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लॉकडाउन से दंतेवाड़ा के कुम्हारों के जीवन में छाया अंधेरा, सरकार से मदद की गुहार

लॉकडाउन के दौरान कुम्हार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. कोरोना काल के चलते इन दिनों इनके पास ग्राहकों की काफी कमी है. कुम्हारों का व्यवसाय ठप पड़ गया है. ETV भारत ने दंतेवाड़ा के कुम्हारों से बातचीत कर उनका हाल जाना है. कुम्हारों का कहना है कि उन्हें सरकार से मदद की जरूरत है.

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लॉकडाउन से दंतेवाड़ा के कुम्हारों के जीवन में छाया अंधेरा
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Published : May 13, 2021, 11:06 PM IST

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण रोकथाम के लिए लॉकडाउन चल रहा है. कई जिलों में लॉकडाउन का दूसरा और तीसरा चरण चल रहा है. इसका असर कोरोना के हाल के आंकड़ों में नजर भी आ रहा है. लेकिन लॉकडाउन ने कई परिवारों की मुश्किलें बढ़ा दी है. दरअसल लॉकडाउन के कारण समान्य कामकाज बंद हैं. दुकानदारी भी ठप है. इस दौरान बाजार भी बंद किए गए हैं. लोगों के घरों से बाहर निकलने पर भी पाबंदी है. दंतेवाड़ा के कई कुम्हार परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है.

लॉकडाउन से दंतेवाड़ा के कुम्हारों के जीवन में छाया अंधेरा

कुम्हार परिवार परेशान

ETV भारत की टीम ने दंतेवाड़ा के कुम्हारों से बातचीत की है. कुम्हारों का कहना है कि लगातार लॉकडाउन उनके जीवन पर असर डाल रहा है. कोरोना संक्रमण के कारण लागू किए गए लॉकडाउन के कारण मिट्टी के बर्तन नहीं बिक रहे हैं. कुम्हार परिवार भविष्य को लेकर परेशान हैं.

लॉकडाउन ने गायब की बाजारों की रौनक, गुड्डा-गुड़िया नहीं बिकने से कुम्हार परेशान

मुख्य सीजन को लॉकडाउन ने किया प्रभावित

कुम्हार सभुनाथ नाग ने ईटीवी भारत की टीम को बताया कि जब से जिले में संपूर्ण लॉकडाउन लगा है तब से जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. हाट बाजार बंद हो गए हैं. बाजार नहीं लग रहे जिससे मटके और दिए जैसे मिट्टी से बनाए गए बर्तन बिक नहीं रहे हैं. गर्मी का पूरा सीजन लॉकडाउन की वजह से घरों में ही बिताना पड़ रहा है. मंदिर बंद हो जाने के कारण मंदिरों में भी दिए नहीं बिक रहे हैं. शादी ब्याह का सीजन भी निकल रहा है. एक महीने बाद बारिश शुरू हो जाएगी और मिट्टी के बर्तन की मांग भी कम हो जाएगी.

तीन महीनों से नहीं मिला वृद्धा पेंशन

कुम्हार शांति नाग ने बताया कि कोरोना बीमारी के कारण कुम्हारों के जीवन पर गहरा असर पड़ा है. कहीं जाना-आना नहीं हो रहा है. माल भी घर में ऐसा ही पड़ा है. परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. घर में लोग बेरोजगार हो गए हैं. परिवार में बूढ़ी अम्मा है जिनको पेंशन भी नहीं मिल रहा है. सभी काम बंद पड़े हैं. एक अन्य वृद्ध महिला ने भी बताया कि उन्हें तीन महीने से पेंशन का लाभ नहीं मिला है.

रायपुर में लॉकडाउन ने फिर छीनी कुम्हार परिवारों की रोजी-रोटी

सरकार से मदद की गुहार

कुम्हारों का कहना है कि पिछले साल उन्होंने कर्ज लेकर व्यापार किया लेकिन लॉकडाउन के कारण भारी घाटा सहना पड़ा. इस साल फिर किसी तरह सीजन में पैसे जुटाने की जद्दोजहद में लगे ही थे कि दोबारा लॉकडाउन ने उनकी कमर तोड़कर रख दी है. व्यापार पूरी तरह से ठप है. आर्थिक हालात भी खराब हो रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार को इस ओर ठोस कदम उठाने चाहिए.

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण रोकथाम के लिए लॉकडाउन चल रहा है. कई जिलों में लॉकडाउन का दूसरा और तीसरा चरण चल रहा है. इसका असर कोरोना के हाल के आंकड़ों में नजर भी आ रहा है. लेकिन लॉकडाउन ने कई परिवारों की मुश्किलें बढ़ा दी है. दरअसल लॉकडाउन के कारण समान्य कामकाज बंद हैं. दुकानदारी भी ठप है. इस दौरान बाजार भी बंद किए गए हैं. लोगों के घरों से बाहर निकलने पर भी पाबंदी है. दंतेवाड़ा के कई कुम्हार परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है.

लॉकडाउन से दंतेवाड़ा के कुम्हारों के जीवन में छाया अंधेरा

कुम्हार परिवार परेशान

ETV भारत की टीम ने दंतेवाड़ा के कुम्हारों से बातचीत की है. कुम्हारों का कहना है कि लगातार लॉकडाउन उनके जीवन पर असर डाल रहा है. कोरोना संक्रमण के कारण लागू किए गए लॉकडाउन के कारण मिट्टी के बर्तन नहीं बिक रहे हैं. कुम्हार परिवार भविष्य को लेकर परेशान हैं.

लॉकडाउन ने गायब की बाजारों की रौनक, गुड्डा-गुड़िया नहीं बिकने से कुम्हार परेशान

मुख्य सीजन को लॉकडाउन ने किया प्रभावित

कुम्हार सभुनाथ नाग ने ईटीवी भारत की टीम को बताया कि जब से जिले में संपूर्ण लॉकडाउन लगा है तब से जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. हाट बाजार बंद हो गए हैं. बाजार नहीं लग रहे जिससे मटके और दिए जैसे मिट्टी से बनाए गए बर्तन बिक नहीं रहे हैं. गर्मी का पूरा सीजन लॉकडाउन की वजह से घरों में ही बिताना पड़ रहा है. मंदिर बंद हो जाने के कारण मंदिरों में भी दिए नहीं बिक रहे हैं. शादी ब्याह का सीजन भी निकल रहा है. एक महीने बाद बारिश शुरू हो जाएगी और मिट्टी के बर्तन की मांग भी कम हो जाएगी.

तीन महीनों से नहीं मिला वृद्धा पेंशन

कुम्हार शांति नाग ने बताया कि कोरोना बीमारी के कारण कुम्हारों के जीवन पर गहरा असर पड़ा है. कहीं जाना-आना नहीं हो रहा है. माल भी घर में ऐसा ही पड़ा है. परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. घर में लोग बेरोजगार हो गए हैं. परिवार में बूढ़ी अम्मा है जिनको पेंशन भी नहीं मिल रहा है. सभी काम बंद पड़े हैं. एक अन्य वृद्ध महिला ने भी बताया कि उन्हें तीन महीने से पेंशन का लाभ नहीं मिला है.

रायपुर में लॉकडाउन ने फिर छीनी कुम्हार परिवारों की रोजी-रोटी

सरकार से मदद की गुहार

कुम्हारों का कहना है कि पिछले साल उन्होंने कर्ज लेकर व्यापार किया लेकिन लॉकडाउन के कारण भारी घाटा सहना पड़ा. इस साल फिर किसी तरह सीजन में पैसे जुटाने की जद्दोजहद में लगे ही थे कि दोबारा लॉकडाउन ने उनकी कमर तोड़कर रख दी है. व्यापार पूरी तरह से ठप है. आर्थिक हालात भी खराब हो रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार को इस ओर ठोस कदम उठाने चाहिए.

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