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भीमा मंडावी की पत्नी ने सरकार पर लगाया सुरक्षा न देने और भेदभाव का आरोप - भेदभाव का आरोप

ओजस्वी मंडावी ने कहा कि, 'शासन से महज 5 लाख रुपए मिले हैं. ये पैसा नाकाफी है. उन्होंने कहा कि 25 लाख रुपए न तो संगठन से मिला है और ना ही 75 लाख रुपए प्रदेश सरकार से. बस्तर टाइगर के पुत्र छबिन्द्र कर्मा ने शहादत पर मिलने वाली राशि पर कहा कि एक करोड़ रुपए सभी को मिलना चाहिए. जवान को भी और ग्रामीण को भी.

ओजस्वी मंडावी
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Published : Jul 5, 2019, 11:43 AM IST

दंतेवाड़ा: नक्सली हमले में मारे गए भाजपा विधायक भीमा मंडावी की पत्नी ओजस्वी मंडावी ने एक करोड़ रुपए की राशि पर कहा है कि, 'जो दुख हम झेल रहे हैं, उसकी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती है. लेकिन भरण-पोषण के लिए पैसा जरूरी है.'

ओजस्वी मंडावी ने सरकार पर लगाए भेदभाव का आरोप

ओजस्वी मंडावी ने कहा कि, 'शासन से महज 5 लाख रुपए मिले हैं. ये पैसा नाकाफी है. उन्होंने कहा कि 25 लाख रुपए न तो संगठन से मिला है और ना ही 75 लाख रुपए प्रदेश सरकार से. हां अगर मिलेगा तो जरूर लूंगी. पैसे से ही परिवार को चलाया जा सकता है.'

एक करोड़ की मांग
बस्तर टाइगर के पुत्र छबिन्द्र कर्मा ने शहादत पर मिलने वाली राशि पर कहा कि एक करोड़ रुपए सभी को मिलना चाहिए. जवान को भी और ग्रामीण को भी. मुझे याद है पिता की शहादत पर तकरीबन 5 लाख रुपए ही मिला था.
24 घंटे पहले बताओ तब मिलेगी सुरक्षा: ओजस्वी मंडावी.

ओजस्वी मंडावी ने सरकार पर सुरक्षा न देने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि 24 घंटे पहले बताना होगा तभी सुरक्षा मिलेगी. उनका कहना है कि परिवार में छोटे-छोटे बच्चे हैं यदि वे अचानक बीमार होंगे तो फिर सुरक्षा तो मिलेगी नहीं. उनके इलाज के लिए तो अचानक ही निकालना पड़ेगा.

सरकार पर लगाया भेदभाव का आरोप
ओजस्वी मंडावी ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है. मंडावी ने कहा कि, 'दो बार आवेदन दे चुके हैं, इसके बाद भी अनदेखी ही की जा रही है. पहले भी नक्सलवाद के चलते शहादत हुई, उनको तो कड़ी सुरक्षा दी गई है. सरकार भेद- भाव कर रही है.'

इस साल मार्च में हुए नक्सली हमले में बीजेपी विधायक भीमा मंडावी की मौत हो गई थी.

दंतेवाड़ा: नक्सली हमले में मारे गए भाजपा विधायक भीमा मंडावी की पत्नी ओजस्वी मंडावी ने एक करोड़ रुपए की राशि पर कहा है कि, 'जो दुख हम झेल रहे हैं, उसकी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती है. लेकिन भरण-पोषण के लिए पैसा जरूरी है.'

ओजस्वी मंडावी ने सरकार पर लगाए भेदभाव का आरोप

ओजस्वी मंडावी ने कहा कि, 'शासन से महज 5 लाख रुपए मिले हैं. ये पैसा नाकाफी है. उन्होंने कहा कि 25 लाख रुपए न तो संगठन से मिला है और ना ही 75 लाख रुपए प्रदेश सरकार से. हां अगर मिलेगा तो जरूर लूंगी. पैसे से ही परिवार को चलाया जा सकता है.'

एक करोड़ की मांग
बस्तर टाइगर के पुत्र छबिन्द्र कर्मा ने शहादत पर मिलने वाली राशि पर कहा कि एक करोड़ रुपए सभी को मिलना चाहिए. जवान को भी और ग्रामीण को भी. मुझे याद है पिता की शहादत पर तकरीबन 5 लाख रुपए ही मिला था.
24 घंटे पहले बताओ तब मिलेगी सुरक्षा: ओजस्वी मंडावी.

ओजस्वी मंडावी ने सरकार पर सुरक्षा न देने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि 24 घंटे पहले बताना होगा तभी सुरक्षा मिलेगी. उनका कहना है कि परिवार में छोटे-छोटे बच्चे हैं यदि वे अचानक बीमार होंगे तो फिर सुरक्षा तो मिलेगी नहीं. उनके इलाज के लिए तो अचानक ही निकालना पड़ेगा.

सरकार पर लगाया भेदभाव का आरोप
ओजस्वी मंडावी ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है. मंडावी ने कहा कि, 'दो बार आवेदन दे चुके हैं, इसके बाद भी अनदेखी ही की जा रही है. पहले भी नक्सलवाद के चलते शहादत हुई, उनको तो कड़ी सुरक्षा दी गई है. सरकार भेद- भाव कर रही है.'

इस साल मार्च में हुए नक्सली हमले में बीजेपी विधायक भीमा मंडावी की मौत हो गई थी.

Intro:एक करोड़ मिलेगा तो लूंगी पर पति की मौत की क्षति पूर्ती किसी भी दाम पर नहीं हो सकती
दंतेवाड़ा। दिवंगत विधायक भीमा मंडावी की पत्नी ने एक करोड़ रुपए मिलने की बात पर कहा कि जो दुःख हम झेल रहे है उसकी क्षति पूर्ति नहीं हो सकती है। लेकिन भरण-पोषण के लिए पैसा जरूरी है। ओजस्वी मंडावी ने कहा कि शासन से मज 5 लाख रुपए मिला है। ये पैसा नाकाफी है। 25 लाख रुपए न तो संगठन से मिला है और ना ही 75 लाख रुपए प्रदेश सरकार से। हां यदि मिलेगा तो जरूर लूँगी। पैसे से ही परिवार को चलाया जा सकता है।

Body:बस्तर टाइगर के पुत्र छबिन्द्र कर्मा ने शहादत पर मिलने वाली राशि पर कटाक्ष तो नहीं किया, उन्होंने कहा एक करोड़ रुपए सभी को मिलना चाहिए। जवान को भी और ग्रामीण को भी। मुझे याद है पिता की शहादत पर तकरीबन 5 लाख रुपए ही मिला था।Conclusion:24 घंटे पहले बताओ तब मिलेगी सुरक्षा
ओजस्वी मंडावी ने सरकार पर सुरक्षा ना देने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा की 24 घंटे पहले बताना हो गया तो सुरक्षा मिलेगी। परिवा में छोटे-छोटे बच्चे है यदि वे अचानक बीमार होंगे तो फिर सुरक्षा तो मिलेगी नहीं। उनके इलाज के लिए तो अचानक ही निकालना पडेगा। दो बार आवेदन दे चुके है, इसके बाद भी अनदेखी ही की जा रही है। पहले भी नक्सलवाद के चलते शहादत हुई। उनको तो कड़ी सुरक्षा दी गई है। सरकार भेद- भाव कर रही है।
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