मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) आज से अपनी तीन दिवसीय बैठक शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है. मौद्रिक नीति बैठक में मौजूदा ब्याज दरों की समीक्षा करती है. समिति में तीन नए बाहरी सदस्यों, राम सिंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार की नियुक्ति के बाद यह पहली बैठक है. आज यानी की 9 अक्टूबर को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास रेपो रेट पर निर्णय की घोषणा करेंगे.
क्या RBI ब्याज दरों में कटौती करेगा?
मुख्य सवाल यह है कि क्या होम लोन की EMI कम होगी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय दरों में कटौती की संभावना नहीं है. ब्लूमबर्ग द्वारा सर्वेक्षण किए गए 13 अर्थशास्त्रियों में से केवल तीन को रेपो दर में 25 आधार अंकों की मामूली कटौती की उम्मीद है. बाकी का अनुमान है कि रेपो दर 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रहेगी, जैसा कि पिछली दस बैठकों से रहा है.
खुदरा महंगाई चिंता
खुदरा महंगाई चिंता का विषय बनी हुई है, और कच्चे तेल और कमोडिटी की बढ़ती कीमतों के साथ, इस बैठक में रेपो दर में कोई बदलाव होने की संभावना नहीं है. महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए RBI ने फरवरी 2023 से रेपो दर को स्थिर रखा है.
रेपो रेट पर आरबीआई का रुख
हर कोई नतीजे का इंतजार कर रहा है, क्योंकि केंद्रीय बैंक ने लगातार नौ बैठकों में रेपो दर को अपरिवर्तित रखा है. रेपो रेट, जो वर्तमान में 6.5 फीसदी है.
रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट, या रीपरचेजिंग समझौता दर, RBI द्वारा यूज किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण मौद्रिक नीति है. यह वह रेट है जिस पर केंद्रीय बैंक सरकारी सिक्योरिटी के बदले कमर्शियल बैंकों और वित्तीय संस्थानों को पैसा उधार देता है. रेपो रेट को समायोजित करके, RBI मुद्रा आपूर्ति को प्रभावित करता है, जो बदले में महंगाई और आर्थिक गतिविधि को प्रभावित करता है.
रेपो रेट आपको कैसे प्रभावित करता है?
रेपो दर में बदलाव उधारकर्ताओं और बचतकर्ताओं दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं. जब रेपो दर बढ़ती है, तो बैंकों को RBI से धन उधार लेने के लिए अधिक लागत उठानी पड़ती है. अपने लाभ मार्जिन को बनाए रखने के लिए, ये संस्थान लोन पर ब्याज दरें बढ़ाते हैं, जिससे उपभोक्ताओं के लिए उधार लेने की लागत बढ़ जाती है. इसके विपरीत, कम रेपो दर उधार लेने की लागत को कम करती है, जिसके परिणामस्वरूप घर, व्यक्तिगत और शिक्षा लोन सहित विभिन्न लोन के लिए कम EMI होती है.