धमतरी : प्रदेश सरकार अपने भाषणों के जरिए 'नरवा, गरवा घुरुवा अउ बारी' योजना की तारीफ करते नहीं थकती, लेकिन सरकार की इसी महत्वाकांक्षी योजना का जिले में बुरा हाल है.
दरअसल, वनांचल इलाके के मुनइकेरा गांव में योजना के तहत करीब 17 लाख रुपए की लागत से गौठान का निर्माण कराया गया, लेकिन निर्माण के शुरुआती दौर में ही यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है.
चारे-पानी की नहीं है व्यवस्था
बिना तैयारी और मॉनिटरिंग के ये योजना फेल होती नजर आ रही है. इसका जीता जागता उदाहरण धमतरी में देखने को मिल रहा है. नगरी इलाके के मुनइकेरा गौठान में गौवंश के लिए न तो चारे की व्यवस्था है और न ही पानी का इंतजाम. आलम ये है कि गौठान इन दिनों दलदल और कीचड़ से भरे पड़े हैं.
अब तक नहीं हुआ समतलीकरण
बताया जाता है कि समतलीकरण के लिए शासन से करीब 9 लाख 94 हजार रुपए स्वीकृति हुई थी. इसके अलावा नरवा, गरवा, घुरुवा अउ बारी योजना के तहत गौठान के लिए अलग से समतलीकरण के लिए 7 लाख रुपए भी स्वीकृत हुए थे, लेकिन वर्तमान में समतलीकरण का नामोनिशान तक नहीं है.
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ग्रामीणों ने खुद बना लिया लकड़ी का घेरा
गौठान में पानी के लिए बोर खनन किया जाना है पर वो भी शुरू नहीं हो पाया है. गौवंश की सुरक्षा के लिए गौठान में बाउंड्रीवाल या फैसिंग भी नहीं किया गया है, लिहाजा ग्रामीणों ने ही स्वयं के खर्च से लकड़ी और बांस लगाकर गौठान में घेरा बना दिया ताकि मवेशी इधर-उधर न भागे और उनकी सुरक्षा भी हो सके. ग्रामीण गौठान के पीछे भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं, तो वहीं प्रशासन मामले की जांच के बाद कार्रवाई की बात कह रहा है.