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दंतेवाड़ा में मादा मगरमच्छ ने 20 बच्चों को दिया जन्म, वनकर्मियों ने किया रेस्क्यू

दंतेवाड़ा में इंद्रावती नदी (Indravati River) के किनारे उस समय हड़कंप मच गया, जब कुछ ग्रामीणों ने मुचनार घाट (Muchnar Ghat) के किनारे रेत पर मगरमच्छ के 20 बच्चे देखे. उन्होंने इसकी सूचना वन विभाग को दी. वनकर्मियों ने इन्हें रेस्क्यू (rescue) कर इंद्रावती नदी में छोड़ दिया है.

Crocodile babies found in Muchnar Ghat
मुचनार घाट में मिले मगरमच्छ के बच्चे
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Published : Jun 30, 2021, 11:24 AM IST

Updated : Jun 30, 2021, 1:03 PM IST

दंंतेवाड़ा : बस्तर (Bastar) की जीवनदायनी कही जाने वाली इंद्रावती नदी के मुचनार घाट के किनारे रेत पर मंगलवार को मगरमच्छ के 20 बच्चे मिले हैं. इन्हें वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर इंद्रावती नदी (Indravati River) में छोड़ दिया है. ऐसा पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में नदी के आसपास मगरमच्छ के बच्चों (crocodile babies) को देखा गया है.

मुचनार घाट में मिले मगरमच्छ के बच्चे

ग्रामीणों ने दी जानकारी

बताया जा रहा है कि इंद्रावती नदी के मुचनार घाट के किनारे कुछ ग्रामीण किसी काम से गए हुए थे, तभी उन्होंने इन मगरमच्छों को रेत में दबे हुए देखा. ग्रामीणों ने इसकी सूचना तुरंत वनकर्मियों को दी. मौके पर पहुंचे वन विभाग के कर्मचारियों ने इन 20 बच्चों को बाहर निकालकर इन्हें सुरक्षित नदी में छोड़ दिया.

Crocodile babies found in Muchnar Ghat
मुचनार घाट में मिले मगरमच्छ के बच्चे

बिलासपुर: गांव में घुसा मगरमच्छ, दहशत में आए लोग

गर्मियों में अक्सर धूप सेंकते नजर आ जाते हैं मगरमच्छ

दंंतेवाड़ा जिला पर्यटन नगरी (Dantewada District Tourist City) के नाम से जाना जाता है. यहां पर अक्सर देश-विदेश के पर्यटक घूमने के लिए आते हैं. मां दंतेश्वरी के दर्शन के बाद ये लोग ढोलकाल पर्वत, सातधार, इंद्रावती नदी और चित्रकोट जलप्रपात जैसे पर्यटन स्थलों का लुत्फ उठाते हैं. इन पर्यटन स्थलों पर विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु देखे जा सकते हैं. वहीं, गर्मियों के समय जब इंद्रावती नदी का पानी कम हो जाता है, तब अक्सर ही यहां पर मगरमच्छों को धूप सेंकते हुए देखा जा सकता है.

Crocodile babies found in Muchnar Ghat
मुचनार घाट में मिले मगरमच्छ के बच्चे

मगरमच्छ संरक्षण के लिए सरकार ने जारी किया था दो करोड़ का बजट

जिले में सरकार मगरमच्छ संरक्षण (Crocodile Protection) के लिए पिछले दो दशक से कार्य कर रही है. इसके लिए सरकार ने दो करोड़ का बजट भी जारी किया था. इस बजट से इंद्रावती नदी के एक एकड़ क्षेत्र में मगरमच्छ संरक्षण का कार्य किया जा रहा है.

मछली की जगह जाल में फंसा मगरमच्छ का बच्चा, कुछ देर के लिए लोगों की थम गई सांसें

सीआरपीएफ 195 बटालियन कैंप कर रही संरक्षण

बारसूर सावधान इंद्रावती नदी पर आठ से दस नरमादा मगरमच्छ की जोड़ियां देखी जा सकती हैं. इनके संरक्षण के लिए वन विभाग ने व्यापक कदम उठाए हैं. इन मगरमच्छों को संरक्षित करने का कार्य सीआरपीएफ (CRPF) 195 बटालियन कर रही है.

एक मादा देती है 25 से 30 अंडे

वन विभाग अधिकारी एसडीओ सोनवानी (Forest Department Officer SDO Sonwani) के अनुसार मगरमच्छ नरमादा का प्रजनन का समय नवंबर-दिसंबर होता है. अप्रैल-मई के आसपास ये अंडे देते हैं. एक मादा लगभग 25 से 30 अंडे देती है. बरसात के पहले पानी में अंडे से बच्चे निकलते हैं. वहीं अगर तापमान 35 डिग्री से कम है तो बच्चे फीमेल पैदा होते हैं और अगर 35 डिग्री से ज्यादा है तो बच्चे मेल पैदा होते हैं. उन्होंने बताया कि इनके संरक्षण-संवर्धन के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है. सरकार ने वन प्राणी कोको डायल पार्क (Forest Animal Coco Dial Park) बनाने के प्रस्ताव पास कर दिया है.

ग्रामीण करते हैं मगरमच्छों का शिकार

जानकारी के अनुसार कई बार ऐसा देखा गया है कि ग्रामीण पैसों की लालच में इन मगरमच्छों का शिकार करते हैं और इनकी चमड़ी से वाद्य यंत्र बनाते हैं. इस कारण इन मगरमच्छों को संरक्षित करते के लिए रिजर्व फॉरेस्ट की तरफ से विशेष प्रयास किए जा रहे हैं.

बारसूर क्षेत्र के तालाबों में भी पाए जाते हैं मगरमच्छ

वन विभाग एसडीओ सोनवानी ने बताया कि दंतेवाड़ा रिजर्व फॉरेस्ट के इलाके से होते हुए इंद्रावती नदी गुजरती है. इसके आसपास के क्षेत्र में बहुत से घाट पड़ते हैं. इन घाटों में अक्सर ही मगरमच्छ के बच्चे पाए जाते हैं. हालांकि जितनी बड़ी तदाद में मुचनार कौशल नार घाट के किनारे मगरमच्छ के बच्चे पाए गए हैं. वह अपने आप में ही अच्छी बात है.

दंंतेवाड़ा : बस्तर (Bastar) की जीवनदायनी कही जाने वाली इंद्रावती नदी के मुचनार घाट के किनारे रेत पर मंगलवार को मगरमच्छ के 20 बच्चे मिले हैं. इन्हें वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर इंद्रावती नदी (Indravati River) में छोड़ दिया है. ऐसा पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में नदी के आसपास मगरमच्छ के बच्चों (crocodile babies) को देखा गया है.

मुचनार घाट में मिले मगरमच्छ के बच्चे

ग्रामीणों ने दी जानकारी

बताया जा रहा है कि इंद्रावती नदी के मुचनार घाट के किनारे कुछ ग्रामीण किसी काम से गए हुए थे, तभी उन्होंने इन मगरमच्छों को रेत में दबे हुए देखा. ग्रामीणों ने इसकी सूचना तुरंत वनकर्मियों को दी. मौके पर पहुंचे वन विभाग के कर्मचारियों ने इन 20 बच्चों को बाहर निकालकर इन्हें सुरक्षित नदी में छोड़ दिया.

Crocodile babies found in Muchnar Ghat
मुचनार घाट में मिले मगरमच्छ के बच्चे

बिलासपुर: गांव में घुसा मगरमच्छ, दहशत में आए लोग

गर्मियों में अक्सर धूप सेंकते नजर आ जाते हैं मगरमच्छ

दंंतेवाड़ा जिला पर्यटन नगरी (Dantewada District Tourist City) के नाम से जाना जाता है. यहां पर अक्सर देश-विदेश के पर्यटक घूमने के लिए आते हैं. मां दंतेश्वरी के दर्शन के बाद ये लोग ढोलकाल पर्वत, सातधार, इंद्रावती नदी और चित्रकोट जलप्रपात जैसे पर्यटन स्थलों का लुत्फ उठाते हैं. इन पर्यटन स्थलों पर विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु देखे जा सकते हैं. वहीं, गर्मियों के समय जब इंद्रावती नदी का पानी कम हो जाता है, तब अक्सर ही यहां पर मगरमच्छों को धूप सेंकते हुए देखा जा सकता है.

Crocodile babies found in Muchnar Ghat
मुचनार घाट में मिले मगरमच्छ के बच्चे

मगरमच्छ संरक्षण के लिए सरकार ने जारी किया था दो करोड़ का बजट

जिले में सरकार मगरमच्छ संरक्षण (Crocodile Protection) के लिए पिछले दो दशक से कार्य कर रही है. इसके लिए सरकार ने दो करोड़ का बजट भी जारी किया था. इस बजट से इंद्रावती नदी के एक एकड़ क्षेत्र में मगरमच्छ संरक्षण का कार्य किया जा रहा है.

मछली की जगह जाल में फंसा मगरमच्छ का बच्चा, कुछ देर के लिए लोगों की थम गई सांसें

सीआरपीएफ 195 बटालियन कैंप कर रही संरक्षण

बारसूर सावधान इंद्रावती नदी पर आठ से दस नरमादा मगरमच्छ की जोड़ियां देखी जा सकती हैं. इनके संरक्षण के लिए वन विभाग ने व्यापक कदम उठाए हैं. इन मगरमच्छों को संरक्षित करने का कार्य सीआरपीएफ (CRPF) 195 बटालियन कर रही है.

एक मादा देती है 25 से 30 अंडे

वन विभाग अधिकारी एसडीओ सोनवानी (Forest Department Officer SDO Sonwani) के अनुसार मगरमच्छ नरमादा का प्रजनन का समय नवंबर-दिसंबर होता है. अप्रैल-मई के आसपास ये अंडे देते हैं. एक मादा लगभग 25 से 30 अंडे देती है. बरसात के पहले पानी में अंडे से बच्चे निकलते हैं. वहीं अगर तापमान 35 डिग्री से कम है तो बच्चे फीमेल पैदा होते हैं और अगर 35 डिग्री से ज्यादा है तो बच्चे मेल पैदा होते हैं. उन्होंने बताया कि इनके संरक्षण-संवर्धन के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है. सरकार ने वन प्राणी कोको डायल पार्क (Forest Animal Coco Dial Park) बनाने के प्रस्ताव पास कर दिया है.

ग्रामीण करते हैं मगरमच्छों का शिकार

जानकारी के अनुसार कई बार ऐसा देखा गया है कि ग्रामीण पैसों की लालच में इन मगरमच्छों का शिकार करते हैं और इनकी चमड़ी से वाद्य यंत्र बनाते हैं. इस कारण इन मगरमच्छों को संरक्षित करते के लिए रिजर्व फॉरेस्ट की तरफ से विशेष प्रयास किए जा रहे हैं.

बारसूर क्षेत्र के तालाबों में भी पाए जाते हैं मगरमच्छ

वन विभाग एसडीओ सोनवानी ने बताया कि दंतेवाड़ा रिजर्व फॉरेस्ट के इलाके से होते हुए इंद्रावती नदी गुजरती है. इसके आसपास के क्षेत्र में बहुत से घाट पड़ते हैं. इन घाटों में अक्सर ही मगरमच्छ के बच्चे पाए जाते हैं. हालांकि जितनी बड़ी तदाद में मुचनार कौशल नार घाट के किनारे मगरमच्छ के बच्चे पाए गए हैं. वह अपने आप में ही अच्छी बात है.

Last Updated : Jun 30, 2021, 1:03 PM IST
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