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं. इनमे 174 ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक और 201 ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक महिला शामिल हैं. स्वास्थ्य अधिकारी की माने तो इमरजेंसी सुविधा जिले के सभी अस्पतालों में उपलब्ध है और भविष्य में ऐसी कोई भी संक्रमण या इमरजेंसी से निपटने के लिए स्वास्थ्य महक़मा पूरी तरह से सजग है.