दंतेवाड़ा: डीएमएफ फंड के नियमों में बदलाव को भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री नंदलाल मुड़ामी ने स्वागत योग्य निर्णय बताया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से DMF की राशि की जिस तरह से बंदरबांट लगातार की जा रही थी, उसमें लगाम लगाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने सही निर्णय लिया है. पूरे क्षेत्र की आम जनता के लिए खुशहाली से भरा निर्णय है.
छत्तीसगढ़ जैसे खनिज बाहुल्य राज्य में जिला खनिज निधि (District Mineral Fund) यानी DMF को लेकर केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन (Central government new guideline regarding DMF) जारी है. इस आदेश के बाद अब छत्तीसगढ़ में सियासत तेज हो गई है. दरअसल जारी आदेश में फिर से कलेक्टर को DMF पावर दिया गया है.
नंदलाल मुड़ामी ने कहा कि एक दौर था जब छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी. तब लोकतंत्र में प्रथम पंक्ति का निर्वाचित जनप्रतिनिधि चाहे वह वार्ड पंच ही रहा हो, वह भी अपने क्षेत्र की समस्याओं से कलेक्टर को अवगत कराने पर तत्काल समस्या का समाधान होता था. तब डीएमएफ की राशि से हर ग्राम पंचायत, हर वार्ड, पारा, टोला में विकास कार्य दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर होते थे. स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, रोजगार और हितग्राही मूलक कार्य के साथ क्षेत्र के विकास से जुड़े हर कार्य दंतेवाड़ा जिले में होते थे. लेकिन कांग्रस की सरकार में सब रुक गया था.
DMF का पावर कलेक्टर को देने पर छत्तीसगढ़ में राजनीति शुरू
याद दिलाए पुराने काम
भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री नंदलाल मुड़ामी ने डीएमएफ मद से हुए पुराने कामों को याद भी दिलाया है. उन्होंने कहा कि डीएमएफ मद से दंतेवाड़ा के जिला अस्पताल में उच्च स्तरीय डॉक्टर्स, स्पेशलिस्ट सर्जन, एमडी मेडिसिन, पैथोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट और दिव्यांगों के लिए अंग निर्माण के कार्य भी किये जाते थे. लकवाग्रस्त मरीजों के लिए फिजियोथेरेपी सेंटर खोला गया थी. फिजियोथैरेपिस्ट की नियुक्ति की गई थी. कृषि के क्षेत्र में किसानों को सौर सुजला योजना, मोचो बाड़ी योजना, कृषकों के लिए ट्रैक्टर वितरण योजना और अन्य श्रेणी के कृषकों को 5 से 10 प्रतिशत अंशदान राशि योजना का लाभ डीएमएफ से मिलता रहा है.
कांग्रेस शासन में सभी योजनाएं प्रभावित
नंदलाल मुड़ामी ने आरोप लगाए हैं कि जनता से जुड़ी योजनाएं अब पूरी तरह से प्रभावित हैं. दुर्भाग्य यह है कि बड़ी आशा और उम्मीद के साथ कृषकों ने मोचो बाड़ी योजना के लिये लिए आवेदन और अंशदान राशि जमा किया था. कांग्रेस की सरकार ने किसानों की आशा और उम्मीदों पर पानी फेरते हुए आवेदनों को निरस्त कर दिया. कृषकों को जो अंशदान राशि जमा किया गया था, वह राशि अब तक किसानों को वापस नहीं दिया गया है.
उन्होंने आरोप लगाए हैं कि बीपीओ कॉल सेंटर में 1000 से अधिक युवाओं को रोजगार दिया गया था. जिसे कांग्रेस सरकार ने लगभग बंद कर युवाओं से उनका रोजगार छीन लिया है. डीएमएफ की राशि से कई बेरोजगार युवाओं को अंदरूनी गांव में शिक्षा का अलख जगाने के लिए अथिति शिक्षकों के रूप में भर्ती किया गया था. जिसे कांग्रेस की सरकार ने बंद कर दिया है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि, जब से कांग्रेस की सरकार बनी है तब से डीएमएफ मद की राशि कहां खर्च हो रही है इसका आम जनता को पता ही नहीं चलता.