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अब विदेशों में फैलेगी छत्तीसगढ़ के दूबराज चावल की खुशबू, मिल गया जीआई टैग

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Published : Dec 4, 2021, 10:12 PM IST

धमतरी जिले के नगरी किसानों को उनकी अपनी नगरी दुबराज धान किस्म (Dubraj Paddy Variety) को ब्रांड नेम मिल गया है. यह छत्तीसगढ़ की दूसरी फसल है( Chhattisgarh Dubraj rice got GI tag), जिसे ज्योग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री टैग यानी जीआई टैग (Geographical Indication Registry Tag) दिया गया है. इसके पहले जीरा फूल धान की किस्म के लिए प्रदेश को जीआई टैग मिल चुका है.

Now the fragrance of Chhattisgarh rice will spread abroad
अब विदेशों में फैलेगी छत्तीसगढ़ चावल की खुशबू

धमतरीः छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां के किसान अलग-अलग किस्म के धान की फसल उगाते हैं. धमतरी जिले के नगरी किसानों को उनकी अपनी नगरी दुबराज धान किस्म (Dubraj Paddy Variety)को ब्रांड नेम मिल गया है. यह छत्तीसगढ़ की दूसरी फसल है, जिसे ज्योग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री टैग यानी जीआई टैग (Geographical Indication Registry Tag) दिया गया है. इसके पहले जीरा फूल धान की किस्म के लिए प्रदेश को जीआई टैग मिल चुका है.

दूबराज चावल को मिल गया जीआई टैग

बिलासपुर पुलिस को नशे के खिलाफ ऑपरेशन क्लीन में मिली बड़ी सफलता

ये है नगरी दूबराज की खासियत

नगरी दुबराज की खासियत यह है कि यह चावल बहुत ही सुगंधित होता है. इसके दाने छोटे होते है.यह पकने के बाद बेहद नरम बनता है. ये धान एक एकड़ में अधिकतम छह क्विंटल तक उपज देता है. धान की ऊंचाई कम और 125 दिन में पकने की अवधि है. वहीं, इसकी खेती करने वाले किसान किरण कुमार साहू ने बताया कि दुबराज धान को बहुत कम किसान लगाते हैं, क्योंकि दुबराज फसल में दूसरे धान की उपेक्षा उपज कम होती है. बाजार में नगरी दुबराज का सही मूल्य नही मिल रहा है. अब जीआई टैग मिल गया है, तो इसे अच्छा दाम मिलेगा.

किसानों की आय में होगी वृद्धि

इस विषय में कृषि अधिकारी बताते हैं कि दुबराज की खेती धमतरी जिले के नगरी विकासखंड में करीब 3 हजार हेक्टेयर में जैविक पद्धति से किया जाता है. जीआई टैग मिलने से अब किसानों की आय में ज्यादा वृद्धि होगी. वहीं, जीआई टैग लगने से किसानों में खासा उत्साह है. यानी कि अब छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि विदेशो में भी नगरी दुबराज की पहचान बनेगी. किसानों को अच्छा मार्केट मिलता है, ऐसे में आने वाले समय में नगरी दुबराज अधिक हेक्टेयर में लगाया जायेगा.

नगरी दुबराज के नाम से जाना जाता था धमतरी जिला

इस विषय में आत्मा योजना के संचालक बताते हैं कि धमतरी जिला नगरी दुबराज के नाम से जाना जाता था. बीते सालों में दुबराज की खेती कम हो गई थी. जिसको कृषि विभाग द्वारा संचालित आत्मा योजना और जैविक खेती मिशन के तहत किसानों को इस दुल्भ किस्म के फसल लगाने के लिए किसानो को प्रोत्साहित कर रहे थे. जिसका सार्थक परिणाम इस साल मिला है और जीआई टैग प्राप्त हुआ है. वहीं, अब जीआई टैग मिलने के बाद नगरी दुबराज की ब्रांड वैल्यू में वृद्धि होगी और किसानो की आय में वृद्धि होगा.

ये होता है जीआई टैग

दरअसल जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग एक प्रकार का लेबल होता है. जिसमें किसी खास फसल प्राकृतिक या कृत्रिम निर्मित उत्पाद को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है.नगरी दुबराज धान की किस्म को केवल नगरी के किसान ही उगा सकेंगे. कोई दूसरा इस टैग का इस्तेमाल नही कर सकेगा. यानी कि नगरी दुबराज को जीआई टैग ( Chhattisgarh Dubraj rice got GI tag) मान्यता मिलने से धमतरी के लिए यह गौरव की बात है. अब नगरी दुबराज की खुशबू पुरे विश्व में फैलेगी.

धमतरीः छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां के किसान अलग-अलग किस्म के धान की फसल उगाते हैं. धमतरी जिले के नगरी किसानों को उनकी अपनी नगरी दुबराज धान किस्म (Dubraj Paddy Variety)को ब्रांड नेम मिल गया है. यह छत्तीसगढ़ की दूसरी फसल है, जिसे ज्योग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री टैग यानी जीआई टैग (Geographical Indication Registry Tag) दिया गया है. इसके पहले जीरा फूल धान की किस्म के लिए प्रदेश को जीआई टैग मिल चुका है.

दूबराज चावल को मिल गया जीआई टैग

बिलासपुर पुलिस को नशे के खिलाफ ऑपरेशन क्लीन में मिली बड़ी सफलता

ये है नगरी दूबराज की खासियत

नगरी दुबराज की खासियत यह है कि यह चावल बहुत ही सुगंधित होता है. इसके दाने छोटे होते है.यह पकने के बाद बेहद नरम बनता है. ये धान एक एकड़ में अधिकतम छह क्विंटल तक उपज देता है. धान की ऊंचाई कम और 125 दिन में पकने की अवधि है. वहीं, इसकी खेती करने वाले किसान किरण कुमार साहू ने बताया कि दुबराज धान को बहुत कम किसान लगाते हैं, क्योंकि दुबराज फसल में दूसरे धान की उपेक्षा उपज कम होती है. बाजार में नगरी दुबराज का सही मूल्य नही मिल रहा है. अब जीआई टैग मिल गया है, तो इसे अच्छा दाम मिलेगा.

किसानों की आय में होगी वृद्धि

इस विषय में कृषि अधिकारी बताते हैं कि दुबराज की खेती धमतरी जिले के नगरी विकासखंड में करीब 3 हजार हेक्टेयर में जैविक पद्धति से किया जाता है. जीआई टैग मिलने से अब किसानों की आय में ज्यादा वृद्धि होगी. वहीं, जीआई टैग लगने से किसानों में खासा उत्साह है. यानी कि अब छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि विदेशो में भी नगरी दुबराज की पहचान बनेगी. किसानों को अच्छा मार्केट मिलता है, ऐसे में आने वाले समय में नगरी दुबराज अधिक हेक्टेयर में लगाया जायेगा.

नगरी दुबराज के नाम से जाना जाता था धमतरी जिला

इस विषय में आत्मा योजना के संचालक बताते हैं कि धमतरी जिला नगरी दुबराज के नाम से जाना जाता था. बीते सालों में दुबराज की खेती कम हो गई थी. जिसको कृषि विभाग द्वारा संचालित आत्मा योजना और जैविक खेती मिशन के तहत किसानों को इस दुल्भ किस्म के फसल लगाने के लिए किसानो को प्रोत्साहित कर रहे थे. जिसका सार्थक परिणाम इस साल मिला है और जीआई टैग प्राप्त हुआ है. वहीं, अब जीआई टैग मिलने के बाद नगरी दुबराज की ब्रांड वैल्यू में वृद्धि होगी और किसानो की आय में वृद्धि होगा.

ये होता है जीआई टैग

दरअसल जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग एक प्रकार का लेबल होता है. जिसमें किसी खास फसल प्राकृतिक या कृत्रिम निर्मित उत्पाद को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है.नगरी दुबराज धान की किस्म को केवल नगरी के किसान ही उगा सकेंगे. कोई दूसरा इस टैग का इस्तेमाल नही कर सकेगा. यानी कि नगरी दुबराज को जीआई टैग ( Chhattisgarh Dubraj rice got GI tag) मान्यता मिलने से धमतरी के लिए यह गौरव की बात है. अब नगरी दुबराज की खुशबू पुरे विश्व में फैलेगी.

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