दरअसल लोगों का कहना है कि वे सालों से मकेश्वर वार्ड में तालाब किनारे अपने पट्टे वाले मकानों में निवास कर रहे हैं और बकायदा हर तरह का टैक्स भी दे रहे हैं, लेकिन ऑडिटोरियम के नाम पर प्रशासन उनके पट्टे को निरस्त करने की तैयारी कर रही है. जिसका वे विरोध कर रहे हैं.
कलेक्टर ने पट्टा निरस्त करने का दिया निर्देश
गौरतलब है कि नगर निगम द्वारा करीब 5 करोड़ की लागत से सिहावा चौक में ऑडिटोरियम का निर्माण किया जा रहा है, जिसके लिए सड़क और पार्किंग की सुविधा भी बनाई जानी है. 26 फरवरी को कलेक्टर रजत बंसल बस्ती के दौरे पर थे. उन्होंने यहां ऑडीटोरियम निर्माण के कार्यों का जायजा लेने के बाद पीछे तकरीबन 40 से ज्यादा झुग्गी-बस्तियों का पट्टा निरस्त करने के निर्देश भी दिए.
इधर कलेक्टर के निर्देश के बाद राजस्व और नजूल विभाग की टीम बस्ती पहुंची और नापजोख की कार्रवाई शुरू की. जिससे आक्रोशित वार्डवासियों ने जमकर हंगामा किया.
'लड़ेंगे आर-पार की लड़ाई'
वार्ड पार्षद का कहना है कि, बस्ती के लोग करीब 70 साल पहले से निवासरत हैं, जिनके पास आबादी पट्टा भी है, लेकिन इस बीच अचानक ऑडिटोरियम के लिए गरीबों की बस्ती को उजाड़ने का फैसला लेना गलत है'.
वहीं वार्डवासियों का कहना है कि, 'वो लंबे समय से यहां रह रहे हैं अचानक पट्टा निरस्त करने से वे बेघर हो जाएंगे'. वार्डवासियों ने चेतावनी दी है कि, 'अगर पट्टा निरस्त किया गया, तो वे आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे'.
सर्वे कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी : SDM
बहरहाल इस मामले में एसडीएम योगिता देवांगन का कहना है कि अभी सिर्फ सर्वेक्षण कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी. जमीन से हटाने की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.