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बापू की जयंती पर याद आए छत्तीसगढ़ के गांधी

छत्तीसगढ़ के गांधी कहे जाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सुंदरलाल शर्मा एक बार फिर बापू की जयंती पर याद आए हैं. लगान और छुआछात के खिलाफ आंदोलन करने वाले सुंदरलाल शर्मा का गांव आज भी उपेक्षा का दंश झेल रहा है.

gandhi of chhattisgarh freedom fighter pandit sundarlal sharma remembered again on gandhi jayanti
छत्तीसगढ़ के गांधी
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Published : Oct 1, 2020, 8:49 PM IST

धमतरी: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आजादी की लड़ाई के दौरान दो बार छत्तीसगढ़ आए थे. उनके इस प्रवास में बड़ा योगदान छत्तीसगढ़ के महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सुंदरलाल शर्मा का था. गांधी जी की राह पर चलने वाले पंडित सुंदरलाल शर्मा को छत्तीसगढ़ का गांधी भी कहा जाता है. आखिर क्या थी इसकी वजह जानते हैं.

छत्तीसगढ़ के गांधी

कंडेल सत्याग्रह में शामिल हुए थे बापू

1920 में धमतरी इलाके के किसानों ने अंग्रेजों की ओर से वसूले जा रहे लगान के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था. अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ किसानों के इस हल्लाबोल की जानकारी देने पंडित सुंदरलाल शर्मा कोलकाता गए. उन्होंने महात्मा गांधी से मुलाकात कर किसानों के आंदोलन की जानकारी दी और आग्रह किया कि वे भी इस आंदोलन में पहुंचकर अपना समर्थन दें. गांधीजी पंडित सुंदरलाल शर्मा के आग्रह पर पहली बार छत्तीसगढ़ पहुंचे. इधर गांधी जी के आगमन की खबर सुनते ही अंग्रेजी प्रशासन ने लगान वाला फैसला वापस ले लिया. इसके बाद गांधीजी ने कंडेल पहुंचकर इस आंदोलन को समाप्त कराया था. इस आंदोलन के बाद से ही पंडित सुंदरलाल शर्मा और गांधीजी और करीब आए. बापू के बताए मार्ग पर चलते हुए उन्होंने कई सामाजिक कार्य की अगुवाई की. इनमें छुआछूत के खिलाफ चलाए जा रहा उनका अभियान प्रमुख है.

सुंदरलाल शर्मा को गांधी ने गुरु कहकर दिया था सम्मान

सुंदरलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ में छुआछूत के खिलाफ जनजागरण छेड़ रखा था. समाज में अछूत माने जाने वाले लोगों को मंदिर में प्रवेश कराने जैसे कई आयोजन उस दौर में उन्होंने रायपुर और राजिम के आसपास किए थे. 1933 में जब गांधी जी दोबारा छत्तीसगढ़ आए तो उन्होंने पंडित सुंदरलाल शर्मा की ओर किए काम की तारीफ करते हुए छुआछूत के खिलाफ उनके काम को खुद के लिए भी प्रेरणा बताकर उन्हें अपना गुरु कहकर संबोधित किया था.

पंडित जी के योगदान पर गर्व, लेकिन विकास नहीं होने पर मायूसी

पंडित सुंदरलाल शर्मा का जन्म 21 दिसम्बर 1881 को राजिम के पास महानदी के तट पर स्थित गांव चन्द्रसूर में हुआ था. धमतरी जिले के मगरलोड क्षेत्र अंतर्गत चन्द्रसूर से आने वाले पंडित जी जनजागरण और सामाजिक क्रांति के अग्रदूत माने जाते हैं. आजादी की लड़ाई के लिए किए गए उनके प्रयास पर आज भी लोगों को गर्व है लेकिन लोगों को मलाल इस बात का है कि छत्तीसगढ़ के इस माटी पुत्र का गांव आज भी विकास की दौड़ में पिछड़ा हुआ है. राष्ट्रपिता के साथ इतने निकट से काम करने वाले इस महान सपूत के गांव की ओर सरकार ध्यान दे ताकि पंडित सुंदरलाल शर्मा के योगदान को आने वाली पीढ़ी भी याद कर गौरवान्वित हो सके.

धमतरी: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आजादी की लड़ाई के दौरान दो बार छत्तीसगढ़ आए थे. उनके इस प्रवास में बड़ा योगदान छत्तीसगढ़ के महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सुंदरलाल शर्मा का था. गांधी जी की राह पर चलने वाले पंडित सुंदरलाल शर्मा को छत्तीसगढ़ का गांधी भी कहा जाता है. आखिर क्या थी इसकी वजह जानते हैं.

छत्तीसगढ़ के गांधी

कंडेल सत्याग्रह में शामिल हुए थे बापू

1920 में धमतरी इलाके के किसानों ने अंग्रेजों की ओर से वसूले जा रहे लगान के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था. अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ किसानों के इस हल्लाबोल की जानकारी देने पंडित सुंदरलाल शर्मा कोलकाता गए. उन्होंने महात्मा गांधी से मुलाकात कर किसानों के आंदोलन की जानकारी दी और आग्रह किया कि वे भी इस आंदोलन में पहुंचकर अपना समर्थन दें. गांधीजी पंडित सुंदरलाल शर्मा के आग्रह पर पहली बार छत्तीसगढ़ पहुंचे. इधर गांधी जी के आगमन की खबर सुनते ही अंग्रेजी प्रशासन ने लगान वाला फैसला वापस ले लिया. इसके बाद गांधीजी ने कंडेल पहुंचकर इस आंदोलन को समाप्त कराया था. इस आंदोलन के बाद से ही पंडित सुंदरलाल शर्मा और गांधीजी और करीब आए. बापू के बताए मार्ग पर चलते हुए उन्होंने कई सामाजिक कार्य की अगुवाई की. इनमें छुआछूत के खिलाफ चलाए जा रहा उनका अभियान प्रमुख है.

सुंदरलाल शर्मा को गांधी ने गुरु कहकर दिया था सम्मान

सुंदरलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ में छुआछूत के खिलाफ जनजागरण छेड़ रखा था. समाज में अछूत माने जाने वाले लोगों को मंदिर में प्रवेश कराने जैसे कई आयोजन उस दौर में उन्होंने रायपुर और राजिम के आसपास किए थे. 1933 में जब गांधी जी दोबारा छत्तीसगढ़ आए तो उन्होंने पंडित सुंदरलाल शर्मा की ओर किए काम की तारीफ करते हुए छुआछूत के खिलाफ उनके काम को खुद के लिए भी प्रेरणा बताकर उन्हें अपना गुरु कहकर संबोधित किया था.

पंडित जी के योगदान पर गर्व, लेकिन विकास नहीं होने पर मायूसी

पंडित सुंदरलाल शर्मा का जन्म 21 दिसम्बर 1881 को राजिम के पास महानदी के तट पर स्थित गांव चन्द्रसूर में हुआ था. धमतरी जिले के मगरलोड क्षेत्र अंतर्गत चन्द्रसूर से आने वाले पंडित जी जनजागरण और सामाजिक क्रांति के अग्रदूत माने जाते हैं. आजादी की लड़ाई के लिए किए गए उनके प्रयास पर आज भी लोगों को गर्व है लेकिन लोगों को मलाल इस बात का है कि छत्तीसगढ़ के इस माटी पुत्र का गांव आज भी विकास की दौड़ में पिछड़ा हुआ है. राष्ट्रपिता के साथ इतने निकट से काम करने वाले इस महान सपूत के गांव की ओर सरकार ध्यान दे ताकि पंडित सुंदरलाल शर्मा के योगदान को आने वाली पीढ़ी भी याद कर गौरवान्वित हो सके.

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